आज शादी का दिन भी आ गया, और अवनि दुल्हन बन कर अपने बाबुल का घर छोड़ कर अजय का हाथ थामकर ससुराल के लिए रवाना हो गई।
जैसे जैसे विदाई की गाड़ी आगे बढ़ रही थी। ससुराल नज़दीक होते जा रहा था और मायका पीछे छूटता जा रहा था।
अवनि की नज़रों से बाबुल का घर ओझल होता जा रहा था।
गाड़ी में बैठे बैठे अवनि ने आँखें बंद कर ली , आँखें बंद होते ही उसके ज़हन में बाबुल के घर की यादें एक एक करके ताज़ा होने लगी।
5 साल की थी अवनि जब माँ उसे और पापा को छोड़कर हमेशा के लिए सो गई थी। उस वक़्त पापा पर सबका दबाव था कि वो दूसरी शादी कर के अपना संसार दोबारा बसा लें लेकिन पापा ने अवनि को ही अपना पूरा संसार बना लिया था। वो अवनि को देखकर ही जागते थे और अवनि को ही देखकर सोते थे। अवनि को स्कूल के लिए तैयार करना ,
उसका टिफिन खुद बना कर पैक करना , ख़ुद ही उसे स्कूल छोड़ना , दोपहर को दुकान से उठकर अवनि को स्कूल से वापस लाना , उसे खाना खिलाना , फिर दुकान पर ले जाकर शाम को दुकान बंद होने तक अपने साथ रखना और घर आकर रात का खाना खिलाकर फिर कहानियां सुनकर उसे सुला देना , ये सब पापा ही करते थे। घर में मेड तो आती थी लेकिन पापा ने कभी भी अवनि को मेड के भरोसे नहीं छोड़ा।
अवनि अब बड़ी हो चुकी थी और कॉलेज जाने लगी थी लेकिन पापा के लिए वो आज भी वही छोटी सी अवनि थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
और आज अवनि की शादी अजय से हो गई। अजय अवनि के ही कॉलेज में पढता था और आज अपने पिता के बिज़नेस को संभाल चूका था , अवनि और अजय एक दूसरे से प्यार करते थे , दोनों की घरवालों की रज़ामंदी से शादी सम्पन्न हो गई।
शादी के एक महीने पहले से ही पापा शादी की तैयारियों में जुट गए थे , वो अवनि की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। गहने,कपडे, शादी का खाना, बैंक्वेट हॉल, दूल्हे के परिवार के लिए तोहफे , पापा हर चीज़ एक से बढ़कर एक कर रहे थे. हालाँकि अजय के घरवालों की कोई डिमांड नहीं थी लेकिन फिर भी पापा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
आखिर विदाई का वक़्त आ गया, अवनि को लगा था कि पापा विदाई के वक़्त फूट फूट कर रो पड़ेंगे लेकिन विदाई के समय पापा के होंठो पर मुस्कान थी। अवनि को ये देखकर एक सुकून हुआ कि पापा खुश हैं लेकिन पापा के दिल की बात उसे नहीं पता थी कि पापा इसलिए नहीं रोये कि कहीं उन्हें रोता देख अवनि को विदा होकर जाना मुश्किल न हो जाये। विदाई के समय पापा ने अवनि को ढेरों आशीर्वाद देकर विदा कर दिया।
ये सब सोचते सोचते अचानक से गाड़ी रुकी तो अवनि की आँखें खुल गई। उसने देखा कि ससुराल आ चुका है और वहां अवनि के स्वागत की भव्य तैयारी की गई है , बहुत हर्षोउल्लास के साथ अवनि का स्वागत किया गया, ससुराल में कई रस्में निभाई गई। अवनि इन सब से खुश तो थी लेकिन कहीं न कहीं उस के मन में पापा को लेकर चिंता थी कि पापा क्या कर रहे होंगे , उन्हें तो अवनि के बिना रहने की ज़रा भी आदत नहीं है।
