अपना घर अपना ही होता है – चम्पा कोठारी  : Moral Stories in Hindi

लता और कमल पति पत्नी हैं। दोनों ग्रामीण 

परिवेश में रहते हैं दोनों पढ़े लिखे हैं लेकिन इस तरह की शिक्षा नहीं है कि वह कहीं सरकारी या प्राइवेट नौकरी कर सकें उनके दो बच्चे क्रमशः हर्षिता और अंशुल हैं।  कमल की परचून की दुकान है जिसमें रोजमर्रा की वस्तुएँ रखी रहती हैं

घर की आर्थिकी सुधारने के उद्धेश्य से लता ने एक गाय पाली हुई है। जिसका दूध बेचकर भी

थोड़ी  अतिरिक्त आमदनी हो जाती  है। बच्चे अपने माँ बाप का संघर्ष बचपन से ही देखते आ रहे हैं।  जिस कस्बे में वो रहते हैं उसमें एकमात्र सरकारी स्कूल  है उनके दोनों बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हैं.

इसी साल हर्षिता ने इंटर की परीक्षा दी है वह पढ़ने में  अच्छी है। स्कूल टॉपर है।गाँव में इस परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा है। जब हर्षिता इंटर करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए किसी शहर में कोचिंग करना चाहती थी। 

उसने इस बात का जिक्र अपने माता-पिता से किया। दोनों ही बड़े शहर में उसे भेजने के लिए राजी हुए लेकिन एक शर्त पर कि वह वहाँ  केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगी । 

ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे कि उनके नाम को बट्टा लगे। खानदान की इज्जत खराब न हो। हर्षिता ने इस  बात का भरोसा दिलाया कि वह ऐसा कोई भी काम नहीं करेगी। वह अपनी बेटी पर भरोसा कर, सकते हैं।

खैर -हर्षिता कोचिंग के लिए अपने घर से चार घंटे की सफर की दूरी पर इंजीनयरिंग की कोचिंग के लिए शहर आ गई। उसे छोड़ने उसके पिता आये थे

एक गर्ल्स हॉस्टल में उसके रहने की ब्यवस्था करके  एक नया मोबाइल खरीदकर उसका बैंक खाता खुलवाकर कई हिदायतें देकर चले आये।

जैसा कि मध्यवर्गीय परिवारों में संस्कारों के चलते मर्यादा में रहने का पाठ पढ़ाया जाता है। जो उचित भी है।  लता और कमल रोज बेटी से बात करते थे। उससे उसकी पढ़ाई के  उसके आवश्यक खर्चों के बारे में रोज ही

बात होती थी हर्षिता भी उन्हें भरोसा दिलाती  थी कि सब कुछ ठीक चल रहा है पढ़ाई ठीक चल रही है वह निश्चिंत थे। इधर हर्षिता  साथ में कोचिंग करने वाली एक लड़की जिसका नाम रिया था उससे परिचित हुई।

वह उच्च मध्य  वर्गीय परिवार से थी पहले तो वह हर्षिता के रहन सहन, कपड़े,स्कूलिंग देखकर नाक भौं सिकोड़ रही थी बाद में उसके पढाई की लगन, मेहनत देखकर उसकी कायल हो गई। रिया का घर उसी शहर में था।

एक  छुट्टी के दिन वह हर्षिता को जिद करके अपने घर ले गई। वह नही जाना चाहती थी पर रिया के मम्मी पापा ने भी घर आने का आग्रह किया था इसलिए वह मना नही कर पाई।

उसके घर की साज सज्जा और समृद्धि देखकर हर्षिता की आँखे खुली रह गई। जिस माहौल से वह आई थी उसके लिए यह सब सपना ही था। रिया अच्छे पब्लिक स्कूल से पढ़कर आई थी

पर अभी उसका प्रदर्शन हर्षिता से उन्नीस ही था। दरअसल रिया के माता पिता चाहते थे कि रिया होशियार बच्चों से ही दोस्ती रखें। उन्होंने हर्षिता को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया

और रिया की भी पढाई में मदद के लिए कहा। समय बीता  कोचिंग ठीक चल रही थी बीच में होली के लिए हर्षिता को घर जाना था रिया के पापा ने ट्रेन की टिकट बुक करवा दी।

तभी अचानक कोरोना त्रासदी  के कारण आवाजाही रुक गई स्कूल कॉलेज सब बंद हो गए कर्फ्यू सा लग गया। बच्चे हॉस्टल या कमरों में ही रुक गए। रिया हर्षिता को अपने घर ले गई।

  स्थिति सामान्य होने तक उसके वही रहने की सलाह हर्षिता के माता पिता ने भी दी। हर्षिता अपना जरूरी सामान लेकर रिया के घर आ गई। जल्दी ही उसकी समझ में आ गया कि वह उस माहौल में सामंजस्य नही बैठा

पा रही थी। जहाँ उसके घर में देर तक  सोना मना था। यहाँ 9 बजे तक बिस्तर नही छोड़ा जाता। अपने घर में सभी खाने पीने की वस्तुयें शुद्ध व शाकाहारी थी। दूध दही का जमकर प्रयोग होता है।

पर यहाँ सब कुछ विपरीत ही था। बिना नहाये धोये खाना यहाँ आम बात थी। कोरोना के कारण पैक्ड फूड तो नही आ रहा था पर  उसे सभी मिस कर रहे थे। हर्षिता को बाहर लॉन में घूमना भी मना था

कारण था पॉश कॉलोनी में एक साधारण लड़की  को उनकी मेहमान  होने का किसी को पता न चले। हर्षिता को काफी हद तक बड़े लोगों के तथाकथित उच्च कल्चर की सच्चाई पता चल रही थी।

उसे तीन दिन में वहाँ घुटन होने लगी। वह अपने माता पिता से बार बार घर ले जाने की जिद  करने लगी। इत्तफाक  से उसके पड़ोसी ताऊजी की अचानक तबीयत खराब हो गई। 

वहाँ के डॉक्टरों ने उन्हें उसी शहर के लिए रेफर कर दिया जहाँ हर्षिता थी। प्रशासन की परमिशन से किसी की निजी गाड़ी से वहाँ भर्ती किया गया। उनके साथ हर्षिता के पापा आये थे

ताऊजी को बड़े अस्पताल में भर्ती करके वह दूसरे दिन ही लौटने वाले थे। वापसी में हर्षिता भी उनके साथ अपने घर आ गई। घर पहुँचकर  भले ही वह,चौदह दिन क्वारंटीन रही पर  माँ के सामने लंबी सांस लेकर

यही शब्द निकले अपना घर तो अपना ही होता है।

कहानी कैसी लगी आप सभी का भरपूर प्रोत्साहन मुझे मिल रहा है। कमेंट में जरूर बताएं मेरी कहानियाँ सच्ची घटनाओं पर आधारित होती हैं । थोड़ा बहुत फेर बदल किया जाता है।

धन्यवाद

Champa kothari

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