प्यार करने का हक आपको भी है – के कामेश्वरी   : Moral Stories in Hindi

ज्योति मेडिकल कॉलेज से बाहर आई और हॉस्टल की तरफ़ मुड़कर जाने लगी आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि उसका हाउस सर्जन का आख़िरी दिन था । अब वह डॉक्टर बन गई है । डॉक्टर ज्योति वाहह !!! उसी समय पीछे से मनोज ने आवाज़ दी ज्योति रुको । मैं भी आ रहा हूँ

ज्योति पीछे मुड़कर देखती है और मनोज के लिए रुकती है । मनोज उसके नज़दीक पहुँच कर कहता है कि आज मेरे पिताजी के बचपन का सपना पूरा हो गया है ।

तुम्हें मालूम है जब मैं छोटा था न पापा मुझे डॉक्टर मनोज कहकर पुकारते थे । सब लोग हँसते हुए कहते थे कि आपको पक्का विश्वास है कि आपका बेटा डॉक्टर ही बनेगा या आप उसे प्यार से बुलाते हैं । मेरे पापा कहते थे नहीं मेरा बेटा डॉक्टर ही बनेगा एक दिन आप सब देख लीजिएगा । आज मैं सचमुच डॉक्टर मनोज बन गया हूँ । मेरे पापा होते तो बहुत खुश होते थे । I’m very happy जो ।

ज्योति हँसते हुए कहती है कि हाँ मनोज कितना रिलीफ़ लग रहा है । अरे हाँ तुमने आंटी को फ़ोन किया था न ।

हूँ मैंने माँ को बताया है पर तुमने अंकल को फ़ोन किया है कि नहीं?अरे बाबा कर दिया है पापा ड्राइवर के साथ कार भेज रहे हैं । हम दोनों चले जाएँगे । अपना सामान पेक करके आ जाओ । मनोज कुछ सोचते हुए कहता है कि समय कितने जल्दी बीत गया है न ज्योति अभी ही कॉलेज में जॉइन हुए हैं ऐसा लगा और हमारा मेडिसिन भी ख़त्म हो गया है । दोनों अपना सामान पेक करने अपने अपने रूम में चले गए ।

(इधर जब से मनोज का फ़ोन आया तब से अनुपमा का दिल अपने आप में नहीं था । वह उस पल को याद कर रही थी जब मनोज का फोन आया था । उसकी आवाज़ में कितनी ख़ुशी थी यह बताते हुए कि माँ मैं डॉक्टर बन गया हूँ ।)

उसे याद आया सुबह जब वह रसोई में काम कर रही थी कि फ़ोन की घंटी बजी जल्दी से जाकर फ़ोन उठाती है तो उधर से मनोज की आवाज़ सुनाई दी माँ मैं और ज्योति कल रात को आ रहे हैं क्योंकि हमारा इंटर्नशिप कल ख़त्म हो हो जाएगा । मैंने कहा मनोज यह ख़बर सुनकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई है ।

कितने सालों से मुझे इसी दिन का इंतज़ार था । मनोज अंकल को भी बता दो उन्हें भी ख़ुशी होगी यह बात सुनकर । हाँ माँ ज्योति ने सुबह ही बता दिया था । मैं ही काम में व्यस्त होकर आपको देर से बता रहा हूँ । कहकर फ़ोन रख दिया ।

अनुपमा के पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे । वह काम तो कर रही थी पर वह मनोज को ही याद कर रही थी ।

अनुपमा को ऐसा लग रहा था कि कल की ही बात थी कि मनोज का दाख़िला मेडिकल कॉलेज में कराया था और साढ़े पाँच साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला । समय तो जैसे पंख लगा कर उड़ रहा है ।

अनुपमा उस दिन को कभी नहीं भूल सकती है । जब मनोज को मेडिसिन में सीट मिली थी और वह भी शहर से सिर्फ़ पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेडिकल कॉलेज में । उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा था । उसे अपने पति राकेश की याद आई जिनका सपना मनोज को डॉक्टर बनाना था । वह तो उसे डॉक्टर मनोज कहकर ही पुकारते थे । उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे ।

कॉलेज में दाखिल होने का वक़्त आया माँ बेटे ने सारा सामान पैक कर लिया और बस से उस छोटे से क़स्बे में पहुँच गए थे जहाँ से कॉलेज पाँच किलोमीटर की दूरी पर है । बस से उतरकर ऑटो लेना पड़ता है । दोनों ने एक ऑटो लिया और उसमें बैठ गए । ऑटो थोड़ी दूर चलने के बाद रुक गया । उसमें कुछ ख़राबी आ गई थी ।

