नवल…….
आश्चर्य से साध्वी और राधिका एक दूसरे को देखने लगती है
हां नवल…(अंबिका जी)
इससे आगे वो बड़बड़ाती है की वो रूप बदल कर लड़कियों का शिकार करता है और उसने मुझे भी कही का नही छोड़ा और हसने लगती है
साध्वी के लिए ये किसी सदमे से कम नहीं था लेकिन उसके मन में ये भी चल रहा था की को भी उसने सुना वो किसी और नवल के बारे में हो…
लेकिन फिर भी उसे एक अनजाना डर सता रहा था और फिर उसने राधिका की ओर एक उम्मीद भरी नजरों से चेहरे पर उदासी लिए देखी
राधिका समझ गई थी की साध्वी नवल का नाम सुनकर उदास है इसलिए उसने साध्वी को शांत रहने और नवल से मिलकर इन घटनाओं का जिक्र करने को कहा…
लेकिन साध्वी की आंखों में आसूं आ गए
अगर ये बात सच हुई तो राधिका?
फिर तो मैं कही की नही रहूंगी
मैने तो उस पर अपना सबकुछ नयोछावर कर दिया है अपना मन और शरीर सब
क्या ? ……. राधिका के चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो साध्वी को घृणा की नजरों से देखने लगती है
तो तुम मुझे मंदिर के पास खड़ा करके उस नवल के साथ अपना मुंह काला करवाती थी और मुझे भी उसमे अपनी सहभागी बना रही थी
छी:
अब मुझे अपने आप पर भी घिन्न आ रही है साध्वी
तू मेरे घर ये सब करने के लिए रुकी थी?
नही ..नही
ऐसा मत बोल राधिका
मेरी बहन तुझपर कोई उंगली उठाए उससे पहले मैं अपनी जान दे दूगी
मुझे गलत मत समझो मेरी बहन
मैं तो बस नवल से सच्चा प्रेम कर बैठी थी और उस प्रेम के मायाजाल में आकर मुझे इसकी भनक भी नही लगी की कब नवल के हाथ मेरे बदन से होते हुए अपनी सीमा रेखा लांघ गई और मैने उसे उसकी इजाजत भी दे दी….
(साध्वी की आंखों में पश्चाताप के आंसू लबालब भरे हुए देखकर राधिका को उसपर तरस आ गई)
साध्वी मेरी बहन
मुझे माफ करदे …
मैने तुझे क्या क्या बोल गई
तूने कुछ भी गलत नहीं बोली राधिका
गलती मेरी ही है
पर अब क्या करे?
कुछ नही कल नवल से मिलकर उसके सामने अपने विवाह का प्रस्ताव रखो
यदि वह मन जाता है तो वो तुमसे सच्चा प्रेम करता है और यदि उसने इनकार कर दिया तो समझना वो तुमसे खेल रहा था
अगले दिन राधिका और साध्वी मंदिर जाने लगी तो रामेश्वर जी भी साथ जाने लगे क्योंकि रूपसपुर वाली घटना से उनको ये दर बन गया था कही उनकी बेटी के साथ भी ये सब अप्रिय घटना न घट जाए…
नही नही पिताजी आप चिंता मत कीजिए हम दोनो तुरंत लौट आएंगे और वैसे भी आपकी बेटी माता वैष्णो देवी की भक्त है क्या उनके होते हुए किसी की हिम्मत है मुझे छूने की…
हा हा हा …
चल जा जा
मगर जल्दी आ जाना
दोनो वहां से मंदिर चली गई लेकिन उन्हें तुरंत लौटना भी था इसलिए घबराई हुई भी थी
तभी उसे मंदिर के बाहर नवल खड़ा दिखाई देता है
नवल को देखकर राधिका पहले तो दर जाति है लेकिन साध्वी के साथ होने से वो दर भूल जाती है और मंदिर के प्रांगण में प्रवेश कर जाती है
लेकिन साध्वी पूजा करने से पहले ही नवल को मंदिर के पीछे ले जाकर पूछती है
नवल ऐसा कब तक चलेगा
हमे मिले हुए लगभग एक वर्ष होने को है और मैने अपना सबकुछ तुझपर लूटा चुकी हूं
क्या तुम मुझसे शादी करोगे ?
