तोहफा राखी का – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

अवनी लोन में बैठी हुई चाय पी रही थी की फोन की घंटी बजी उसने देखा उसकी सहेली नेहा का फोन था l अवनी ने फोन उठाया और बोली हेलो आज कैसे मेरी याद आ गई सब खैरियत तो है l

नेहा बोली की सब ठीक है परंतु तू यह बता तेरी ननंद का नाम रागिनी है l अवनी ने कहा हां l और रागिनी के पति का नाम सार्थक है l अवनी बोली की तू यह सब क्यों पूछ रही है कोई खास बात है क्या जल्दी बता मुझे घबराहट हो रही है l

नेहा बोली कि मेरे पास वाले फ्लैट में ही वह लोग रहते हैं मैं तेरे साथ कभी देखा होगा तो मुझे याद आया क्यों तेरी ननंद है कंफर्म करने के लिए मैंने तुझे पूछा l

बात यह है कि हम लोग गाड़ी खरीदना चाहते हैं l यह बात उन्हें किसी तरह पता लग गई और वह हमारे घर आए फिर बोले कि हम अपनी गाड़ी बेचना चाहते हैं उनकी बिल्कुल नई गाड़ी है अभी कुछ दिन पहले खरीदी है l उनकी क्या मजबूरी हो सकती है यह मैंने तुझे बताना जरूरी समझा तभी तुझे फोन किया है l

अवनी ने कहा कि तूने बहुत अच्छा किया अब तो उनसे गाड़ी खरीदने के लिए मना मत करना कुछ मजबूरी दिखा कर दो-चार दिन टाल दे l पता कर कि वह गाड़ी क्यों बेचना चाहते हैं फिर मुझे बताना l

दूसरे दिन शाम को नेहा ने अवनी को फोन पर बताया की रागिनी के पति सार्थक की नौकरी छूट गई है उनकी कंपनी घाटे में चल रही थी इस परिस्थिति में कई लोगों को नौकरी से निकल गया उनमें सार्थक भी शामिल है l नौकरी कब तक मिलेगी तब तक गाड़ी का भी क्या करेंगे और गाड़ी बेचने पर जो पैसे उन्हें मिलेंगे उनसे उन्हें सहायता भी मिल जाएगी l

अवनी ने कहा कि मैं कल तेरे घर आऊंगी फिर कोई हल निकालेंगे l

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अवनी फोन बंद करके सोने लगे कि आखिर वह मेरी ननद है इसकी कैसे सहायता करूं राघव को बताती हूं तो उन लोगों के सम्मान को ठेस पहुंचेगी l

अवनी को याद आया कि उसकी 5 लाख की एक एचडी है उसे कैसे करके मैं रागिनी की मदद कर सकती हूं l अवनी एचडी लेकर बैंक गई और उसने उसे तुड़वाकर पैसे लिएl पैसे लेकर वह सीधे नेहा के घर पहुंची l नेहा ने गेट खोल तो पहले दोनों सहेलियां गली मिली l फिर चाय पानी होने के बाद अवनी ने पैसे नेहा को दिए और कहां कि जब रागिनी आए तो उसे यह पैसे यह कह कर दे देना कि यह गाड़ी का एडवांस है हमें 2 दिन के लिए बाहर जाना है और बैंक से पैसे मेरे पति ने निकल लिए हैं l पैसे देकर अवनी अपने घर चली गई l

दूसरे दिन रागिनी और सार्थक नेहा के घर पहुंच गए निहाने उन्हें पैसे दिए और कहा कि हम लोग दो-तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं और उसके बाद आकर गाड़ी के कागज कंप्लीट कर लेंगे l सार्थक ने गाड़ी की चाबी उन्हें दे दी l

अवनी जब घर पहुंची तो देखा कि सार्थक घर आ गया है l अवनी ने चाय बनाई और दोनों बैठकर चाय पीने लगे तभी राघव के दोस्त का मैसेज आता है क्योंकि बैंक में नौकरी करता था l मैसेज पढ़कर राघव अवनी से पूछता है कि तुमने अपनी फिक्स खत्म कर दी है l

अवनी बोली हां वह मेरे पैसे थे l राघव ने कहा की कि तुम्हारे मम्मी पापा ने पैसे मांगे थे तुम मुझसे कहती हूं मैं इंतजाम करता तुमने एचडी क्यों तुडवा दी l

अवनी बोली मम्मी पापा ने पैसे नहीं मांगे थे मुझे जरूरत थी और मेरे पैसे थे उनका मैं कुछ भी करूं l

राघव के चेहरे पर गुस्सा और असमंजस देखकर अवनी बोली कि कल रक्षाबंधन है प्यार का त्यौहार है अच्छा रहेगा इस बारे में हम त्योहार के बाद बात करें l खुशी खुशी पहले त्योहार मनाए l

