संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर छाए हुए थे। दूसरी तरफ दिनेश बैठा हुआ अपने पिछले दिनों को याद कर रहा था, जब उसकी मां बिस्तर पर थी और जीवन-मृत्यु के बीच जंग लड़ रही थी तो उसकी पत्नी और वो अपनी ही दुनिया में व्यस्त थे। वो किडनी के दर्द से तड़फती रहती थी,डायलिसिस का दर्द झेलती रहती थी पर उसके ज़ख्म को मरहम लगाने वाला या प्यार के दो बोल बोलने वाला कोई नहीं था। उनके वैसे भी एक ही किडनी थी,दूसरी बहुत पहले ही किसी बीमारी की वजह से निकाली जा चुकी थी जिसका दिनेश को भी कुछ अधिक नहीं पता था। थोड़े दिन के लिए जब उसकी मौसी,मां के साथ रहने के लिए आई तो उन्होंने भी दिनेश से मां को लेकर कुछ कहना चाहा पर मां ने हमेशा उन्हें रोक दिया। एक दिन मां की हालत जब ज्यादा ही बिगड़ने लगी,तब दिनेश की मौसी उसके पास आई और बोली कि जिस मां की तरफ तुम इतने लापरवाह हो रहे हो उस मां के ये हालत तुम्हारी वजह से है। तुम आज जो ये स्वस्थ जीवन बिता रहे हो, ये भी इसी मां की वजह से है। उसकी एक किडनी किसी हादसे की वजह से नहीं बल्कि तुम्हारे शरीर में प्रत्यारोपित करने से नहीं है। ये सुनकर दिनेश चौंक गया, मौसी की तरफ देखने लगा। मौसी ने अपना कहना ज़ारी रखा और बोला, जब तुम बहुत छोटे थे और तेज़ बुखार और पीलिया से अपने कई अंगों की कार्यक्षमता खो चुके थे, तब उसकी ही किडनी तुम्हारे लगाई थी। आज तक मैं चुप थी क्योंकि तुम्हारी मां नहीं चाहती थी कि तुम्हें इस बात का पता चले पर आज तुम्हारा अपनी मां की तरफ ध्यान ना देने का व्यवहार ने मुझे सब कुछ बोलने पर मजबूर कर दिया। ये सब सुनकर दिनेश के पैरो तले ज़मीन खिसक गई। जब तक वो मां के पास पहुंचा तब तक उसकी मां अनंत यात्रा पर निकल चुकी थी। अब उसके पास पछताने के सिवा कुछ भी नहीं था।
दोस्तों,मां-बाप जीवन में एक बार मिलते है हम अगर उनको जीतेजी खुश नहीं रख सकते तो ये मातृ दिवस और उनकी मृत्यु के बाद तरह तरह के दान-भोज सब पाखंड है। हमारा अस्तित्व उन्हीं से है। ये जीवन का चक्र है, एक समय बच्चा उन पर निर्भर होता है और अपने जीवन संध्या के समय वो बच्चों पर निर्भर होते है। इसलिए इस जीवन चक्र की खूबसूरती को बनाएं रखें।।
मौलिक रचना
डॉक्टर पारुल अग्रवाल
नोएडा