अब तक आपने पढ़ा-अपने ऑफिस के काम से जब उर्वशी शताब्दी एक्सप्रेस में बैठकर चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए निकलती है, तब संयोग से उसे वहीं युवक मिल जाता है, जिसने उसकी वंदना दीदी की शादी में मनमोहक गीत गाया था, वह युवक मेजर बृजभूषण पांडे ही थे, जो अम्बाला से दिल्ली के लिए 26 जनवरी में दिल्ली की सुरक्षा के लिए पूरी बटालियन के साथ निकले थे। उर्वशी से मेजर पांडे के परिचय होने के बाद उर्वशी उसके ही साथ हाँथों में हाँथ डाले आगें का सफ़र पूरा करती है।
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अब आगें…
दिल्ली नज़दीक आते आते उर्वशी की बेचैनी बढ़ती जाती है, वह मेज़र पांडे को छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन तभी मेज़र पांडे ने उर्वशी से हाथ छुड़ाते हुये कहा.. उर्वशी अब दिल्ली आ रहा है, मुझे अपनी टीम के साथ होना चाहिए.. मैं अभी चलता हूँ.. शाम को मिलूंगा आपके पंकज जिज्जाजी के घर पर…
उर्वशी ने कहा.. सुनो… एक काम करना न हम उनसे इस मुलाकात का ज़िक्र ही नहीं करेंगे.. और शाम को उनके सामने हम बिल्कुल अजनबियों की तरह मिलतें हैं न .. बहुत मजा आयेगा… उर्वशी की बात सुनकर मेजर पांडे ने सहमति में अपना अंगूठा उठा कर थम्स-अप किया औऱ अपने कोच की तरफ़ चल दिया।
नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर लगभग सुबह 10.30 को पहुँच गई ,उर्वशी अपना लगेज़ लेकर प्रीपेड टैक्सी बूथ से गुड़गांव सेक्टर 14 के लिए निकल गई, जबकि मेजर पांडे और उनकी टीम को आर के पुरम सेक्टर 5 में सेना मुख्यालय जाकर डयूटी जॉइन करना था।
उस बहुमंजिला आलीशान अपार्टमेंट में दाखिल होते ही उर्वशी का स्वागत सिक्युरिटी गार्ड्स ने किया..
मैडम किससे मिलना है? गार्ड ने पूछा..
उर्वशी ने कहा…जी पंकज गौतम जी फ्लैट नंबर 1124
गार्ड ने इंटरकॉम से फ्लैट नम्बर 1124 पर सम्पर्क किया..
मैडम आपसे मिलने कोई मैडम आई हैं, कहकर गार्ड ने इशारे से उर्वशी का नाम और पता पूछा..
उर्वशी नाम है उनका, शिमला से आई है… गार्ड ने दूसरी तरफ की बात सुनकर प्रतिउत्तर ने जवाब दिया।
मैडम यहाँ एंट्री कर दीजिए, और फिर पहली विंग में जाकर लिफ्ट से 12वी मंजिल जाकर 4थे फ्लैट में चले जाइयेगा।
उर्वशी उस गार्ड के निर्देशानुसार 1124 फ्लैट तक पहुँच कर डोरबेल बजाती है।
टीरर्रर..टीरर्रर
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वंदना दीदी ने दरवाजा खोलकर उर्वशी का गर्मजोशी से स्वागत किया.. पंकज जीजाजी उस समय बाहर कटिंग करवाने गये हुये थे, इसलिए वंदना दीदी घर में “मेड” के साथ खाना बनवाने में व्यस्त थी।
पंकज जीजाजी का वह फ़्लैट अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त था वह.. दैनिक उपभोग की सभी वस्तुओं से लेकर ऐशोआराम का तमाम संसाधन मौजूद थे उस फ़्लैट में।
वंदना दीदी ने उर्वशी को चाय देते हुये कहा, तू चाय पीकर जल्दी फ्रेशअप हो जा तब तक तेरे जीजाजी आते ही होंगे..
उर्वशी नहाधोकर रेडी होने के बाद किचन में वंदना दीदी का हाथ बंटाने लगी..
तभी फिर से डोरबेल बजती है…
पंकज जीजाजी मुस्कुराते हुये कहतें है.. ओह्ह मैं थोड़ा सा लेट हो गया, साली साहिबा का स्वागत करने को..