राघव बोला ठीक है लेकिन उसके मन की स्थिति अवनी समझ रही थी l

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दूसरे दिन रक्षाबंधन था सुबह उठकर अवनी ने अच्छी तरह से घर की साफ सफाई की घर को सजाया और नाश्ते की तैयारी कर ली l उसकी ननद रागिनी राखी बांधने आने वाली थी उसका फोन भी आ गया था l वैसे रागिनी राघव से 3 साल छोटी थी लेकिन अवनी उसे दीदी का कर ही बोलती थी l

रागिनी पर्दे संभाल रही थी तभी डोर बेल बजी राघव ने गेट खोला तो हंसती हुई रागनी घर के अंदर आ गई और अपने भाई के गले मिली l दोनों सोफे पर बैठ गए l अवनी ने बाहर आकर रागिनी से पूछा 

दीदी जीजा जी नहीं आए 

रागिनी बोली वह अपनी बहन से राखी बंधवाने गए हैं l अवनी रागिनी को पानी दिया और चाय बनने के लिए रख दी l

रागिनी ने अपने बैग से राखी और मिठाई निकाली और बोली चलो भैया राखी बंधवा लो मुझे जल्दी घर पहुंचना है क्योंकि शहर में बहुत भीड़ है सुबह भी बड़ी मुश्किल से ऑटो मिला था l

अभी बोली ऑटो दीदी आपके पास तो गाड़ी थी l

रागिनी शक पकाते हुए बोली भाभी को गाड़ी उनके दोस्त मांग कर ले गए हैं l

अवनी बोली दोस्त ले गया या गाड़ी बेच दी 

रागिनी अवाक रह गई और बोली भाभी 3 महीने हो गए सार्थक की नौकरी छूट गई घर का सारा पैसा खर्च हो गया तो गाड़ी बेचनी पड़ी l मैं आप लोगों को कष्ट नहीं देना चाहती थी l

अवनी बोली दीदी इतना सब कुछ हो गया आपने हमें बताना भी जरूरी नहीं समझा हम लोगों को इतना पराया कर दिया क्यों दीदी l

रागिनी सर झुकाए चुपचाप बैठी रही l

अवनी बोली कि मुझे तो पता ही नहीं चलता अगर नेहा मेरी सहेली फोन करके मुझे ना बताती वह तुम्हें जानती थी कि तुम मेरी ननंद हो l तब मैंने उसे मना किया कि तुम गाड़ी मत खरीदना l

रागिनी बोली की भाभी वह पैसे l

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अवनी ने कहा अवनी ने कहा कि वह मैं देकर आई थी जिससे तुम लोगों को गाड़ी ना बेचनी पड़े और तुम लोग सुख से रहो l हां नेहा ने वादा भी किया है कि वह अपने पापा से कहकर सार्थक कि कहीं नौकरी लगवा देगी l

यह सुनकर यह सुनकर राघव की समझ में सब कुछ आ गया वह समझ गया की अवनी ने उन पैसों से उसकी बहन की ही मदद की थी l

राघव बोला अवनी मुझे माफ कर दो मैं बहुत खुशनसीब हूं जो मुझे तुम जैसी पत्नी मिली l

रागिनी की आंखों से अश्रु धारा बह रही थी वह बोली भैया मुझे माफ कर दो मैंने सोचा कि थोड़े दिनों में सार्थक को नौकरी मिल जाएगी और सब कुछ ठीक हो जाएगा किसी को कुछ पता नहीं चलेगा l रागिनी अवनी के गले लग गई l वातावरण को देखते हुए अवनी ने माहौल बदलते हुए कहा रागिनी आज राखी का दिन है रोना बंद करके अपने भाई को राखी बांधो l

राखी बंधवाने के बाद राघव बोला बहन तुझे क्या तोहफा चाहिए l

रागिनी हाथ जोड़कर बोली भैया भाभी ने मुझे बहुत बड़ा तोहफा आपकी तरफ से पहले ही दे दिया है वह भी आपकी ही परछाई है l उन्होंने पूरे सम्मान के साथ मुझे तोहफा दिया है l आज उन्होंने रक्षाबंधन का पूरा फर्ज निभा दिया l

रागिनी बोली की कहते हैं बेटी का मायका मां से होता है परंतु मेरे जैसी ममतामई भाभी अगर हो तो बेटियों को कभी मां की याद नहीं आएगी और सदैव उनके प्यार भरा मायका बना रहेगा l

इतने में अवनी का भाई भी राखी बंधवाने आ गया अवनी ने राखी बांधी और सबको खाना खिलाया सभी बहुत खुश थे l

बिंदेश्वरी त्यागी 

स्वरचित 

अप्रकाशित 

तोहफा राखी का

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