नवल शादी का नाम सुनते ही बौखला जाता है और साध्वी को एक झन्नाटेदार थप्पड़ लगाता
साध्वी थोड़ी लड़खड़ाकर सीधी खड़ी रहती है और उसके आंखो से अश्रुधारा फूट पड़ती है
नवल को विश्वास ही नहीं होता की उसकी थप्पड़ खाकर कोई लड़की जस की तस खड़ी रह जा सकती है
नवल की आंखे में एक रहस्यमय चमक आ जाती है
उधर राधिका पूजा करके साध्वी के इंतजार में बैठी है
नवल साध्वी से आंखे मिलाता है और उन आंखों में बने घेरे में साध्वी अपने साथ हुई सारी घटना भूल जाती है साथ ही अपनी आंखों से अब वो नवल को सबकुछ दिखाने को तैयार हो जाती है
“नवल” कोई और नही बल्कि वही नवल है जिसने रूपसपुर की दोनो लड़कियों को गायब किया था
ये नवल एक असुर है जिसका नाम ” नवलासुर “जो पिछले 1000 वर्षों से इस पृथ्वी पर अपने शापित शरीर को लिए भटक रहा है और उसका श्रापमुक्ति का उपाय था
1001 एक कुंवारी कन्याओं के साथ संभोग और उसकी बाली तथा एक देवकन्या के साथ संभोग और इस पूरे काम को संपन्न होने के समय उसके 100 योजन तक चारो तरफ जो भी किसी देवी या देवता की सबसे बड़ी भक्त होगी उसके साथ विवाह करने के उपरांत उसके शरीर का राक्षसी तरीके से सुहागरात मनाना
और फिर वह
सदा के लिए श्राप मुक्त तथा अमरत्व को प्राप्त हो जायेगा
चुकी वो बैकुंठी में पहले ही दिन मंदिर के अंदर राधिका का हाथ पकड़ने के बाद राधिका के रूप को देखकर सहम गया था लेकिन वो अंदर ही अंदर प्रसन्न भी था क्यूंकि देवकन्या को वो तब से जनता है जब से देवकन्या पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में आई और नवल भी उसके पीछे पीछे बैकुंठी तक आ गया था ।
याद रहे नवल देवकन्या के साथ संभोग करने से पहले ही रूपसपुर की दो कन्याओं को अपने साथ ले गया था और जो लड़की लौट कर आई थी वो उसके शिकार की गिनती में थी ही नहीं परंतु जिस लड़की को वो शिकार बनाया था वो उसके साथ साथ पीछे चली गई थी और जब नवल ने उसके साथ संभोग करने के लिए उसके कपड़े उतारने के बाद अपना असली रूप में आया जिसे देखकर दूसरी लड़की चिल्ला उठी जिस कारण उस असुर ने उस लड़की के जिस्म पर भी अपना हक जमाने के लिए उसके भी सारे कपड़े उतार डाले लेकिन तभी
पीछे से एक भयंकर आवाज आई
क्या कर रहे हो मूर्ख
तुझे मुक्ति पानी है या नही ?
तुझे अमर होना है या नही?
नवल सुर पागलों की भांति उस आवाज की ओर देखा और बोला
हा … हा .. हा
पानी है मुझे मुक्ति
मैं मनुष्य का शरीर ले लेकर थक चुका हूं
तुम्हारे 1001कन्याओं की गिनती उस पहली वाली कन्या के साथ पूरा हो जाएगा इसलिए केवल पहली वाली कन्या का वरण कर… उस आवाज ने दोहराया
और इसे जाने दे (और आवाज गायब हो गई)
हा … हा
जाने देता हु
उसके बाद नवलासुर ने अपने रूप को और और भयंकर किया तथा दूसरी लड़की के पूरे जिस्म को अपनी जिह्वा से जूठा कर दिया
और उसके सामने ही उसी भयंकर रूप में पहली वाली लड़की के साथ संभोग करके उसकी बली दे दी
इस दृश्य को देखकर वो दूसरी लड़की मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई थी
इसलिए वो सड़कों और गलियों में घूम घूमकर नवल और अपने आप को उसके द्वारा अपवित्र होने की घटना को बड़बड़ाते रहती थी
इधर साध्वी सबकुछ भूल जाती है और साध्वी की आंखों से वो राधिका पर नजर रखने लग जाती है।
उस रात जब साध्वी और राधिका एक साथ सो रही थी तो साध्वी को जैसे नवल कह रहा हो
अगले पूर्णिमा को राधिका को लेकर मेरे साथ चलना ये तुम्हारी जिम्मेदारी है…
साध्वी अब अपने वश में नहीं थी…
अगला भाग
कच्चे धागे-एक पवित्र बंधन (भाग–8) – शशिकांत कुमार : Moral Stories in Hindi