सुबह के वक्त मेघा बहुत प्यारा सपना देख रही थी। सपने में उसकी मम्मी उसे गोद में लेकर बहुत प्यार कर रही थी। वह मीठे सपनों में खोई हुई थी कि तभी उसके कानों में उसकी सौतेली मां की आवाज आई “अरी बदनसीब सोती ही रहेगी क्या? चल जल्दी से उठ कर घर में झाड़ू लगा और फिर राघव के लिए जल्दी से खाना बनाकर पैक कर दे नहीं तो इसे स्कूल के लिए देर हो जाएगी। आज मेरा बेटा पहली बार स्कूल जाएगा मैं अभी उसे उठाकर दूध पिलाती हूं।”
यह कहकर अलका राघव को प्यार से उठाकर उसे गोद में लेकर दूध पिलाने लगी और मेघा जल्दी से चारपाई से उठकर घर में झाड़ू लगाने लगी थी। जल्दी-जल्दी झाड़ू लगाकर फिर वह राघव के लिए आटा गूंद कर पनीर के परांठे बनाने लगी क्योंकि राघव को पनीर के पराठे बेहद पसंद थे। पराठे बना कर उन्हें करीने से पैक कर के जब वह राघव के बैग में रखने लगी तो अनायास ही उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे थे।
यह देखकर अलका बोली” देख मनहूस कहीं की सुबह-सुबह आंसू बहा रही है अरे रोना अच्छा नहीं होता अपनी मां को तो खा गई अब किसको खाएगी?”
यह सुनकर मेघा मासूमियत से बोली “मम्मी जी भैया का बैग देख कर मुझे अपनी मम्मी याद आ गई थी यदि आज मम्मी जिंदा होती तो मैं भी इसी तरह बैग लेकर अपने स्कूल जाती। मम्मी जी अपनी मम्मी को मैंने नहीं खाया था मम्मी तो पापा और दादी की लापरवाही से मर गई थी कुछ दिनों पहले जब नानी मुझसे मिलने आई थी तब मैंने नानी से पूछा था कि नानी क्या मम्मी मेरी वजह से मरी थी? क्योंकि दादी मुझसे हमेशा आपकी तरह ही कहती हैं तब नानी ने मुझे बताया कि जब तेरा जन्म हुआ था तब तेरी मम्मी की हालत बेहद खराब हो गई थी।
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उन्होंने तेरे पापा और दादी से बहुत कहा कि मुझे अस्पताल ले चलो तब किसी ने उनकी एक ना सुनी दादी ने पापा से कहा कि ऐसे वक्त में दर्द तो होता ही है दाई है ना वह सब संभाल लेगी। पड़ोस के गांव में एक दाई रहती है चल मेरे साथ दाई को बुला कर लाते हैं। जब तक वे दाई को बुला कर लाए तब तक मम्मी मुझे जन्म देकर दर्द के कारण तड़प तड़प कर मर गई थी।
मम्मी जी जब आप राघव को जन्म देने वाली थी तब मैंने पापा और दादी से हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि मम्मी को अस्पताल ले जाओ। कहीं ऐसा ना हो छोटा बेबी भी मेरी तरह अनाथ हो जाए। मम्मी जी मेरी बात सुनकर जब आप को अस्पताल लेकर जा रहे थे तब मैं हाथ जोड़कर भगवान से दुआ कर रही थी हे भगवान ! छोटा बेबी और मम्मी सही सलामत रहे।”
यह सुनकर अलका बोली “मैं तो तुम्हें दिन भर गाली देती रहती हूं। फिर तुम मेरे लिए भगवान से मेरी जीवित रहने के लिए दुआ क्यों मांग रही थी?” तब मेघा बोली “इसलिए मम्मी जी यदि आपको कुछ हो जाता तो यह भी तरस जाता किसी के मुख से प्यार के दो बोल सुनने को जब किसी की मम्मी मर जाती है तो उसे जिंदगी भर गालियां ही सुनने को मिलती हैं।”
मेघा की बात सुनकर अलका सन्न रह गई थी क्योंकि जब उसके पति अमित ने उससे शादी की थी तब उसके पति और सास ने उसे यही बताया था कि मेघा को जन्म देते वक्त उसकी मम्मी की मौत हो गई थी उन्होंने उसे यह नहीं बताया कि उनकी लापरवाही से उसकी मम्मी की जान गई थी। जब उसने अपने पति और सास से इस बारे में पूछा तो शर्म के मारे उनकी गर्दन झुक गई थी ।यह देख कर अलका को मासूम मेघा पर बहुत तरस आया क्योंकि उसकी दादी हमेशा उसको बदनसीब और अभागन कहकर बुलाती थी और उससे दिन भर घर के काम करवाती थी।