फिर वंदना दीदी से कहा “वन्दू बाथरूम में मेरे कपड़े और टॉवेल रख दो सैलून से आया हूँ न, नहाधोकर फुर्सत से बैठता हूँ फ़िर”
जब तक पंकज जीजाजी नहा धोकर रेडी होकर आते हैं, डायनिंग टेबल पर खाना लग चुका था…
पंकज जीजाजी खाने की स्पेशल डिश देख कर बहुत खुश हो रहे थे, वैसे भी खुश क्यों न हो, उनकी इकलौती साली साहिबा जो आज पहली बार घर पधारी थी।
खाना खाते खाते जीजाजी ने बोला उर्वशी आज के लिए दो विकल्प हैं.. पहला हम अभी खाना खाने के बाद कार से पूरी दिल्ली की सैर के लिए निकल पड़तें हैं।
और दूसरा.. कहां इस दिल्ली के हेवी ट्रैफिक और किचकिच में घूमना, आराम से हम तीनों घर मे बैठ कर गप्पे मारते हैं, शादी का एलबम बन गया है वह देखते हैं, शादी की सीडी भी देख लेंगे, फिर ताश खेलेंगे, इसी प्रकार दिन निकल जायेगा।
ठीक हैं, मुझे दूसरा विकल्प पसन्द है, उर्वशी ने तत्काल कहा… जीजाजी ने वंदना दीदी की तरफ़ आँख मारते हुए कहा.. लगता है ” तू मेरी जिंदगी है ” को तलाशा जायेगा आज एलबम में..
धत.. अरे…मेरा वह मतलब नहीं था जीजाजी.. आप लोगों को हफ़्ते में एक दिन ही तो मिलता है आराम का, और मैं भी सुबह 3 बजे से ट्रैवल कर रही थी इसलिए थकान लग रही थी थोड़ी.. आप कहें तो हम दिल्ली घूमने जा सकतें हैं.. उर्वशी ने सफाई देते हुए कहा।
अरे बहुत भोली हो तुम उर्वशी.. इनकी तो आदत ही हो गई है परेशान करने की, तुम इनकी बात का बुरा मत मानना, वंदना दीदी ने बात सम्हालते हुये कहा..
अरे वाह.. ईश्वर की कृपा से एक ही साली मिली मुझे और उससे भी मज़ाक न करूं यह तो मेरा अधिकार है, पंकज जीजाजी ने भी अपनी बात रखते हुए कहा।
खाना खाने के बाद जीजाजी ने शादी का एलबम निकाल लिया और साथ ही टीवी पर उनके विवाह की डीवीडी भी चालू कर दी।
डीवीडी में बारात के प्रस्थान होने से लेकर विवाह की एक एक रस्म बारीकी से फिल्माई गई थी, साथ ही बैकग्राउंड में जीजाजी के पसन्द के गाने भरे हुए थे।
बीच बीच में उर्वशी एलबम के पन्ने भी पलटती जा रही थी।
वंदना दीदी ने वह पन्ना जिसमें मेज़र पांडे पंकज जीजाजी के साथ खाना खा रहे थे वाला फ़ोटो लगा था, देखकर उर्वशी को इशारे से मेजर पांडे की तरफ उंगली करके पूछा यही है न वह उस दिन गाना गाने वाला?
उर्वशी उत्तर दिए बिना शर्माकर टीवी की तरफ़ देखने लगीं.. बता तो ज़रा तुझे पसन्द है क्या यह? वंदना दीदी ने फिर से उर्वशी से पूछा.. हाँ दीदी गाता तो यह कमाल का है, मगर काम क्या करता है, घर में कौन कौन है, कहीं यह शादीशुदा तो नहीं.. यह सब पता करने के बात कुछ सोच सकतें हैं.. उर्वशी ने विस्तार से मन की बात कह दी। एलबम खत्म होते होते जीजाजी ने डीवीडी फ़ास्ट फारवर्ड करके उस रिकॉर्डिंग को लगा दिया जिसमें मेजर पांडे गाना गा रहा था.. तू मेरी जिंदगी हैं..
एक बार पुनः उर्वशी उसके गाने को सुनकर उसके ख्यालों में खोने लगती है, तभी पंकज जीजाजी बोलते हैं.. इतना खास भी नहीं गाता यह.. मुझे तो लग रहा था कि कोई गधा ढेंचू ढेंचू कर रहा हो..
जीजाजी जानबूझकर उर्वशी को गुस्सा दिलाये जा रहे थे और उर्वशी मन ही मन कुढ़ती जा रही थी। अचानक वह संजीदा होकर बोले उर्वशी, यह लड़का आर्मी में मेज़र हैं, मेजर ब्रजभूषण पांडे, मेरा बहुत अच्छा मित्र हैं, लड़के में ढूंढने से भी कोई ऐब नहीं मिलेगा, मैं इसे पिछले 8 वर्षों से जानता हूँ।
मैने इसे आज रात डिनर के लिए बुलाया है ताकि तुम दोनों एक दूसरे को देख समझ सको, लड़का अच्छे घर से है, सजातीय भी है, यदि तुम्हे सबकुछ ठीक लगे तो हम तुम्हारे पिताजी से इस लड़के के बारे में बताकर तुम्हारी शादी पक्की करवा देंगें।
उर्वशी ने जीजाजी से कहा आप सब मेरे से बड़े है, पूजनीय हैं, आप ने सोचा है तो कुछ न कुछ बात तो जरूर होगी पांडे जी में, जैसा आप कहेंगे वैसा ही करूंगी।
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थकान की वज़ह से उर्वशी की पलकें भारी हो रहीं थी, इसलिए वह एक बेडरूम में जाकर सो जाती हैं।
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