बेरोजगार (भाग-4) – रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

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दो दिन बाद छोटे की शादी थी…. मोहल्ले में शादी का पूरा माहौल बन गया था….. गाजे , बाजे , मेहमान ,संगीत चहल पहल कुछ ज्यादा ही नजर आने लगी थी….।

मां ने कहा था…. तरुण को भी बारात में शामिल होने… इस बात के लिए उसकी मां से थोड़ी बहस भी हो गई…. लेकिन मां के आगे उसकी नहीं चली… आखिर सिंह अंकल से सुदेश जी की बहुत पुरानी दोस्ती थी…. और छोटे भी तो अनुज और तरुण दोनों भाइयों के साथ खेलता ही बड़ा हुआ था….।

बारात जबलपुर जाएगी…. यह सुनकर उसे फिर लता की याद आ गई… अगर कहीं वह मिल गई तो…. उसकी शादी भी तो वहीं हुई है…. फिर यह सोचकर कि जबलपुर क्या माचिस की डिबिया इतना है… जो सब एक ही जगह मिल जाएंगे…. वह अपना मन शांत कर… अपने बारात जाने की तैयारी के बारे में मां से बातें करने चला गया…।

दूसरे दिन सुबह-सुबह तरुण के फोन की घंटी बज उठी… रितेश का फोन था…. तरुण ने फोन उठाया ही था की हड़बड़ाती आवाज में रितेश बोला…” भैया सुना आपने… क्या हुआ…?” रुंधे गले से रितेश बोला.. “हमारी एग्जाम का पेपर लीक हो गया…. इसलिए एग्जाम कैंसिल हो गई…. सुबह से ही मोबाइल में आ रहा है… आपने नहीं देखा अभी तक….!”

सुनकर तरुण खड़ा ना रह सका…. सोफा पकड़ वहीं बैठ गया….” सच कह रहे हो रितेश…”

” हां भैया मैं झूठ क्यों कहूंगा…. आप खुद देख लीजिए ना….!

तरुण ने फोन रख दिया…. उसका किंचित प्रफुल्लित मन… एक गहरी निश्वास के साथ… फिर भंवर में डोलने लगा….!

जानकी जी पास ही थीं…. उन्होंने बेटे के कंधे पर हाथ रखा कर पूछा….” क्या हुआ बेटा…?

तरुण भरे गले से बोला…” मां अभी जो परीक्षा देकर आया था… वह कैंसिल हो गया….!

जानकी जी कुछ बोल ना सकी…. कुछ लोगों के निजी फायदे की सजा…. कितने दिन रात जाग कर मेहनत कर रहे बच्चों को भोगना पड़ता है….!

केवल जानकी जी का ही नहीं…. ऐसे हजारों बच्चों…उनके परिवारों का सपना…. इस एक पेपर लीक और कैंसिल के पीछे फिर अधूरा रह गया था..….!

आंखों के गीले कोनों को छुपा कर वह बोलीं….” क्या करोगे… सिर्फ तुम्हारा ही थोड़े ही हुआ है…. और भी तो बहुत बच्चे थे…. देखो फिर होगा ही पेपर….!

पेपर कैंसिल हो जाने के कारण…. तरुण का मन बारात में जाने से बिल्कुल ही हट गया था…. लेकिन जीवन में कई काम ऐसे होते हैं…. जो हमें सिर्फ दिखावे के लिए करना पड़ता है…. इसलिए वह तैयार तो हुआ… लेकिन उसने मां से कह दिया कि… अनुज की तबीयत ठीक नहीं है….. तो वह जबलपुर से सीधा कोलकाता चला जाएगा…. अनुज के पास… कुछ दिन वहां से होकर ही आएगा…. ।

मां भला क्यों मना करती…. वह तो पहले ही चाहती थी कि तरुण का मन बहल जाए…. और अनुज की चिंता भी उन्हें परेशान कर रही थी…. तो इस तरह उसका भी एक समाधान मिल गया…..।

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रश्मि झा मिश्रा

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