उम्मीदें… सही है.. – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

क्या यार निशा.. जब भी मैं तुझसे मिलने तेरे ससुराल में आती हूं तू हमेशा ही घर के कामों में बिजी रहती है ऐसा लगता है कि तू घर की बहू नहीं कामवाली बाई है जो भी आता है तेरे ऊपर हुकुम छोड़ कर चला जाता है, कभी सास ससुर को गर्म चाय गरम खाना चाहिए, कभी उनकी दवाई का समय हो रहा है,

यहां तक की तेरे देवर नंद भी जो की उम्र में तुझ से छोटे हैं फिर भी… भाभी मेरे सूट पर प्रेस कर दो, भाभी मेरा असाइनमेंट पूरा करवा दो, क्यों भई ..तूने क्या सबका ठेका ले रखा है, क्या तेरी भी कोई मदद करता है क्या? जब तक तू उनके कामों के लिए मना नहीं करेगी उनकी उम्मीद  तुझसे बढ़ती ही जाएगी

और  देखना एक दिन बहुत पछताएगी, तेरे मायके में तो तू बिल्कुल राजकुमारी की तरह रहती थी अब क्या हो गया..! अरे अरे.. यह क्या बोल रही है मेरी एक्सप्रेस, थोड़ी शांत तो हो जा, जो भी तूने देखा वो तेरी आंखों का भरम है दरअसल यह सब लोग मुझे बहुत चाहते हैं और अब मेरे बिना इनका कोई काम पूरा नहीं होता,

देख मिताली मायके में तो रिश्ते बने हुए होते हैं किंतु ससुराल में रिश्ते बनाने पड़ते हैं जो की प्रेम और सम्मान से ही बनाए जा सकते हैं, आज मेरा देवर राहुल जो मुझे अपनी भाभी नहीं दोस्त और बहन मानता है और मेरी ननद मीनू वह भी मुझे अपनी सहेली और बहन से भी ज्यादा मानती है और पापा जी मम्मी का तो क्या ही कहूं..

उन्होंने तो मुझे आते ही अपनी बेटी बना लिया, अगर वह मुझसे कुछ उम्मीदें करते हैं तो क्या यह गलत है? मायके में भी तो मेरी मम्मी पापा भाई बहन सब मुझे उम्मीद करते थे और तब क्या मुझे उनका कोई भी काम करने में गुस्सा या जोर आता था, नहीं ना..? और सच बताऊं मिताली.. इन  सब का प्रेम पाने के लिए कोई मेहनत भी नहीं करनी पड़ती

बस सबको अपना बना लो फिर देखो हंसते-हंसते कब सुबह से शाम हो जाती है पता ही नहीं चलता, तुझे पता है यह सब  मेरी हर छोटी सी छोटी खुशी का हमेशा ध्यान रखते हैं मैंने तो आते ही ससुराल को अपना घर बना लिया और तू सोच मुझे कितना अच्छा लगता है जब सारे दिन घर में बेटी बेटी भाभी भाभी की आवाज गूंजती रहती हैं,

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अरे पागल सौभाग्य से यह सब मिलता  है, जब शाम को मेरे पतिदेव थके हुए घर में आते हैं और सबके खिले हुए चेहरे देखते हैं तो उन्हें मुझ पर गर्व होता है! चल तू रुक मैं तेरे लिए चाय नाश्ता लेकर आती हूं! जैसे ही निशा चाय बनाने गई निशा की दोस्त मिताली बाहर फ्रेश होने के लिए आई और उसने सुना

की निशा के सास ससुर आपस में बातें करते हुए कह रहे थे ..सच में निशा ने तो हमारी घर में कब बेटी की जगह ले ली पता ही नहीं चला, कैसे हंसती हस्ती हमारे सारे काम करती है हमारे हर सुख दुख में साथ देती है,उधर उसका देवर राहुल अपने दोस्त से कह रहा था… यार अगर भाभी ना होती तो मेरा तो असाइनमेंट कभी पूरा ही नहीं हो पता

मेरी भाभी तो ऑलराउंडर है,  भगवान सबको ऐसी भाभी दे और वह मेरी भाभी नहीं बल्कि मेरी बहन और मेरी दोस्त भी है यह सुनकर मिताली सच में अवाक रह गई और उसके मुंह से निकल ही गया, सच है “मायके में तो आपके रिश्ते बने होते हैं पर ससुराल में बनाने पड़ते हैं”और अगर निशा उनकी उम्मीदें पूरी करती है तो क्या गलत है नहीं बिल्कुल नहीं! 

हेमलता गुप्ता स्वरचित 

  “मायके में आपके रिश्ते बने होते हैं पर ससुराल में बनाने पड़ते हैं”

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