एक राजा था बहुत ही दयालु और भगवान का भक्त उसकी राजधानी में कोई मंदिर नहीं था एक दिन वह राजधानी में भगवान का मंदिर बनवा दिया और एक पंडित को मंदिर की जिम्मेदारी सौंप दी पंडित बहुत विद्वान था वह सुबह शाम मंदिर को खोलता बंद करता भगवान को तैयार करता और फिर लोगों को पूजा कराता।
इस तरह राज्य में सभी खुशी पूर्वक रह रहे थे। लोग मंदिर जाते और विष्णु भगवान की सुंदर सी मूर्ति की पूजा करते और फिर घर वापस आ जाते हैं । पंडित जी मंदिर के खुलने और बंद होने के समय को निर्धारित कर दिया था। राजा भी रोज शाम को मंदिर जाता पूजा करता और चला आता है ।
1 दिन राजा को मंदिर पहुंचने में देर हो गई जब वह मंदिर पहुंचा तो उसने पाया कि पंडित ने मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया है । राजा ने पूछा तो पंडित ने बताया कि राजन अब भगवान जी सो गए हैं इसलिए पट बंद हो गए हैं मंदिर बंद हो गया है कल सुबह खुलेगा तो आप कल सुबह आकर भगवान का दर्शन कर लीजिएगा ।
राजा बहुत प्रसन्न हुआ कि पंडित नियम का पक्का है । ये जानकर उसे बहुत खुशी हुई।
एकदिन दूसरे राज्य से एक सेठ आया और वह मंदिर में भगवान के दर्शन करने की इच्छा जताई मंदिर पहुंचा तो मंदिर के दरवाजे बंद थे वह पंडित से मिला पंडित ने उसे दरवाजा नहीं खोलने की बात कही कहा की मंदिर तो अब सुबह ही खुलेगा सेठ को बहुत निराशा हुई। फिर सेठ ने पंडित को स्वर्ण मुद्राओं से भरी एक थैली पकड़ाई और बोला कि इसे भगवान के चरणों में चढ़ाना है।
पंडित ने स्वर्ण मुद्रा से भरी थैली को देखा और फिर मंदिर के द्वार खोल दिया। किसी व्यक्ति ने इस बात की शिकायत राजा से कर दी। महाराज एक सेठ के लिए मंदिर का द्वार रात में भी खोल दिया गया था।
राजा ने पंडित को बुलाया और पूछा कि क्यों पंडित मंदिर खुलने का समय कब होता है पंडित ने कहा सुबह 6:00 बजे फिर राजा ने कहा कि बंद होने का समय कब होता है पंडित ने कहा शाम को 7:00 बजे । राजा ने फिर पूछा कि यह कैसे तय होता है कि भगवान कब सोते हैं और कब जागते हैं।
पंडित ने कहा कि राजन जब मैं सुबह नहला कर भगवान को तैयार करता हूं तो भगवान जाग जाते हैं फिर शाम को जब मैं आरती लगा कर उन्हें भोग लगा कर सुला देता हूं तो वह सो जाते हैं। राजा पंडित के पीछे पड़ गया उसने पूछा क्या भगवान को सोने के बाद रात में जगाया जा सकता है।
नहीं राजा जब वह एक बार सो गए तो सो गए फिर उन्हें कोई परेशान नहीं कर सकता वह अब सुबह उठते हैं । राजा थोड़ा कड़क हो गया सोच लो पंडित क्या भगवान किसी भी तरह नहीं जागते या कोई उपाय है। अब पंडित का माथा ठनका वह समझ गया कि हो ना हो किसी ने उस रात की सेठ को मंदिर की दरवाजा खोलने वाली बात किसी ने राजा से कह दी है।
महाराज अगर माँ लक्ष्मी दरवाजे पर दस्तक दे तो फिर मंदिर को खोलने में कोई बुराई नहीं है वह दरवाजा अपने आप ही खुल जाएगा मैं चाहूं तो भी नहीं बंद हो सकता है । मैं अगर दरवाजा नहीं खोलूंगा तो भगवान विष्णु स्वयं आकर दरवाजा खोल देंगे। आखिर लक्ष्मी उनकी पत्नी है। राजा समझ गया कि अगर लक्ष्मी खड़ी हो जाएंगी तो भगवान भी दरवाजा खोलने के लिए खड़े हो जाएंगे।
इस बार इस कहानी की शिक्षा मैं आप पर छोड़ता हूं कि आप इस कहानी से क्या शिक्षा पाते हैं हमें कमेंट करके जरूर बताइए।