Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

*फर्ज और अधिकार* – पुष्पा जोशी

रीमा ने कहा-‘मैंने सुना है कि पिताजी का स्वास्थ बहुत खराब है, कहीं वे अपनी जायदाद राजेश भाई के नाम न कर दे। आप भी उनके बेटे हो आपका भी सम्पति पर अधिकार है। आज आप जाकर तलाश करना।’ उमेश ने कहा है- ‘हॉं हमारा भी अधिकार होता अगर हमने परिवार के प्रति अपने फर्ज निभाए होते। उस समय तो तुम्हें सिर्फ मेरी कमाई दिख रही थी। माँ की बिमारी, राजेश की पढ़ाई, सीता का ब्याह मुझ बड़े भाई की जिम्मेदारी थी, जो तुम्हारे नित नये क्लेश के कारण मैं निभा नहीं सका। राजेश और शालू ने परिवार के प्रति अपने फर्ज को निभाया है,तो उस सम्पत्ति पर उसका ही अधिकार होना चाहिए।’ रीमा निरूत्तर थी। 

प्रेषक-

पुष्पा जोशी

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

 

घर – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’

“माँजी, क्या आप बता सकती हैं कि एक लड़की का अपना घर कौन सा होता है ?” बिन्दु ने सास से पूछा ।

“क्या छोटी छोटी बातें ले कर बैठ जाती हो ? भूल जा कि सुकेश ने गुस्से में तुझे घर से निकल जाने को बोला था।” खुद आग लगा, उसे सेकने वाली सास बोली। 

“पर शायद आप लोग भूल गए हैं कि यह घर मेरे पिता जी ने मुझे दहेज में दिया था। इसलिए इस घर पर तो मेरा अधिकार है।” मुस्कुराते हुए बिन्दु बोली। 

कमरे में छाया सन्नाटा नई कहानी सुनाने लगा था।

अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’

 

अधिकार – अर्चना खंडेलवाल

मम्मी जी, नीलू दीदी का कमरा अब चिंटू को 

दे दो, वो तो शादी करके चली जायेगी, कोमल ने कहा।

नहीं, बहू इस कमरे पर सदा नीलू का ही अधिकार रहेगा, ताकि वो जब भी मायके आये, उसे अपना घर हमेशा अपना ही लगे, और एक बात सुन लो, नीलू के पापा ने तुम्हारे इस घर में आने से पहले ही, आधा घर नीलू के नाम कर दिया था, ये कमरा भी उसके ही हिस्से में आता है, इस कमरे पर सदा इसका ही अधिकार रहेगा, कोमल हैरान रह गई और वहीं 

मां की बात सुनकर नीलू की आंखें भर आई,।

अर्चना खंडेलवाल

अधिकार – सुभद्रा प्रसाद

     ” अरे मम्मी जी आपकी तबियत इतनी खराब है फिर भी आपने हमें खबर नहीं किया ” बहू आरती बोली |

      ” किस मुँह से तुम्हें खबर करती | मैंने ही तो घमंड में तुम्हें अपने घर से चले जाने को कहा था  |” सास निर्मला धीरे से बोली |

        ” तुम बिमार हो और अपनी संतान से सेवा करवाना तुम्हारा अधिकार है | इसलिए खबर करती |” बेटा आशीष आगे बोला – ” हमें तो कुमार अंकल ने बताया |हम तुम्हें लेने आये है ं, चलो हमारे साथ |”

         ” अगर ऐसी बात है तो मैं अपने माँ होने के अधिकार से कहती हूँ कि पुरानी बातों को भूलकर , मुझे माफ करो और वापस इस घर में मेरे पास रहने आ जाओ |” निर्मला आशीष का हाथ पकडकर जोर से रोने लगी | 

          “माफ़ी मत मांगो , तुम माँ हो, जैसा कहोगी, हम करेंगे |” आशीष और आरती भी रोने लगे |

# अधिकार

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

कुशल -मंगल – शुभ्रा बैनर्जी 

“मां,कैसी हो तुम?क्या कर रही हो?”वीना जी की बड़ी बेटी का फोन आया था।”मैं ठीक हूं,रे।तेरी भाभी पास के बाजार से सब्जी लेने गई है।”

“तुम्हारी आंख का ऑपरेशन कब होगा?कुछ बोली भाभी? मैं तो पूछ कर हार गई,कि कितने पैसे लगेंगे?पर वो कुछ बताती ही नहीं।”

“तू चिंता मत करना बेटा,तेरी भाभी सही समय पर करवा देगी।मुझे लगता नहीं कि ,वह तुझसे पैसे लेगी।”

सुधा को देखते ही कहा उन्होंने”तुम्हें जब सुविधा हो ,तब करवाना आॉपरेशन।मेरे मामले में सभी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ तुम्हें है।”

शुभ्रा बैनर्जी 

 

कंगन। – कामनी गुप्ता

माँ की सेवा में एक दूजे पर ज़िम्मेदारी थोपते भाई बहन आज माँ के मरने के बाद माँ के कंगनों के लिए झगड़ रहे थे।  तभी पिताजी ने उनकी बातों को सुनकर झगड़ा समाप्त करने के लिए बस इतना ही कहा…. वो मेरे व्यवसाय में जब घाटा हुआ था तो मैंने किसी से उधार लिया है। वो पैसे चुकाने के लिए मैं किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता। इसलिए ये कंगन तुम मेरे पास रहने दो ,उनकी आंखों में नमी और मजबूरी दोनों थीं। जब पैसे थे तो मैंने बना दिए थे, आज ज़रूरत है तो मेरे काम आएंगे। आखिर ज़िन्दगी जीने के लिए अपना व्यवसाय भी तो मुझे सही  से चलाना है। सभी खामोश हो जाते हैं…. अपना अधिकार कंगन पर खत्म समझ अपने काम में व्यस्त हो वहाँ से चले जाते हैं। 

कामनी गुप्ता***

जम्मू!

अधिकार – डाॅक्टर संजु झा

शीला जी ने बड़े अरमानों के साथ अपने एकलौते बेटे राजीव का ब्याह किया,परन्तु शादी के कुछ ही दिनों बाद बहू के रवैये के कारण उनके अरमानों पर सौ घड़ा पानी फिर गया।

 एक तो बहू सास-ससुर का कोई  लिहाज नहीं करती थी,दूसरा उसके भाई-बहन भी वहीं आकर रहने लगें थे।देर रात  तक उसके भाई-बहन टेलीविजन देखते और शोर मचाते।उनका बेटा भी चुप्पी साधे रहता।एक दिन शीला जी के पति की तबीयत  खराब थी ,तो उन्होंने उन्हें शोर-गुल करने से मना किया।सास की बात पर भड़कते हुए बहू ने कहा -“माँ जी!इस घर पर मेरा भी अधिकार  है!मैं जिसे चाहूँ उसे घर में रख सकती हूँ!”

शीला जी ने भी गुस्से में कहा -” वाह बहू!तुम्हें बुजुर्ग और बीमार सास-ससुर के प्रति तो कर्त्तव्य का कोई  एहसास नहीं है,परन्तु अधिकार का बहुत ज्ञान है!”

बहू गुस्से से सास की ओर तिरछी नजर से देखने लगी।

समाप्त। 

लेखिका-डाॅक्टर संजु झा(स्वरचित)

#अधिकार – डॉक्टर संगीता अग्रवाल

“मां!दीदी को तुमने स्विफ्ट डिजायर दी थी शादी में, मै किया कैरंस लूंगी..” शोमा ने जिद करते कहा।

मानसी रुआंसी हो गई, “कैसी जिद है ये बच्चों जैसे,पता नहीं तब पापा जॉब में थे,अब रिटायर हैं।”

पर शोमा अड़ी हुई थी कि “मेरा भी तो उतना ही “अधिकार “है इस घर और आप दोनो पर।”

हार कर उसकी इच्छा पूरी करनी पड़ी उन्हें,भले ही कर्जा लेकर की।

समय की बात है, मानसी एक दिन गिर गई और उसकी कूल्हे की हड्डी टूट गई,छोटी बेटी शोमा को बुलाने के

लिए फोन किया उसके पापा ने ये सोचकर कि उसके बच्चों की पढ़ाई का चक्कर नहीं अभी पर उसने तपाक

से बहाना बना मना कर दिया।

लेकिन बड़ी बेटी गौरी अगले ही दिन वहां

आई खड़ी थी,”मेरे होते आप फिक्र न करें पापा,मां ठीक हो जायेंगी।”

पापा सोच रहे थे,”अधिकारों की बात करने वाले अपने कर्तव्य कैसे भूल जाते हैं?”

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

तेल चम्पी – लतिका श्रीवास्तव 

आ शिवि मेरे हाथ की तेल चंपी करवा ले सिरदर्द छू मंतर हो जायेगा शालिनी जी ने बेटी के सिर में तेल चंपी के बाद बहू को आवाज दी तो बेटी भन्ना गई मां ये अधिकार तो सिर्फ मेरा है तुम मेरी मां हो दूसरे घर से आई भाभी की नहीं।

बिटिया जिस अधिकार से तेरी भाभी दूसरे घर से आकर भी मेरी सेवा मेरा ख्याल मेरी अपनी बेटी की तरह करने लगी है उसी अधिकार ने मुझे भी इसकी मां बना दिया है हंसकर शालिनी जी ने सकुचाई खड़ी बहू को ममत्व से पास बिठा तेल चम्पी शुरू कर दी। 

लतिका श्रीवास्तव 

अधिकार – सोनिया अग्रवाल 

अगर आज के बाद चौके में पैर भी रखा तो तेरी टांग तोड़ दूंगी,अपना खाना अपने कमरे में बना और वहीं उसी में मरा कर। खबरदार जो चौके में घुसी तो यह कहती हुई कमलेश जी ने अपनी बहु सौम्या के बाल खींच लिए। सौम्या का पति आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण घर के खर्चों में बराबर का सहयोग नही कर पाता था। जिसके लिए कमलेश जी ने उनकी रसोई अलग कर दी थी। मगर जगह की कमी के चलते सौम्या को खाना बनाने और बर्तन साफ करने के लिए रसोई का इस्तमाल करना पड़ता था। समान सारा सौम्या अपना खुद का ही प्रयोग करती यहां तक कि रसोई में प्रयोग होने वाले सिलेंडर का भी आधा भाग ( पैसे) वो देती थी। देवरानियों के सामने हुई ऐसी बेइज्जती होने पर आज सौम्या ने भी पलट कर जवाब दे ही दिया की वो इस घर में शादी करके आई है ना कि भाग कर, जैसे सब का इस घर पर अधिकार है उतना ही उसका और उसके पति का। हम शांति से एक कमरे में रहते है तो हमें शांति से रहने दिया जाए। जब वो न्यारा होने के बाद भी घर के अन्य कार्यों में अपना फर्ज समझ कर  मदद करती है तो उसे अपना अधिकार भी बहुत अच्छे से पता है। 

सोनिया अग्रवाल 

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