” क्या बात है रिया आज ऑफिस आने में देर हो गई तुम्हे ?” रिया की सहेली प्रतीक्षा ने उससे पूछा।
” हां यार बस थोड़ी देर हो गई घर से निकलने में ये शादी नाम की घंटी गले में लटकाई है ना उसके कुछ तो साइड इफेक्ट्स होंगे ही !” रिया गुस्से में बोली।
” अरे अरे ऐसे क्यों बोल रही हो भई क्या हो गया ऐसा ?” प्रतीक्षा हैरानी से बोली।
” बस यार पूछ मत मति मारी गई थी जो प्रेम कर बैठी प्रेम किया सो किया प्रेम विवाह भी कर बैठी अब सारा जीवन समझौते में गुजरेगा कभी कभी तो मन करता है घर वापिस ही ना जाऊं !” रिया बोली।
” रिया मुझे लगता है तुम्हारी जिंदगी में सब ठीक नही है आज ऑफिस से जल्दी निकलते हैं फिर मेरे घर चलना वहीं बात करेंगे अभी काम खत्म करते है ठीक है !” प्रतीक्षा ने प्यार से कहा तो रिया ने हां में सिर हिला दिया।
इससे पहले के कहानी आगे बढ़ाऊँ आपको अपने पात्रों के बारे में कुछ जानकारी दे देती हूं। रिया और प्रतीक्षा एक ही ऑफिस में काम करती हैं और दोनो अच्छी दोस्त है प्रतीक्षा की शादी को जहां चार साल हो गए वही रिया की शादी अभी छह महीने पहले ही हुई है प्रतीक्षा की शादी उसके मां बाप की मर्जी से हुई थी अब उसके एक दो साल की बेटी भी थी । रिया ने प्रेम विवाह किया था।
शाम को दोनो दोस्त ऑफिस से जल्दी निकल गई और प्रतीक्षा के घर पहुंची।
” प्रतीक्षा तुम्हारी बेटी कहां है ?” रिया ने घर में घुसते ही पूछा।
” मम्मीजी उसे पार्क लेकर गई होंगी वापसी में नीरव ( प्रतीक्षा के पति ) उन्हे लेते हुए आयेंगे असल में किसी को पता नही था ना कि मैं जल्दी आऊंगी आज!” प्रतिक्षा हंस कर बोली और चाय नाश्ता लेने चली गई।
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” अरे इतना सब लाने की क्या जरूरत थी ?” नाश्ता देख रिया बोली।
” तुझे भूख लगी होगी आज लंच भी ठीक से नही किया तूने नाश्ता कर और मुझे बता क्या हुआ है आखिर !” प्रतिक्षा बोली।
” यार शादी के बाद लड़की को इतने समझोते क्यों करने पड़ते है आदमियों का सही है शादी से पहले भी बिंदास शादी के बाद भी !” रिया मुंह बना कर बोली।
” ऐसा तो नहीं है रिया कि समझौते सिर्फ पत्नी करती पति नही …क्या मुकुल ( रिया का पति ) तुम्हारी कोई मदद नहीं करता , क्या वो तुम्हारे लिए ऑफिस से जल्दी नही आता , क्या वो तुम्हारा साथ नही देता ?” प्रतिक्षा ने रिया से सवाल किए।
” यार सब करता है वो पर असली जिम्मेदारी तो औरत को उठानी पड़ती है घर में मेहमान आए तो पत्नी देखे , सुबह जल्दी उठे तो पत्नी उठे कभी पत्नी नही उठ पाई तो देर होने का इल्जाम भी पत्नी पर लगे रात को भी समय से घर जाओ । अरे भई हम भी नौकरी करते है तो हम भी तो थक जाते हैं पर नही पतियों को तो इससे फर्क नही पड़ता ऊपर से कुछ बोल दो तो मुंह फुला लेते हैं !” रिया रोष भरे लहजे में बोली।
” अच्छा तो ये बात है मैडम की लड़ाई हो गई मुकुल से…अच्छा ये बता तू नौकरी मुकुल के कहने पर कर रही है , क्या मुकुल कम कमाता है , क्या मुकुल सुबह उठने में आनाकानी करता है क्या मुकुल रात को देर से आता है ?” प्रतिक्षा ने फिर से सवाल किए।
” क्या यार तू सवाल पर सवाल कर रही है !” रिया बोली।
” देख रिया मुझे पता है आज तेरा मुकुल से किसी बात पर झगड़ा हुआ होगा …पर जब तू नौकरी अपनी मर्जी से करती है फिर बार बार नौकरी की धौंस क्यों क्या मुकुल बार बार नौकरी की धौंस देता है ? नही ना तो ? …रही बात जल्दी उठने की तो तेरे घर में मेड है ना सारे काम को तुझे तो सिर्फ उठकर चाय बनानी होती है …तो क्या हुआ इतना तो कर सकती है।” प्रतिक्षा ने समझाया।
” हां पर उसके लिए जल्दी उठना तो पड़ता है ना मुकुल को क्या करना पड़ता है !” रिया बोली।
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” ऐसा नहीं है कि मुकुल या कोई पति कुछ नही करते या वो समझौते नही करते …शादी से पहले बेफिक्र घूमने वाले लड़के पति बनते ही समय से घर आ जाते हैं …शादी से पहले मां के हाथ का खानाखाने वाले लड़के शादी बाद पत्नी की सहूलियत को मेड का खाना खाना सीख जाते हैं …अपना कमरा अस्त व्यस्त रखने वाले लड़के पत्नी के आते ही चीजे करीने से रखना सीख जाते हैं ये समझौते नही क्या ?” प्रतिक्षा बोली।
रिया कुछ जवाब देती उससे पहले ही प्रतिक्षा के पति नीरव अपनी बेटी और मां के साथ घर में दाखिल हुए…!
