अब तक आपने पढ़ा…
विषम्भर दास जी के परिवार से दीनदयाल जी के परिवार की मुलाक़ात और उनकी बढ़ती हुयी नजदीकियों के साथ मनु और अनी के बीच एक खूबसूरत सा रिश्ता शुरू हुआ….
अब आगे….
अनिरुद्ध ने अतुल से जो रिपोर्ट मांगी थी अतुल ने वो उसे मेल कर दी थी….. अनिरुद्ध ने रिपोर्ट्स का प्रिंट निकाला और उसे पढ़ने लगा….. पूरे दिन की थकान के बाद वो रिपोर्ट पढ़ते – पढ़ते बेड पर लेट गया और उसे नींद आ गयी….
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मनु ज़ोर – ज़ोर से दरवाज़े को पीटे जा रह था…..अनी दरवाज़ा खोलो ना आज ही सारा सो लेगा क्या?? अरे कुछ रात में भी सो लेना… अनी खोल ना ?
“अरे यार!! अनी ने नींद से उठते हुए कहा पागल लड़की क्या है सोने भी नहीं देती है . ??
“अनी दरवाज़ा खोल.”… मनु ने फिर बोला और दरवाज़ा पीटने लगी
अनी लड़खाड़ाते हुए उठा और दरवाज़ा खोल कर अपनी आँखों को मलते हुए बोला – “क्या है?? ” तुझे पता है ना कि कल मैं एंट्रेंस पेपर देकर आया हूँ तक गया हूँ मुझे सोने दे.. “
मनु ने उसे पीछे किया और अंदर जाते हुए बोली….. “अरे सो लेना उसके लिए रात है ना…. “
अनी अपने सिर पर हाथ फेरते हुए बेड पर जा कर लेट गया और बोला….”. बोल क्या हुआ जो इतनी ज़ोर -ज़ोर से दरवाज़ा पीट रही थी…. “
मनु ने अपना फोन निकाला और उसमें से एक पिक उसको दिखायी
अनी ने पिक देखी और बोला – अच्छी है पिक कौन है ये…?? उसने फिर अपनी आँखे बंद कर ली
“ये वृंदा हैं दादा की होने वाली वाइफ और मेरी भाभी… “
क्या अनी उठ के बैठ गया और उसके हाथ से मोबाइल लेकर देखने लगा…
“दादा की शादी तय हो गयी”…. ??
“हम्म शायद…… “
“शायद का क्या मतलब?? “
“उनकी शादी की बात चल रही थी ना तो दादा ने सबको बताया है आज कि वो इनसे शादी करना चाहते है… “
“ओहो .. लव मैरेज कह कर अनी मुस्कुराने लगा “
“हाँ… “
“तो सबने क्या कहा… “??
“अभी तो संसद भवन में प्रस्ताव आया है….देखो पास होता है या नही.. ?? “
” ओह!!मतलब सब दादा की क्लास लगा रहे हैं “
“चलो ना तुम भी… देखते है “
“मैडम ये सब बड़ों का काम है और जो भी फैसला करेंगे सब.. पता चल ही जायेगा.. और वैसे भी कोई हमे वहाँ बैठने नही देगा तुम जाओ मुझे सोने दो ” कह कर अनी ने चादर ली और सिर तक ओढ़ ली..
मनु ने उसकी चादर खींचते हुए कहा “अरे…. उठ जाओ ना ये तो काफ़ी देर से चल रहा है अब तो पता चल ही जायेगा “
“तो ठीक है मुझे भी बता देना अब जाओ और सोने दो मुझे…तुम और अब एक भी शब्द बोली ना तो …. “
“तो क्या “??
अनी कुछ नहीं बोला
ठीक है मैं जा रही हूँ….. मैं सच में जा रही हूँ….
अनी फिर भी के नही बोला…. जाते मनु ने एक बार पीछे मुड़कर देखा और बोली -” कुंभकरण ” और मूहॅ बना कर चली गयी
अनी ने धीरे से चादर हटा कर एक बार जाते हुए मनु को देखा और फिर करवट बदल के सो गया
घर आ कर मनु को पता चला की दो दिन बाद सब वृंदा और उसके परिवार मिलने जाने वाले है…. वो भी खुश हो गयी…
वृंदा की मुलाक़ात अतुल से इंटरव्यू के दौरान हुयी थी … दोनों को ही जॉब मिल गयी थी… अतुल बैंक की दूसरी ब्रांच में था
और वृंदा अलग ब्रांच में….. लेकिन थोड़े दिनों के बाद दोनों एक ही ब्रांच में आ गए… वृंदा का सरल स्वभाव अतुल को अच्छा लगा और दोनों क़रीब आ गए…
अतुल की शादी की बात जब मालती ने घर में की तब अतुल ने वृंदा के बारे में बताया …
रामेश्वर जी ने वृंदा के माता पिता से बात की और कहीं होटल या रेस्टुरेंट की जगह मन्दिर में मिलने की बात करी
घर में खुशी का माहौल था….दीनदयाल जी को भी रामेश्वर जी ने बता दिया था… और उन्हें भी साथ चलने के लिए बोला था….
अनी ने मनु को मैसेज किया लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया सारा दिन ऐसे ही बीत गया
रात को मनु छत पर खड़ी हुयी चाँद का देख रही थी….. तभी अनी ने उसके सामने
आ गया और बोला – सॉरी
मनु ने अपना मूहॅ दूसरी तरफ कर लिया…
“अरे बोला ना सॉरी वो मैं थक गया था और उसने ये कहने के साथ मनु की पसंदीदा चॉकलेट उसके सामने रख दी… “
“हम्म ” मनु ने कहा और चॉकलेट ले ली वो वहीं दीवार के सहारे टिक कर खड़ी हो गयी और पूछा “रिज़ल्ट कब तक आयेगा तुम्हारा? ” मनु ने चॉकलेट खाते हुए पूछा
“दो हफ्ते में आना चाहिए… क्यों क्या हुआ “??
फिर तुम चले जाओगे … अगर दादा की शादी की डेट फिक्स हो गयी तो तुम आ ही नहीं पाओगे
“अभी पता नहीं क्या क्या रैंक आयेगी और पता कहाँ एडमिशन मिलेगा या दोबारा नीट का exam देना होगा… वैसे तुमने क्या सोचा है ??11th का half year निकल चुका है “
“अभी कुछ सोचा नहीं “
“सब जगह एंट्रेंस exam होता है सोचो फिर फॉर्म भरो.. “
“हम्म … वैसे तुम्हें तो हार्ट सर्जन बनना है ना…? “
“उसे कर्डियोथोरेसिक कहते है… हार्ट सर्जन नहीं और अभी तो बहुत समय है उसके लिए पहले ये exam क्लीयर हो फिर आगे देखते है “
“अब इतना मुझे फिल्हाल नही पता वैसे तुम क्या कहते हो मुझे क्या करना चाहिए? “
“ये मैं decide नहीं करूँगा ये तुम्हें खुद decide करना है कि तुम्हें क्या करना है “
छोड़ो वो सब सोच लेंगे बाद में अभी मैं चलती हूँ कह कर मनु चली गयी…
दो दिन बाद…. रामेश्वर जी और बाक़ी सब लोग मन्दिर जाने के लिए रेडी हो गए थे…
मालती ने मनु को वेस्टर्न ड्रेस् पहनने को मना किया था…और उसके लिए लाया हुआ सूट उसे दिया था…..मनु ने पिंक कलर का अनारकली सूट पहना था
ढीली सी छोटी बनायी थी…..मालती ने छोटी सी बिंदी उसे लगा दी थी… और हल्का सा मेक अप कर दिया था….
मनु बहुत प्यारी लग रही थी…..मालती के साथ मनु जब बाहर आयी तो उसका ये बदला हुआ रूप देख कर सब हैरान थे
सावित्री ने उसे देखा तो बोली – आज लग रहा है हमारे घर में एक बेटी भी है सब उनकी इस बात पर हँस दिए… तभी रामेश्वर जी ने कहा – अब चले वरना लेट हो जायेंगे…
सब बाहर आये दीनदयाल और सुमित्रा भी उनके साथ जा रहे बाक़ी कोई नही….दीनदयाल तो मना कर रहे थे लेकिन रामेश्वर जी के आग्रह करने पर चलने को तैयार हुए गाड़ी में बैठे और मन्दिर के लिए निकल गए
अनी किसी काम से बाहर गया हुआ था…. और मन्दिर में सबको मिलने वाला था
रामनगर से एक घण्टे की दूरी पर माता रानी का खूबसूरत सा मन्दिर था….. मन्दिर काफी बड़ा था ….बीच में माता रानी की संगमरमर की बनी हुयी प्रतिमा थी … उनके पास ही नौ रूपों में देवी की छोटी प्रतिमाएं थी….. मन्दिर के एक तरफ नदी
थी तो दूसरी तरफ आश्रम….. थोड़ी दूर पर गौशला भी थी…. एक सुंदर सा बगीचा जिसमें तरह तरह के फूल खिले हुए थे…. कुल मिला कर बहुत सुंदर मन्दिर था … बैठने के लिए भी अच्छी वयवस्था थी
रामेश्वर जी परिवार सहित मन्दिर में पहुँच गए थी….. वृंदा और उसके मम्मी , पापा मन्दिर के नीचे बनी हुयी सीढ़ियों के पास ही खड़े हुए थे ….. उन्होंने रामेश्वर जी को आते हुए देखा तो उनकी तरफ बढ़ गए …
एक दूसरे को देख कर दोनों ने हाथ जोड़े और जहाँ वृदां और उसकी माँ खड़ी थी वहाँ ले आए…
वृंदा के पिता ने अपने बारे में बताते हुए कहा ” जी मैं जगमोहन अग्रवाल और ये मेरी धर्मपत्नी मंजू और ये हमारी बेटी वृंदा…. जगमोहन जी कॉलेज में प्रोफेसर थे और उनकी पत्नी भी….
रामेश्वर जी ने भी सबका परिचय करवाया…
मंजू और वृंदा ने आगे बढ़ कर नमस्ते की…. सब मन्दिर में जाने वाली सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए…… मालती ने वृंदा से बात की तो उसका सरल रूप बहुत पसंद आया …..
देवी के दर्शन के बाद रामेश्वर जी बाक़ी सबके साथ बगीचे में आ गए और जगमोहन जी से बोले -” बच्चे एक दूसरे को पसंद करते है… तो आपका क्या कहना है इस बारे में?
जगमोहन जी ने कहा ” सही कहा आपने बच्चे एक दूसरे
पसंद करते है तो हमें कोई एतराज़ नहीं है “
“तो हम रिश्ता तय समझे ??”रामेश्वर जीने ने कहा…. जगमोहन जी ने भी हाँ कह दिया….
अतुल वृदां की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था…… वृंदा थोड़ा शर्मा रही थी..
अनी भी आ गया….. उसने सबको देखा और उसकी नज़र मनु पर जा कर टिक गयी जो आज उसे कुछ अलग सी दिख रही थी….. तभी रामेश्वर जी ने उसे अपने पास बुलाया और जगमोहन जी से मिलाते हुए बोले – “ये अनिरुद्ध है दीनदयाल जी का बेटा प्यार से हम इसे अनी बुलाते हैं “
अनी ने उनको हाथ जोड़ कर नमस्ते की
तो जगमोहन जी ने भी उसका जवाब सिर हिला कर दिया उन्होंने पूछा क्या कर रहे हो तो उसने बताया मेडिकल का exam दिया है
उसे भी पता चल गया कि अतुल और वृंदा का रिश्ता तय हो गया है….
मनु उसके पास आयी और बोली -“आओ तुम्हें भाभी से मिलाऊँ… “
भाभी ये अनिरुद्ध है दीनदयाल काका का बेटा…. अनिरुद्ध ने वृंदा को हैलो बोला तो वृंदा ने भी उसे हैलो कहा….. थोड़ी बहुत बात उन दोनों के बीच हुयी….
रिश्ता तय कर के और शादी की डेट निकालने की बात कर के रामेश्वर जी सबके साथ वापस घर आ गए….ये खुशखबरी उन्होंने विषम्भर और कल्याणी को भी बता दी थी…..