उनकी देखा देखी वह भी मेघा से ऐसे ही बोलती थी। उसने भी कभी उससे प्यार के दो शब्द नहीं बोले थे। बस दिन भर उससे बदनसीब और अभागन कहकर घर का काम करवाती थी।
अलका मन ही मन सोचने लगी कितनी अच्छी है यह बच्ची जो भगवान से मेरी सलामती के लिए दुआ कर रही थी ताकि मेरे बच्चे को गालियां ना सुनने को मिले और इस बच्चे को मेरा प्यार मिले। अपने पति और सास की बातों में आकर मैं इससे कभी प्यार से नहीं बोली। उसे मेघा का मासूम चेहरा देखकर उस पर तरस आ गया जो प्यार के दो शब्दों के लिए तरस गई थी।
उसने प्यार से मेघा को गोद में उठा लिया और उसके माथे पर प्यार से चुंबनों की बरसात करते हुए अपने पति और सास से बोली “यह तो बाबुल के आंगन की लक्ष्मी है आज के बाद तुम्हें कोई बदनसीब और अभागन नहीं कहेगा सब तुम्हें प्रिया कहेंगे क्योंकि तुम बेहद प्यारी हो । यदि इन्होंने ऐसा कहा तो मैं लोगों को बता दूंगी की तुम्हारी मम्मी की मौत तुम्हारी वजह से नहीं इन की लापरवाही से हुई थी।”
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यह सुनकर उसकी सास बोली “बहु हमारे जमाने में तो दाई के द्वारा सभी बच्चे घर में ही सही सलामत पैदा हो जाते थे मुझे क्या क्या पता था कि ऐसी अनहोनी हो जाएगी। गलती हमारी ही थी जो हम उसे सही समय पर अस्पताल नहीं ले कर गए वह तो हमसे बार-बार हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही थी कि मुझे अस्पताल ले जाओ इस को जन्म देते वक्त उसके शरीर से ज्यादा खून बह गया था जिसके कारण उसकी मौत हो गई थी। वह गलती दोबारा ना हो इसलिए राघव के जन्म के समय हम तुम्हें अस्पताल लेकर गए थे क्योंकि पहली पत्नी को खोने के बाद
अमित तुम्हें खोना नहीं चाहता था। हम अपनी गलती की सजा इस मासूम को मनहूस और अभागन कहकर देते थे। यह जानते हुए भी कि इसमें इसका कोई दोष नहीं था। कभी इससे हम प्यार से बोले भी नही और ना नहीं इसका स्कूल में दाखिला करवाया परंतु ,अब ऐसा नहीं होगा आज के बाद यह भी राघव के साथ स्कूल जाएगी मैं आज ही अमित के साथ स्कूल जाकर इसका दाखिला करवाऊंगी ।”
सास की बात सुनकर अलका के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी खुशी से उसने मेघा से कहा ” अब तुझे घर का काम करने की कोई जरूरत नहीं है कल से तू भी राघव के साथ स्कूल जाना।” यह सुनकर मेघा खुश हो गई थी उसका सुबह का देखा हुआ उसका सपना सच हो गया था क्योंकि आज सच में उसे अपनी मम्मी का प्यार मिल गया था।
एक सत्य घटना पर आधारित रचना जो मैंने कुछ बदलाव करके लिखी है आज भी हमारे देश के बहुत से गांवों में अनेक औरतों की बच्चे को जन्म देते समय उचित समय पर उचित इलाज ना मिलने के कारण मृत्यु हो जाती है जिसके लिए वे खुद को दोषी ना मानकर होने वाले बच्चे को अभागन और बदनसीब कह कर दोषी ठहराते हैं
जिसमें उसका कोई दोष नहीं होता ऐसे बच्चे प्यार के दो बोल सुनने को भी तरस जाते हैं आज के आधुनिक समय में भी बहुत से लोग डॉक्टर से ज्यादा गांव में रहने वाली दाई पर विश्वास करते हैं दाई बेहद प्रशिक्षित अनुभवी होती है परंतु, उनके पास वह सुविधाएं नहीं होती जो अस्पताल में डॉक्टरों के पास होती है इसलिए कभी कभी सुविधाओं की कमी से भी औरतों की मौत हो जाती है।
बीना शर्मा