ऑटो चालक ने कहा कि आप कुछ नहीं सोचिए आपको यहाँ से दूसरा ऑटो लेना पड़ेगा क्योंकि मेरा ऑटो ख़राब हो गया है । हम माँ बेटे धूप में सामान लेकर वहीं खड़े होकर दूसरे ऑटो की प्रतीक्षा कर रहे थे । बहुत सारे बच्चे कारों में जा रहे थे पर किसी ने हमारी तरफ़ नहीं देखा ।

उसी समय एक लाल रंग की कार हमारे सामने से गुजरी थोड़ी दूर जाकर फिर पीछे आई । एक लड़की ने खिड़की से झाँकते हुए कहा मेडिकल कॉलेज जा रहे हैं । मैंने जल्दी से हाँ में सिर हिलाया । लड़की कार से उतरकर बाहर आई और कहा आंटी जी आप लोगों को एतराज़ न हो तो हमारे साथ चलिए हम भी मेडिकल कॉलेज ही जा रहे हैं । मैंने सोचा नेकी और पूछ पूछ । जल्दी से मनोज के साथ कार में बैठ गई ।

उसी बच्ची ने कहा आंटी मेरा नाम ज्योति है मेडिकल कॉलेज में दाख़िला लेने के लिए जा रही हूँ और ये मेरे पापा हैं अनुज सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं ।

मैंने बताया मेरा नाम अनुपमा है । यह मेरा बेटा मनोज है इसका कॉलेज में दाख़िला लेने आए हैं । परिचय कार्यक्रम ख़त्म हो गया और इस बीच कॉलेज भी आ गया ।

कॉलेज पहुँच कर सारी औपचारिकताओं को पूरा करते करते दोपहर हो गई । लड़कियों और लड़कों के हॉस्टल पास पास ही थे । दोनों बच्चों ने अपना सामान अपने कमरों में रख लिया । दोपहर हो गई थी । हम चारों खाना खाने डायनिंग हॉल की तरफ़ गए । सब चुपचाप आमने सामने बैठकर खा रहे थे पर मौन थे ।

शायद सबके मन में कुछ न कुछ चल रहा था । ज्योति ने ही खामोशी तोड़ी और खाना खाते हुए ही कहा आंटी आप कहाँ रहती हैं । जब मैंने बताया कि श्रीनगर कॉलोनी में तो उसने कहा अरे हम भी वहीं पास में रहते हैं ।

उसने अपने पापा से कहा — पापा रिटर्न में आप आंटी को उनके घर पर छोड़ दीजिए ।

मैंने सकुचाते हुए कहा नहीं ज्योति उन्हें तकलीफ़ होगी ।

मुझे बस स्टाप पर छोड़ दिया तो बस है ,मैं बस में चली जाऊँगी ।

पहली बार अनुज जी ने अपना मुँह खोलकर कहा —कोई बात नहीं है मुझे उसी रास्ते से जाना है ।आपको मैं आपके घर तक छोड़ दूँगा । शाम को निकलते समय मनोज को गले लगाया और कहा मैंने प्रिंसिपल जी से बात कर ली है हर शनिवार को आ जाना थोड़े दिन तक के लिए फिर आदत हो जाएगी ।

अनुज ने भी कहा — मनोज ज्योति का ख़्याल रखना मुझसे दूर कभी नहीं रही है । और कहा— अनुपमा जी आप फ़िक्र न करिए शनिवार को मैं कार भेज दूँगा दोनों साथ मिलकर आ जाएँगे ।

अपने बच्चों को वहीं छोड़कर हम दोनों भारी मन से वापस आ रहे थे ।

अनुज ने कहा — मनोज के पिता नहीं आए टूर पर गए हैं क्या? टूर पर नहीं गए अनुज जी वे तो अब इस दुनिया में नहीं हैं । जब मनोज छोटा था तभी एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी ।

मैं एक कॉलेज में लेक्चरर हूँ और मनोज को अकेले ही पाल पोसकर बड़ा किया है । बस वह एक डॉक्टर बन जाए तो राकेश जी का सपना पूरा हो जाएगा ,जो उन्होंने मनोज के लिए देखा था ।

अनुपमा ने जब ज्योति की माँ के बारे में पूछा तो अनुज ने बताया कि ज्योति की माँ की मृत्यु भी उसके बचपन में ही हो गई थी । उसके बाद दोनों में कोई बात नहीं हुई । अनुज ने अनुपमा को उसके घर में छोड़ दिया और चला गया ।

मनोज और ज्योति हर शनिवार को आते थे । ज्योति ज़्यादा तर मनोज के घर में ही रहती थी । उसे अनुपमा बहुत अच्छी लगने लगी थी । अनुपमा को भी अच्छा लगता था जब वह घर में घूमती रहती थी । एक बार अनुज ने प्लान बनाया कि ज्योति को लेकर शिमला ज़ाकर समय व्यतीत करेंगे पर ज्योति ने ज़िद की कि मनोज और अनुपमा को भी साथ ले जाएँगे ।

