बेरोजगार (भाग-8) – रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

आगे की कहानी*****

कानपुर जाने के लिए तरुण बनारस जंक्शन पर बैठा हुआ था… उसके दिमाग में चल क्या रहा था… वह इससे खुद अनजान था… उसके प्यारे… इकलौते.. दुलारे भाई… की कल शादी थी… और वह यहां ऐसे बैठा था जैसे वह कोई अजनबी हो….!

वह बार-बार अपना मन अपनी परीक्षा की तरफ खींचने की कोशिश कर रहा था… लेकिन ओफ्फ…. आंखों की कोरों में कुछ बूंदें छलक आईं….!

वह मन बहलाने के लिए आसपास नजर दौड़ाने लगा…. कुछ दूरी पर एक जाना पहचाना चेहरा देखकर ध्यान से देखने लगा….” अंकित… हाय…!” तरुण थोड़ा तेज आवाज में बोला….!

सामने कानों में ईयरफोन डाले… स्टाइलिश आउटफिट और पफ्ड हेयर वाला लड़का…. पैरों में बूट की खटखट से शायद…. ईयर फोन में बजने वाले म्यूजिक का आनंद ले रहा था….!

तरुण अगली बार थोड़ा और तेज आवाज में बोलने की सोच रहा था… लेकिन फिर उसके अटेंशन का ध्यान कर… उठकर उसके पास ही चला जाना बेहतर जान… उसके पास चला गया…. उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला….” अंकित ना… हाय….!”

अब वह एक कान से फोन निकलते हुए…. जोर से बोल पड़ा….”ओ.. हाय तरुण…! कैसे हो… यहां कैसे… कितने दिनों बाद दिखे….?क्या करते हो यार आजकल… स्कूल के बाद तो कभी मिले ही नहीं….!

तरुण अभी इस सवाल का जवाब नहीं देना चाह रहा था… लेकिन ऐसे सवाल तो उसके लिए हर वक्त हर जगह तैयार ही रहते थे…. उसने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा…” कुछ नहीं यार… अभी तो बस लगा हुआ हूं… कोशिश में… तुम बताओ… बड़े मजे में लगते हो…!”

अंकित अब तक ईयर फोन को… शिव जी के नाग की तरह… गले में लटका चुका था… हरफनमौला स्टाइल में बोला… “ओह क्या यार… अभी तक कहां किन चक्करों में पड़े हुए हो… मैं तो यार शेटल हो गया…. कमाने का बस तरीका आना चाहिए…. पैसा तो हाथ का मेल है… देख रहे हो (पॉकेट से फोन निकलते हुए) यह आईफोन… घड़ी.. जींस.. शूज… सब मेरे अपने कमाए हुए हैं… मैंने तो यार पापा से अब मांगना ही छोड़ दिया है….!”

” लेकिन करते क्या हो….!”

अंकित हंस कर बोला…” यार मैं तो बस गेम खेलता हूं…. और जम कर खेलता हूं… पहले तो इसी के लिए बहुत ताने सुने… लात खाई.. पापा की… पर अब तो सब बहुत खुश हैं….! गेम खेलता हूं… यूट्यूब पर डालता हूं… बस हो गया… इतने सब्सक्राइबर्स… इतने लाइक्स… इतने व्यूवर्स… यार कभी सोचा नहीं था… जिंदगी इतनी आसान होगी… आज 10 साल होने को है यह करते… अब तो किसी चीज की कमी नहीं है….!”

तरुण बोला…” तब तो शादी-वादी….!

उसकी बात बीच में ही काटकर… अंकित बोल उठा…” नहीं यार… तीन चार के साथ डेट कर चुका हूं… पर मेरे लेवल की नहीं मिली….!

तरुण की हालत अब… बुरे फंसे… टाइप की हो गई थी… आखिर खुद ही तो उसने यह मुसीबत मोल ली थी… अंकित की बातें.. शेखी बघारना… अनाप-शनाप… से उसका मन उकता रहा था… बात बदलने के लिए उसने पूछ लिया…” अच्छा तो जा कहां रहे हो….?”

” जा रहा हूं यार… अब तुमसे क्या छुपाना… अभी 12th क्लियर नहीं हो पाया है… उसी के लिए सोच रहा हूं… अगर ले देकर काम बन जाए तो… वही बुलाया है किसी ने… अब तुम जान के क्या करोगे… वही दिल्ली जाना है….तुम बताओ…

” मेरा तो पीसीएस का पेपर है… वही देने कानपुर जा रहा हूं….. चलो तो फिर मिलते हैं… मेरी ट्रेन आने वाली है… बाय…!

” बाय यार…!”

तरुण वहां से निकल कर.. अपनी ट्रेन में सवार हो गया… क्या ऐसी सफलता वह हासिल कर पाता.. या फिर इस सफलता से पापा संतुष्ट होते… क्या जिंदगी में बस पैसे कमाना ही लक्ष्य होना चाहिए… चाहे तरीका कोई भी हो…. आखिर मनोरंजन के लिए किया जाने वाला मोबाइल गेम… इस तरह लाइफ चेंजर कैसे बन सकता है… इसमें सफलता अगर इतनी आसान हो जाएगी… तब तो हर बच्चा इधर ही आकर्षित होगा… कोई क्यों इतनी मेहनत करे…..!

तरुण का दिमाग अब हल्का हो चुका था…

वह अपनी परीक्षा के लिए… मन को संतुलित कर… पूरे जोश में परीक्षा केंद्र पहुंच गया… पेपर उतना आसान तो नहीं था… पर संभावना थी… तरुण अपने पेपर से लगभग संतुष्ट ही होकर निकला…. निकलते ही फोन ऑन किया तो.. मां का मैसेज था…” कैसा हुआ पेपर बेटा…” तरुण ने रिप्लाई में मैसेज ही कर दिया… “ठीक हुआ मां… बारात पहुंची कोलकाता…!”

मां का मैसेज तुरंत ही आ गया…” नहीं बस दो-चार घंटे और लगेंगे… खाना खा लेना…!”

तरुण को अचानक जैसे याद आ गया… वह कल से भूखा था… पहले शादी की टेंशन… फिर पेपर की टेंशन में…  उसे याद ही नहीं आया कि उसने कुछ खाया नहीं है… जल्दी-जल्दी बाहर आकर… पास के ही एक रेस्टोरेंट में.. खाने की मेज पर बैठकर.. उसने खाना ऑर्डर किया….!

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रश्मि झा मिश्रा

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