आख़िरकार जब अवनि को उसके कमरे में भेजा गया तो उसने कमरे में जाते ही पापा को फ़ोन लगा दिया। उधर से पापा के फ़ोन न उठाने पर अवनि परेशान हो उठी। अजय भी तब तक कमरे में आ चुका था , अवनि को परेशान देखकर जब उसने कारण पूछा तो अवनि ने पापा के फ़ोन न उठाने की बात अजय से कही। सारी बात सुनकर अजय ने अवनि से कहा कि हो सकता है पापा थक कर सो गए होंगे ,
इस कहानी को भी पढ़ें:
अजय ने अवनि को भरोसा दिलाया कि वो कल सुबह ही अवनि को पापा से मिलाने ले जायेगा। अजय के समझाने पर अवनि ने एक गहरी सांस ली और लेटकर सुबह होने का इन्तेज़ार करने लगी। नींद उसकी आँखों से गायब थी। खैर किसी तरह सुबह हुई और वादे के मुताबिक अजय अवनि को लेकर से उसके पापा से मिलाने के लिए निकल गया , रास्ते भर अवनि को एक बेचैनी सी हो रही थी क्योंकि पापा अब भी फ़ोन नहीं उठा रहे थे
,अवनि ने अजय से बताया कि वो पापा की जान है , पापा उसके बिना कैसे रह रहे होंगे।
किसी तरह से रास्ता कटा और अवनि अपने बाबूल के द्वार पर आ खड़ी हुई। अवनि ने डोरबेल बजाया तो किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला ,अवनि के पास घर की दूसरी चाबी रहती थी , अवनि ने अपनी चाबी से घर का दरवाज़ा खोला और अंदर दाखिल हुए। अंदर का मंज़र देखकर अवनि की चीख निकल गई ,
सामने रेस्ट चेयर पर पापा सो चुके थे ,अवनि उनसे लिपट कर बेतहाशा रोने लगी , अजय भी ये सब देखकर खड़ा रह गया , वो अवनि को सँभालने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा उसे पापा के हाथों में एक चिठ्ठी दिखाई दी , पापा के हाथ से वो चिठ्ठी लेकर अजय ने पढ़ना शुरू किया जिसमें पापा ने लिखा था
“अवनि, बेटा तेरी ज़िम्मेदारी तेरी माँ मुझे सौंप कर गई थी जिसे मैंने हमेशा अच्छे से निभाने की कोशिश की , तुझे अपना साया बना कर रखा और ख़ुद तेरा साया बना रहा। तू मेरी जान है और आज मेरी जान बाबुल का घर छोड़कर विदा हो गई। मैं आज निश्चिन्त हो गया कि मेरी अवनि का ध्यान रखने वाला , हमेशा उसके साथ रहने वाला उसका जीवनसाथी उसे मिल गया है। अवनि बेटा ,
इस कहानी को भी पढ़ें:
यहां मैं तेरे साथ रहा और अब ससुराल में अजय तेरे साथ रहेगा , वहां का परिवार तेरा परिवार है लेकिन बेटा ऊपर आसमान में तेरी माँ भी तो अकेली है, इतने सालों से वो मुझसे मिल नहीं पाई। मेरी जान तुझमें अटकी हुई थी पर अब मैं तेरी माँ के पास जा सकता हूँ उसे भी तो अपने साथी की ज़रूरत है, वो मुझे पुकार रही है, वो मुझे लेने आई है , मुझे जाना होगा , तू खुश रहना बेटा , तेरे मम्मी पापा हमेशा तेरे साथ तेरे पास हैं “।
अवनि ये चिठ्ठी सुनकर अपने आंसू पोछंते हुए बोली कि पापा आप मम्मी के पास उनका अकेलापन दूर करने उन्हें वक़्त देने उनके पास चले गए लेकिन आप दोनों हमेशा मेरे सामने हो। मैं भले से ससुराल चली गई हूँ लेकिन मेरे बाबुल का घर” हमेशा मेरा रहेगा , मेरे बाबुल की यादें मेरे साथ रहेगी। भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि आप दोनों जहाँ भी रहें , साथ रहें और खुश रहें। इतना कहकर अवनि की आँखों से खामोश आंसू बह निकले।
शनाया अहम