अब तो तुम शादी कर लो – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पीहू की पढाई ख़त्म होते ही, सारे मित्र, रिश्तेदार पीछे पड़ गये अब क्या करना है? अब तो इसकी शादी कर ही दो। साधना जी बहुत परेशान हो गईं सबकी मुफ्त की सलाह से|

आते-जाते लोग बाग रिश्ता भी बता जाते। पीहू से भी वो कहीं भी जाये शादी ब्याह में लोग कहते अब तो तुम भी शादी कर लो। शादी ना हो गई, एक डिग्री हो गई जिसे हर लड़की को पाना जरूरी हो गया। पीहू ने सब जगह जाना छोड़ दिया।

उधर पीहू का कैंपस सलेक्शन हुआ था। उसे जॉब ज्वाइन करना था, शादी की बात सुन वो भड़क गई.. दो साल सोचना भी नहीं  शादी का… माँ..।साधना जी समझ नहीं पा रही पीहू के जॉब में जाने की तैयारी करें, या शादी की..।

एक दिन पड़ोसी निर्मला जी आई… उस दिन पीहू घर पर थी। निर्मला जी को देख साधना जी डर गई, क्योंकि वो हमेशा पीहू के लिए दो-चार रिश्ता बताती रहती हैं..। आज भी आते बोली.. साधना चाय के साथ तो आज पकौड़े भी खाने को मन कर रहा हैं..।जी दीदी बनाती हूँ..। कह वे चाय और पकौड़े बनाने चली गई..।साधना जी मेहमान नवाजी के लिए प्रसिद्ध थी… कई लोग तो उनकी इस खूबी का फ़ायदा भी उठाते थे..।

उनमें से एक निर्मला जी भी थी..।

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 चाय पकौड़े ले,..जब साधना जी आई तब तक निर्मला जी एक झपकी ले चुकी थी..। पकौड़े खाते उन्होंने पूछा,और पीहू की कहीं बात बनी..। नहीं दीदी अभी तक तो हमने कोई लड़का देखा नहीं..। क्यों..? निर्मला जी के प्रश्न पर पहले तो साधना जी चुप रही,, फिर बोली पीहू अभी दो साल तक शादी नहीं करना चाहती..,

अपना कैरियर बनाना चाहती..। इतना सुनते ही निर्मला जी जोर जोर से बोलने लगी..,. क्या कहती हो साधना… लड़की की  बुढ़ापे में शादी करोगी… तेइस की हो गई पीहू..। हमने तो अपनी गुड्डी की अठारह में ही शादी कर दी थी..।  तुम भी जल्दी करो नहीं तो लड़की हाथ से निकल जाएगी…, कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया, तो मुँह दिखाने के काबिल भी नहीं रहोगी….।

साधना जी अब बर्दाश्त नहीं कर पाई बोली  दीदी आप की गुड्डी ही आपको मुँह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ी थी, वो तो भाग गई थी… बात दबा कर आपने उसकी तुरंत शादी कर दी थी… तभी आपने उसकी अठारह साल में शादी की थी…ये आप भूल गई..।  क्षमा करियेगा मुझे कहना नहीं था पर अपनी बेटी पर गलत बात मै बर्दाश्त नहीं करुँगी..। निर्मला जी अपना सा मुँह लेकर चली गई.।

अपने कमरे के दरवाजे पर खड़ी पीहू अपनी सरल हृदय माँ की कठोर बात सुन… मुस्कुरा दी..। दौड़ कर गले लग गई… माँ आप इतना बोल लेती हो.. पहली बार आप को इस तरह जवाब देते देखा…. थैंक यू माँ… लव यू..।

 बेटे हमेशा जवाब देना अच्छा नहीं पर जब पानी सिर के ऊपर से निकलने लगे तो जवाब देना जरूरी हो जाता हैं..।और एक माँ कभी भी अपने बच्चे के विरुद्ध नहीं सुन पाती| अपने बच्चे के लिए तो बिल्ली भी शेर बन जाती हैं।

संगीता त्रिपाठी

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