रात को अनि बेड पर लेटा हुआ मोबाइल में मन्दिर की पिक्स देख रहा था…. तभी मनु की एक पिक पर उसकी नज़र थम गयी…. उसने अपना मोबाइल बंद किया और आँखें बंद कर ली….. उसके मन में अजीब सी बेचैनी हो रही थी…. वो इधर – उधर करवट बदल रहा था फिर भी सो नहीं पा रहा था…. वो उठा और कमरे से बाहर निकल आया…… उसने आँखें बंद कि तो मनु की वो तस्वीर उसके सामने आ गयी…. वो वहीं सीढ़ियों पर बैठ गया…… उसे समझ नहीं आ रहा था उसके साथ हो क्या रहा है?? मनु की बात ” मैं अनी से ही शादी कर लूँगी ” उसके दिमाग में गुंजने लगी
उसने अपने मन में कहा – क्या हो रहा है मुझे?? मैं ये सब क्यूँ सोच रहा हूँ?? मैंने कभी ऐसा कुछ सोचा नही लेकिन आज उफ्फ्फ….. उसने अपने सिर को झटका दिया….. कमरे में गया पानी पिया और बेड पर लेट गया…
अतुल की शादी का महूर्त छह महीने बाद का निकला था…….. अनी का भी रिज़ल्ट आ गया अच्छे मार्क्स आने की वजह से उसका एडमिशन दिल्ली के AIIMS में हो गया था….. दोनों घरों में खुशी का माहौल था..
अनी को पन्द्रह दिन का समय मिला था कॉलेज जॉइन करने का….. पहली बार वो कहीं बाहर जा रहा था और काफी दूर भी … इसलिए सुमित्रा ने उसके लिया बहुत सारी तैयारी कर दी थी…
उसके जाने से एक रात पहले मनु थोड़ा उदास थी और अपनी पसंदीदा जगह छत पर दीवार के सहारे टिक करे बैठी हुयी थी…..
“क्या हुआ मनु”?? अनी ने अपने साथ लाए हुए meggi के बाउल को उसको दिया और खुद भी वहीं बैठ गया….
मनु ने बाउल लिया और उसमें रखे हुए काँटे को घूमते हुए बोली” कुछ नहीं “
“कुछ नहीं तो उदास क्यों हो “?
“तुम जा रहे हो और दादा की शादी पर आ भी नहीं पाओगे “
“अभी तो बहुत समय है वहाँ जा कर देखते है कि क्या होता है….. तुम इसलिए उदास हो? “
“हम्म ” मनु फिर से बाउल में काँटे को घुमाने लगी
“अच्छा तुमने सोचा क्या करोगी?? “
“नहीं अभी फाइनल हो जाएं फिर देखती हूँ “
“अपना ध्यान रखना और अब मैं चला जाऊँगा तो छत से
आना – जाना बंद समझी दरवाज़े से आना.. “
“हम्म ” मनु ने कहा
दोनों चुप थे कहाँ दोनों इतनी बातें करते थे हर वक़्त लड़ना , बहस करना लेकिन इस वक़्त दोनों क्या बात करें दोनों को ही समझ नही आ रहा था
“देखो मेरी तरफ ” अनी ने कहा
मनु ने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों में आँसू आ गए… उसने कोशिश की संभलने की मगर वो बह कर उसके गालों पर आ गए….
आँसू अनी की आँखों में भी थे….उसने मनु की आँखों से बहते आँसूओं को अपने हाथ से पौंछा और मुस्कुराते हुए कहा….” मैं तुम्हें मिस नहीं करूँगा….वहाँ नये दोस्त बना लूँगा “
मनु ने भी मुस्कुराते हुए कहा… “ठीक है मैं भी बना लूँगी नये दोस्त और मैं भी तुम्हें मिस नहीं करने वाली “
उसने सांस भरी और उठते हुए बोली ” रात बहुत हो गयी मैं जाती हूँ……
मनु उठ कर जाने लगी तो अनी ने उसका हाथ पकड़ा… मनु ने पीछे देखा तो वो भी उठ गया….
मनु उसे देख रही थी अनी ने वैसे ही उसका हाथ पकड़े हुए उसकी आँखों में देखते हुए बोला ” बहुत मिस करूँगा मैं तुम्हें …बहुत “
मनु की नज़रें नीची हो गयीं .. उसने धीरे से अपनी पलकों को ऊपर उठाया तो अनी उसे ही देखे जा रहा था…..
मनु ने अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाया और भागती हुयी अपने घर की छत पर से होती हुयी नीचे चली गयी ….!!
क्रमश:
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर