” हक ” – अमिता कुचया  : Moral Stories in Hindi

सीमा ही बहुत ही खुश थी कि उसके मम्मी पापा की पचासवीं शादी की सालगिरह है वह बड़ी ही कश्मकश में थी कि पापा मम्मी के लिए क्या ले जाए। पापा मम्मी ने जीवनभर हर इच्छा पूरी की है। घर में भाई भाभी की शादी की सालगिरह मनाने की तैयारी कर रहे थे। वह शादी शुदा थी, इसलिए सोचने लगी घर में सब कुछ है,

ऐसी क्या चीज ले जो पापा मम्मी दोनों के काम आए। इसी कारण कभी छोटी बहन से पूछती ,कभी बड़ी बहन से पूछती। बड़ी बहन तो थी समझदार वो पहले सीमा का मन लेना चाहती थी।

और तो और पापा मम्मी कभी बिटिया का कुछ नहीं लेगें। ये कह दिया।तब भी सीमा के अंदर खलबली मची थी। तो उसने सोचा मौसी से सलाह ली जाए। तो उन्होंने कहा-” तुम अपनी मम्मी पापा के मन की चीज ले लो। और वो पहन ले ऐसा कुछ ले जाओ। 

उसने सोचा,,चलो मम्मी के लिए अच्छी सी साड़ी और पायल बिछिया के साथ सुहाग का सामान भी ले लेते हैं। औरपापा के लिए सफारी सूट खरीदा। जबकि छोटी बहन ने मम्मी के लिए केवल बेड सीट ली और मम्मी के लिए नाक की कील ली। 

अब दो दिन ही बचे थे, हम तीनों बहनों लोग मायके जाने वाले थे। हम तीनों ने मम्मी से कहा -” मम्मी आप बहुत सुन्दर मेंहदी लगवाना। हम लोग बहुत बढ़िया पार्टी, बारात सब निकालेगे। और साथ ही डांस मस्ती में भी करेगें। “

तब मम्मी ने कहा-” सीमा बेटा पापा कह रहे हैं कि घर में इतना पसारा करने की अपेक्षा कहीं घूमने चले ,पास ही में शंकर जी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है, वही चलते है।नाश्ता पहले से पैक कर लेगें। गाड़ी भी बुक कर ली है। हम खास रिश्तेदार और दोस्तों को ही बुलाएगे। पापा ने कहा है कि ज्यादा से ज्यादा साठ सत्तर लोगों को बुला रहे हैं। 

सीमा उत्सुक थी। वह भी तैयारियों में मदद करने एक दिन पहले पहुंच गयी। 

इस तरह दीदी ने बहुत सुन्दर सा केक बना कर सजाया। रात में मेंहदी नाच गाना वगैरह हुआ। और पापा ने कारीगरों को बुलवा कर सूखा नाश्ता तैयार करा लिया। वही के होटल में साठ सत्तर लोगों के खाने की बुकिंग करा ली। सुबह से नौ बजे गाड़ियां आ गयी। सब मेहमान रिश्तेदार भी आ गये। सब लोग बहुत अच्छे से तैयार हो कर मंदिर पहुंचे,

वही पापा मम्मी का जयमाला कराया, साथ ही अंगूठी भी पहनवाई। फोटोग्राफर भी गया खूब सारी सबके मम्मी पापा की फोटो क्लिक हुई। 

इस तरह से सालगिरह बहुत अच्छी से मनाई। 

जब लौटे तब रात में सबके गिफ्ट खोले जा रहे थे। सबने साड़ी कपड़े, ज्वैलरी अपनी हैसियत के हिसाब से दिए। कुछ ने लिफाफे भी दिए। 

तब सीमा ने कहा-” मम्मी बड़ी मौसी ने क्या दिया ?तब भाभी बोली- अरे दीदी मम्मी ने जो ज्वैलरी पहनी थी। वो उन्होंने दी। वो उतार कर रख रही थी देखा कि पीछे तरह हार काला सा हो गया है,तब सब कहने लगे कि कैसा नकली सामान दिया। हां हां ऐसा लग रहा गारंटी वाला भी नहीं लग रहा है। तब सीमा बोली हमें तो बड़ी अच्छी सलाह दे रही थी।मम्मी के लिए पायल बिछिया ले जाओ। और खुद ने क्या दिया नकली गहने!!! 

गले में मम्मी का पहना हार पसीने के कारण काला दिख रहा था। तब सबने कहा चलो ठीक है जो दिया गया तो ठीक है। पर सीमा ने कहा -“मम्मी आप यही ज्वैलरी उन्हें देती तो वो क्या करती वो तो पूरे रिश्तेदारों को बताकर हमारी थू थू कर देती न….. 

फिर अगले दिन उसकी मम्मी ने सरला मौसी जी को फोन किया, तब उन्होंने कहा कि सरला तुमने हमें जो वो तो काला पड़ गया है कैसा माला लाई हो? तब सरला मौसी बोली -हम तो अच्छा सोच कर ही लाए थे। आप तो दीदी मीनमेख निकालने लगी। तब सीमा से भी रहा न गया। तो उसने भी कहा सरला मौसी आप ने हमें सोना चांदी का सामान लाने की सलाह दी।

आप ये सब नकली गहने दे रही हो। तब मौसी बोली – ये तुम क्यों बोल तुम्हें क्या हक है ये हम बहनों के बीच की बात है। तब सीमा ने कहा- मम्मी आपको ऐसा ही सामान देती तो क्या आपको चलता। देखो माला भी पसीने के पीछे तरफ काला पड़ गया। 

तब वो हाइपर होकर बोलने लगी। तुम अपनी मम्मी से कह दो अगर वो ज्वैलरी नहीं चाहिए तो हमें वापस दे दें। 

इस तरह वो गुस्सा होने लगी और ऊपर से कहने लगीतुम लोगों हमें क्या समझ रखा है। क्या हम अपनी दीदी को गारंटीकृत ज्वैलरी भी नहीं दे सकते हैं! हमारे वाले पास गारंटी कारड भी है, हम दुकान दार को वापस करके दूसरी लेंगे। आजकल तो सब पहनते है मैनें सोचा एक से दो हार दीदी पहन लिया करेगी। तुम लोगों ने जो फोन करके हमारी बेइज्जती की है हम भूलेंगे नहीं!! 

और गुस्से में फोन रख दिया। 

और शाम को ही उनका बेटा आया, उसने कहा- मौसी मम्मी ने ज्वैलरी मंगाई है जो हम लोगो ने दी थी। 

ये भी बताया कि मम्मी का बी पी बढ़ गया। तबीयत बिगड़ी वो अलग…. आज पता है हम लोग कितना परेशान हो गये!! उन्होंने कहा कि हमें कोई रिश्ता ही नहीं रखना आप लोगो से!!! 

पर सीमा ने सोचा बात संभाल ली जाए, तब उसने कहा मम्मी मौसी से फोन पर बात करो। तब मम्मी ने कहा अभी ऐसे कैसे कर सकती है?

तब सीमा के पापा ने सीमा को ही सुनाया, कहने लगे तुम्हारे ही कारण सरला की तबियत खराब हुई। तुम्हें क्या जरूरत थी मम्मी को भड़काने की। 

तब सीमा सकपका गयी कि उसके पापा उसी को गलत ठहरा रहे हैं। जबकि फोन पर बात मम्मी ने की थी। उन्हें जो सही लगा। वो बोला। मुझे भी सोने चांदी के सामान लाने की सलाह दी। 

उसके पापा ने गुस्से में कहा- तुम्हें कोई हक नहीं हमारे घर के बीच में पड़ने की। उस दिन उसे ऐसा लग रहा था वाकई पराई हो गई। जहाँ वो मम्मी पापा पर जान छिड़कती थी। वही पापा ने ऐसे शब्द बोलकर पराया कर दिया। फिर मौसी के बेटे को समझाया । इतनी सी बात रिश्ते खत्म नहीं होते। 

जब मम्मी शांत हो जाएगी हम उनसे बात कर लेंगे। और ज्वैलरी भी दे दी। 

इस तरह आज सीमा को एक बात समझ आ गयी। कि जो क्वारी रहने तक हक था वो अब नहीं है। उसने अंदर ही प्रण कर लिया कभी बीच नहीं पड़ेगी। 

और वो दो तीन बाद वापस अपने घर आ गयी। अब जब भी मम्मी का फोन आता, कुछ भी घर का बताती तो वह यही कहती भाई भाभी की जितनी भी बात बताओ तो सुन लूंगी पर मुझे बीच में बोलने का हक ही नहीं है। मैं आपकी बेटी हूं सब बताओ मैंआपकी सुन लूंगी। कि आपका मन हल्का हो जाए। बाकी आप समझो। 

इस तरह सीमा ने अपनी हद में रहना सीख लिया। और मौसी जी से माफी मांग ली। उन्हें उसने समझाया वही बात सब बोल रहे थे। पर मैनें आपसे सीधे से कह दी। गलती हो गई । और मौसी ने सीमा की बात समझ लिया। 

और अब सीमा जरुरत पर ही बोलती पर वो समझ गयी कि वैसे तो घर के सामान लेने का तो हक है ही नहीं, क्यों आपसी रिश्ते खराब करो ,अब घर के मामलों पर भी बोलना का हक खो चुकी है। खैर…… 

फिर कुछ दिनों बाद बुआ के यहाँ शादी होने वाली थी बुआ की पापा से बनती न थी। पर सीमा की ससुराल पक्ष की तरफ से बुआ से रिश्तेदारी भी थी तो उसके परिवार में आमंत्रण आया, तब पापा का फोन आया देखो सीमा तुम तो जानती हो बुआ का स्वभाव कैसा है उन्होंने हमें आमंत्रित तक नहीं किया।

तुम भी मत जाना। तब सीमा ने कहा-” पापा ये बोलने का हक नहीं है। अब मैं उस घर की बेटी अकेली नहीं हूँ ,अब अपने ससुराल में बहू भी हूं। मुझे वहां जाना ही पड़ेगा। मैं क्योंकि पराई हो गयी हूं। 

जैसा मेरे ससुराल वाले चाहेंगे मैं वैसा ही करुंगी। 

तब उसकी बात सुनकर उन्हें बुरा लगा और कहने लगे तुम हमारी बिटिया होकर नहीं सुन रही है। तब सीमा ने भी कहा-” पापा आप भी तो उस दिन मेरी बात को नहीं समझे थे। मैं तो विदा होकर भले ही ससुराल चली गई। पर मन से आप लोगो पर हक था बोलने का…

पर उस दिन आपने सोचा मेरे मन पर क्या बीती होगी!!कौन सा घर में अपना हक मांग लिया था। आपने घर के मामलों में बोलने तक का हक आपने छीन लिया। उसदिन मैंने निश्चय किया आप लोगो के मामले में नहीं बोलूंगी। 

मम्मी कितनी ही बातें मुझे बताती पर मैं कुछ नहीं बोलती। 

क्योंकि बीच में बोलने का हक ही नहीं है। तो क्यों बोलो। 

तब पापा भावुकता वश कहने लगे क्या तूने उस दिन की बात गांठ बांध ली है। वो तो तुम्हारी मौसी की तबियत खराब हो गई। और ज्यादा बिगड़ जाती तो हम क्या करते….. वो तो बात खत्म करनी थी तुम्हारी मौसी से हम लोगो से उनके रिश्ते खराब न हो। इसलिए सब बोल पड़ा और अगर मेरी बातें तुझे चुभी हो तो मुझे माफ कर दे। 

ठीक है पापा आप बोल रहे है तो उस बात भूल जाऊंगी। पर जैसा घर में सब कहेगें मैं वैसा करुंगी हम लोग थोडे़ ही बुआ जी से संबंध खराब करेगें ….ये हमारी सास की रिश्तेदारी है। 

फिर पिता की आंखों में आंसू थे पछतावा के। कि बेटी को कैसे उस दिन बोल दिया कि कोई हक बीच में बोलने का….है तो वो इसी घर का खून…. कैसे गलत होते देख सकती है। तभी सीमा की मम्मी कहती है- अजी क्या हुआ ,,आपकी आंखें भरी- भरी सी क्यों है? तब वे बोले आज सीमा से बात हुई तब सीमा बोली वो बुआ के यहां जाएगी। जैसा उसके ससुराल वाले कहेगें और क्या….. 

सही में आज मुझे लग रहा है मैनें सीमू को फालतू ही डांटा था ,उसे आज भी लगता है कि मैंने गलत डांटा था। तब सीमा की मम्मी बोली- अजी आपके गुस्सा के कारण उस समय मैं कुछ नहीं बोली पर वो भी उस समय गलत नहीं थी, क्या अपना संजय बेटा और बहू किसी मामले में बोले तो हम क्या कह सकते है तुम्हें कोई हक नहीं। कुछ भी बोलने का,,,पर बेटी तो खून ही है तो उससे बोल आया। तो उसने सरला के लिए बोल दिया। 

अब सीमा के पापा को अहसास हो रहा था। कभी- कभी छोटी सी बात भी कितनी दिल को चुभ जाती है। 

और रुमाल निकाल कर आंसुओं को पोंछने लगे। 

दोस्तों -ये कहानी कैसी लगी? अपनी राय कमेंट्स में जरुर दीजिये। आजकल घर में हक मांगो तो रिश्ते टूट जाते हैं अब तो मायके की बातों के बीच में बोलने का हक भी नहीं रहा। क्योंकि गुस्से में कही गयी बात तीर से निकले कमान की तरह होती है। यही बात सीमा को चुभ गयी। 

स्वरचित रचना

अमिता कुचया 

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