बेटी की जिद के आगे अनुज की एक न चली और ये दोनों भी साथ गए । उसके बाद से अब चारों मिलकर ही घूमने जाने लगे थे । दोनों घर और लोगों के बीच में गहरा रिश्ता बन गया था ।

जब से अनुपमा को पता चला कि दोनों बच्चे डॉक्टर बनकर आ रहे हैं ।उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थी । उसके मन में एक विचार भी आया कि ज्योति तो बहुत अच्छी लड़की है ।इस घर की बहू बनने की क्षमता रखती है और दोनों बच्चों में प्यार भी बहुत है । उसने उसी समय अनुज जी को फ़ोन किया और दोनों की शादी कराने के सिलसिले में बात कर ही दी ।

अनुज ने कहा —उन्हें आ जाने दीजिए हम उनसे बात कर लेते हैं । इस रिश्ते से मुझे भी कोई एतराज़ नहीं है ।

बच्चों के आने के बाद दूसरे दिन सब लोगों ने एक ही जगह मिलकर खाना खाया । अनुपमा ने अनुज को इशारा किया कि आप बात छेड़ें ।

अनुज ने कहा ने मनोज की तरफ़ मुड़कर कहा हाँ तो मनोज आप दोनों का आगे का क्या प्लान है । तुम लोगों की हाउसर्जन्सी तो हो गई है और डॉक्टर की डिग्री भी मिल गई है । आप लोग आगे क्या करना चाहते हैं? आप लोगों का जो भी प्लान हो वह तो ठीक है परंतु मैंने और अनुपमा जी ने तुम दोनों के लिए एक प्लान बनाया है । हम दोनों आप दोनों की शादी कराना चाहते हैं अगर तुम दोनों को कोई एतराज़ न हो तो ।

दोनों एक साथ चिल्लाकर बोले क्या ? हम दोनों की शादी कभी नहीं ?अभी हम दोनों को पी . जी भी करना है ।

ज्योति गैनकॉलजिस्ट बनना चाहती है और मैं न्यूरो सर्जन बनना चाहता हूँ । हम लोगों के अपने सपने हैं । जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं । इसलिए अभी से शादी के बारे में हम सोचना भी नहीं चाहते हैं । प्लीज़ हमें छोड़ दीजिए ।

ज्योति ने कहा – वैसे हमारी बात छोड़िए पर आप दोनों के लिए हमारे पास कुछ है ।

अनुपमा ने कहा – हमारे लिए क्या है बोल न ज्योति ।

ज्योति ने मनोज की तरफ़ देखा जैसे वह अपने आप को सँभाल रही हो । फिर धीरे से कहा हम दोनों की ख़्वाहिश है कि आप दोनों शादी कर लो ।

क्या……. अब इन दोनों ने एक साथ कहा !!!ऐसे कैसे हो सकता है?

मनोज ने कहा — माँ आप अभी पैंतालीस की ही हैं और अनुज जी पचास के हैं फिर क्या अभी तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है आप लोगों के सामने । वैसे भी माँ बच्चे हों या बड़े सभी को प्यार की ज़रूरत होती है ।

इसलिए प्लीज़ आप दोनों हाँ बोल दीजिए । ज्योति तो अनुज के पीछे ही पड़ गई थी । अंत में दोनों ने हाँ ….कह दिया क्योंकि पाँच साल से दोनों एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे । दोनों के विचार भी मिलते थे । उन्हें भी मालूम चल गया कि अकेले प्यार के बिना जीना बहुत मुश्किल है ।

इसलिए बच्चों के साथ जाकर दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली । अब सब एक साथ मिलकर एक ही घर में रहने लगे । मनोज और ज्योति अपने अपने फ़ील्ड में आगे बढ़ने की तैयारी करने में लगे हुए थे । उन्होंने कहा कि हम अपनी पसंद के जीवन साथी को ढूँढ लेंगे आप लोग हमारी फ़िक्र किए बिना अपनी ज़िंदगी जी लीजिए ।

दोस्तों बच्चे ही नहीं बड़ों को भी प्यार करने का हक होता है । सही तो है वे तो बच्चे हैं उन्हें तो उनके मनपसंद जीवन साथी मिल ही जाएँगे । अनुपमा और अनुज को जीवन साथी मिलना आसान नहीं है और वे दोनों एक-दूसरे को समझ भी गए थे। बच्चे भी खुश हैं इस रिश्ते से तो ऐसा संजोग मिलना आसान नहीं है ।

के कामेश्वरी

#हक

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