” अरे तुम जल्दी आ गई आज!” प्रतिक्षा को घर में देख नीरव बोला।
” हां बस रिया की तबियत थोड़ी ठीक नही थी तो हम जल्दी आ गए !” प्रतिक्षा बोली।
” ठीक है तुम बातें करो मैं मिट्ठू को देख लेता हूं !” प्रतिक्षा की गोद में चढ़ी बेटी को उठाते हुए नीरव बोला और बेटी को ले चला गया।।
” तुम्हारे पति तो बहुत अच्छे है बेटी की देखभाल में भी मदद करते है तुम्हारी !” रिया नीरव को जाते देख बोले।
” हां क्योंकि नीरव अब पति से पिता भी बन गए है तो समझ आ गई उन्हे पहले वो भी थोड़े लापरवाह थे पर मैंने उन्हें प्यार से समझाया उनकी एक पति के तौर पर जिम्मेदारियां समझाई और आज वो एक पिता और एक पति के रूप में परफेक्ट इंसान हैं !” प्रतीक्षा बोली।
” ओह मतलब पहले तुम भी मेरी तरह ही परेशान रहती थी।” रिया बोली।
” नही मैं परेशान नही रहती थी ना लड़ाई झगड़ा करती थी बस प्यार से समझाती थी धीरे धीरे वो मेरी सोच से ज्यादा समझदार हो गए अब हमारा रिश्ता समझौते का नही प्यार का है जब वो थके होते है मैं उनकी कुछ जिम्मेदारियां बांट लेती हूं जब मैं थकी होती तो वो मेरी बांट लेते बस ऐसे ही हमारी गृहस्थी की गाड़ी प्यार से चल रही है।” प्रतीक्षा मुस्कुरा कर बोली।
” हां शायद तुम सही कह रही हो शायद मुकुल को समझने में मैं ही गलती कर जाती हूँ। वो इतने बुरे भी नही जितना मैं सोच लेती हूँ और उनसे झगड पड़ती हूं …!” रिया मुस्कुरा कर बोली तभी उसके फोन पर मुकुल का फोन आया….
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” रिया क्या हुआ यार आज देर हो गई तुम्हे मै तो जल्दी घर आया था कि अपनी पत्नी को मानने के लिए बाहर लेकर चलेंगे पर तुम तो आज लेट हो गई !” मुकुल बोला।
” वो मुकुल बस मैं घर वापिस ही लौट रही हूँ बस एक जरूरी चीज सीख रही थी इसलिए लेट हो गया !” रिया प्रतीक्षा की तरफ देख मुस्कुरा कर बोली और फोन रखकर उठ खड़ी हुई।
” हां तो मैडम अब ये शादी नाम की घंटी कैसी लग रही तुम्हे !” प्रतीक्षा उसका खिला चेहरा देख उसे छेड़ते हुए बोली।
” बहुत मधुर संगीत वाली क्योंकि उसे बजाने का तरीका जी सीख गई हूं मैं !” रिया हंसते हुए बोली और प्रतीक्षा के गले लग गई ।
दोस्तों ये पत्नियों का भ्रम होता है कि शादी के बाद सारे समझौते वही करती हैं जबकि कुछ पति भी बहुत कुछ छोड़ते और बहुत कुछ अपनाते है एक पति बनकर तभी तो दो अजनबियों के बीच अटूट रिश्ता बनता है। अब जहाँ पति पत्नी दोनो कमाते है तो सारे तो नही कुछ पति भी पत्नी का बराबर का साथ देते है ।
आपकी क्या राय है इस बारे में ?
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल