*नित्या का राज़* – रंजना आहूजा : Moral Stories in Hindi

क्या हुआ था नित्या के साथ……..

     शाश्वत ने कॉलेज में अपने साथ पढ़ने वाली नित्या को कभी किसी से बात करते नहीं देखा । वह सिर झुकाए आती, और क्लास खत्म होने पर चुपचाप सिर झुकाए चली जाती । किसी ने बात करनी भी चाही , तो कोई जवाब नहीं मिला । साधारण सी दिखने वाली नित्या किसी के लिए आकर्षण का केंद्र नहीं थी ,पर शाश्वत के लिए किसी पहेली की तरह थी ।

उसकी आंखों का खालीपन शाश्वत को बेचैन करता था । वह उससे बात करना चाहता था ,उसके बारे में जानना चाहता था ,पर उसकी कोई सहेली भी नहीं थी, जिसके माध्यम से बात करे ।

     नित्या को एक कार छोड़ने और लेने आती थी । एक बार कार से उतरने पर कुछ लड़के उससे बात करने लगे, तो नित्या डरकर वापस कार में जा बैठी और ड्राइवर से तुरंत घर चलने कहा । शाश्वत ने यह देख उसे रोकना चाहा ,पर तब तक कार जा चुकी थी। शाश्वत ने उसके बारे में जानने के लिए उसका पीछा कर उसके घर का पता लगाया ।

बंगला देख शाश्वत को आश्चर्य होने लगा , कि एक आलीशान बंगले में रहने वाली नित्या इतनी उदासीन सी क्यों है ? ना बनाव श्रृंगार ,न दिखावा , ना चंचलता । आखिर ऐसा जीवन क्यों ? वह इतना डरती क्यों है ? शाश्वत उसके बारे में जितना सोचता उतना उलझता जाता । ऐसे ही एक दिन जब नित्या कॉलेज से घर जाने के लिए निकली तो उसकी कार नहीं आई थी ।

वह इंतजार करने लगी, इतने में कुछ लड़के उसपर कमेंट्स करने लगे | वह डर कर भागने लगी, तभी शाश्वत वहां आ गया । उसने उन लड़कों को डांट कर भगाया और डरो मत, कह कर नित्या के पास जाने लगा, मगर नित्या डर से कांपते हुए दूर भागने लगी । तब शाश्वत ने कहा रुको, मैं नहीं आ रहा तुम्हारे पास, तुम डरो मत । नित्या रुक गई ,

पर अभी भी डर से कांप रही थी और रोए जा रही थी । शाश्वत ने उससे बात करनी चाही, इतने में कार आ गई । वह दौड़ कर कार में जा बैठी । अगले तीन दिन वह कॉलेज नहीं आई । शाश्वत को उसकी चिंता होने लगी ।तीन दिन बाद नित्या आई । शाश्वत उससे बात करना चाहता था , पर वह समझ नहीं पा रहा था कैसे बात करे ?

तब उसने आन्या से बात की जो नित्या के साथ उसकी बेंच में बैठती थी । पहले तो आन्या ने कहा, वह बात ही नही करती है तो मैं क्या कर सकती हूं , पर शाश्वत के कहने पर उसने उससे बात करना मान लिया । शाश्वत ने आन्या को समझाया कि, उसे थोड़ा प्रयास करना होगा । आन्या ने नित्या को हेलो कहा , नित्या पहले तो डरकर उसे देखने लगी, फिर सर झुका कर चुपचाप बैठ गई ।

शाश्वत ने आन्या को इशारा कर फिर बात करने कहा । आन्या ने धीरे से उससे पूछा, क्या वो उससे दोस्ती करेगी ? नित्या ने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया । दो तीन दिन तक आन्या उससे सामान्य बातें करती रही ,मगर नित्या कोई जवाब ही नहीं देती थी , तब आन्या ने शाश्वत से कहा वो बात ही नहीं करती है । मुझसे और नहीं होगा । शाश्वत ने निवेदन किया , बस दो दिन और, मेरे कहने पर एक बार । आन्या बोली ठीक है, पर दो दिन बस 

अगले दिन आन्या ने नित्या से हाई कहा ,तो नित्या ने हल्के से सर हिला कर जवाब दिया । शाश्वत को यह देख कर उम्मीद जागी , अब नित्या आन्या से थोड़ा बात करने लगी थी । कुछ दिन बाद आन्या नित्या को कॉलेज कैंपस के पार्क में ले गई और शाश्वत से मिलाया, मगर नित्या डर कर वहां से चली गई ।

   ऐसे ही एक दिन आन्या उससे बोली, नित्या तुम इतना डरती क्यों हो ? किसी से बात नहीं करती ,और शाश्वत अच्छा लड़का है , तुम एक बार बात करके तो देखो । मगर नित्या ने कोई जवाब नहीं दिया । उसकी आंखों में पानी भर आया था । तब आन्या बोली अच्छा मत बात करो, पर रोना नहीं । तब तक शाश्वत भी वहां आ गया था । नित्या ने उसे देखा ,

पर इस बार वो वहीं बैठी रही । तब शाश्वत ने हाथ बढ़ा कर पूछा क्या वो उसका दोस्त बन सकता है। नित्या ने नजर उठा कर देखा, पर कहा कुछ नहीं ।

  अब धीरे धीरे वो शाश्वत से भी बात करने लगी थी , मगर लड़कों को देख कर अब भी डर जाती थी ।

एक दिन शाश्वत ने उससे पूछा, उसके घर में कौन कौन है ?

उसने बताया ,  नानी ।

शाश्वत ने कहा , बस ? मां पिताजी ?

नित्या की आंख भर आई ।

शाश्वत ने कहा , सॉरी , मुझे नहीं पता था तुम्हारे माता पिता इस दुनियां में नहीं है ।

नित्या ने तुरंत कहा , नही .. मां है , पिताजी नहीं हैं ।

तो मां तुम्हारे साथ नहीं रहती ? वे कहां रहती हैं ?

नित्या ने जवाब नहीं दिया, उसके आंसू बह रहे थे । तब शाश्वत ने कहा ,रो मत मैं कुछ नहीं पूछूंगा। नित्या घर चली गई ।

एक दिन शाश्वत जेल रोड से गुजर रहा था तो देखा, नित्या जेल से बाहर आ रही थी । शाश्वत को आश्चर्य हुआ नित्या यहां क्या कर रही है ? नित्या कार की ओर बढ़ रही थी, तभी शाश्वत ने उसे रोक लिया , पूछा नित्या तुम यहां क्या कर रही हो ? नित्या शाश्वत को देख कर डर गई और बिना जवाब दिए कार में जा बैठी । अगले दिन जब वह कॉलेज आई तो उसे शाश्वत नहीं दिखा ।

उसकी निगाहें शाश्वत को ढूंढ रही थी । क्लास में मन नहीं लगा तो वह कैंपस ग्राउंड में आ गई । वहीं बेंच पर शाश्वत बैठा था । नित्या उसके करीब आई पर शाश्वत ने उससे कोई बात नहीं की । नित्या ने खुद ही शाश्वत से कहा ,शाश्वत तुमने पूछा था ना, मां कहां है ? मेरी मां जेल में है । कह कर नित्या रो पड़ी । शाश्वत यह सुन कर चौंक गया । उसने नित्या को देखा और कहा ,मगर क्यों ?

नित्या चुप रही ।शाश्वत ने कहा , नित्या यदि तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो ,तो मुझसे अपने मन की बात कह सकती हो । मगर पहले हम कहीं और चलते हैं । नित्या ने हामी भरी । शाश्वत उसे लेकर कॉफी शॉप गया । दो कॉफी ऑर्डर की । काफी पीते हुए नित्या ने बताया ,

उसके पिता सत्येंद्र सिंह शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी थे । मां स्मृति सहित तीन सदस्यों का खुशहाल परिवार था । इकलौती पुत्री नित्या में दोनों की जान बसती थी । सत्येंद्र सिंह व्यापार के सिलसिले में अक्सर विदेश दौरे पर जाते थे । तब नित्या के लिए ढेरों चीजें ले आते । स्मृति जी झूठा गुस्सा दिखातीं, आपने तो इसे सिर चढ़ा रखा है । ऐसे ही दिन हंसी खुशी बीत रहे थे । नित्या अब 10वी में आ गई थी ।

एक दिन सत्येंद्र विदेश दौरे पर गए तो उनका हवाईजहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया । उनका शव तक नहीं मिला । स्मृति जी इस सदमे से मानो बुत बन गईं ,ना रोई, न कुछ कहा। नित्या का रो रो कर बुरा हाल था । ऐसे में सत्येंद्र सिंह के मित्र शुजित, जिनका सत्येंद्र सिंह के घर आना जाना लगा रहता था , ने स्मृति जी को हिम्मत दी, और व्यापार संभालने में मदद की । स्मृति और शूजित के साथ साथ काम करने से लोग बातें बनाने लगे, तब शूजित ने स्मृति से कहा ,लोगों की बातों से नित्या पर बुरा असर पड़ेगा, इसलिए हमें शादी कर लेनी चाहिए ।

स्मृति जी ने न चाहते हुए भी नित्या की वजह से शूजित से विवाह कर लिया । हालांकि नित्या को शूजित पसंद नहीं थे , पर उसने कुछ नहीं कहा । विवाह के कुछ दिनों बाद ही शूजित ने अपना रंग दिखाना प्रारंभ कर दिया । अब वह शराब पीकर आता और पैसों के लिए स्मृति से झगड़ा करता । स्मृति जी सब कुछ सहन करते हुए भी नित्या के साथ साथ व्यापार संभालने की कोशिश कर रही थी । नित्या पर इस माहौल का असर न पड़े ,इस लिए उसे हॉस्टल भेज दिया ।

12वी की परीक्षा देकर वह घर लौटी । नित्या मां से गले लग कर मिली । शूजित की निगाहें देख कर नित्या को कुछ असहज सा महसूस हुआ , वह चुपचाप कमरे में चली गई । स्मृति ऑफिस चली गई । शाम के समय नित्या अपने कमरे में बैठी थी। शूजित ने नौकर को सामान की लिस्ट देकर बाजार भेजा और फिर शराब पीकर नित्या के कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया ।

नित्या डर गई , उसने फिर भी हिम्मत करके बात की , क्या चाहिए आपको ? शूजित ने उसे घूरते हुए कहा, तुम । नित्या ने लगभग चिल्लाते हुए कहा , शर्म नहीं आती आपको ? चले जाइए मेरे कमरे से । शूजित ने नित्या पर झपटते हुए कहा , जाने के लिए थोड़ी आया हूं । नित्या रोने लगी ,आप ऐसा नहीं कर सकते, सौतेली ही सही पर बेटी हूं आपकी । पर शूजित पर तो वहशीपन सवार था , उसने कुछ नहीं सुना । स्मृति जी तब तक घर आ गई । नित्या के कमरे से आवाज सुनी तो उसके कमरे की ओर दौड़ी । इधर नित्या बार बार कह रही थी ,उसे छोड़ दे ,

दरवाजा पीटते हुए स्मृति जी भी चीखने लगी , शूजित वो बेटी है तुम्हारी । छोड़ दो उसे । मगर शूजित कुछ नहीं सुन रहा था । अचानक स्मृति जी को जोर की आवाज सुनाई दी । नित्या ने फूलदान उठा कर शूजित को मार दिया । शूजित वहीं गिर पड़ा ,उसके सर से खून बह निकला ।नित्या ने दौड़ कर दरवाजा खोला और मां से लिपट गई । शूजित मर चुका था । स्मृति जी ने फूलदान अपने हाथ में ले लिया और नित्या से कहा , शूजित को मैंने मारा है । नित्या ने कहा , नहीं मां….

तुम कुछ नहीं कहोगी तुम्हें मेरी कसम है , स्मृति जी ने कहा ।

स्मृति जी ने पुलिस को फोन किया और अपनी मां आशादेवी को गांव से बुलवाया । पुलिस ने स्मृति जी को हिरासत में लेकर बयान लिया । स्मृति जी ने आशादेवी को नित्या की जिम्मेदारी सौंपी । 2 महीनों बाद कॉलेज खुलने पर नित्या को समझा कर कॉलेज भेजा ।

शाश्वत ने नित्या के हाथ पर हाथ रख कर उसे सांत्वना दी । फिर उसे लेकर स्मृति जी से मिलने जेल गया । शाश्वत को देख कर स्मृति जी ने कुछ कहना चाहा ,तभी शाश्वत ने कहा , आंटी मैं नित्या के साथ कॉलेज में पढ़ता हूं । नित्या ने मुझे सब बता दिया है । मेरे एक चाचा वकील हैं,वे आपका केस लड़ेंगे और …

स्मृति जी ने बात काटते हुए कहा , नहीं मुझे केस नहीं लड़ना मैं नहीं चाहती कि नित्या का नाम आए ।

शाश्वत ने कहा , आंटी आप एक बार उनसे मिल लीजिए वे कोई रास्ता निकाल लेंगे । मैं कल उन्हें ले कर आऊंगा ।

अगले दिन शाश्वत वकील अंकल को लेकर आया । वकील ने स्मृति जी से केस पर चर्चा की , स्मृति जी ने उनसे कहा वह नित्या का नाम नहीं आने देना चाहती । वकील ने समझाया कि, आत्मरक्षा के लिए की गई हत्या पर सजा नहीं होती । नित्या बरी हो जाएंगी , पर स्मृति जी नहीं मानी । उन्होंने कहा , मैंने मारा है, इसी आधार पर केस लड़ना है ।

तब वकील ने कहा , ठीक है । लेकिन शूजित ने गलत नीयत से नित्या पर हाथ डाला, अतः उसे बचाने के लिए आपने फूलदान से वार किया , ऐसा तो कर सकते हैं । स्मृति जी ने इसे भी मना कर दिया । नित्या ने मां को मनाना चाहा ,स्मृति जी फिर भी मना करने लगीं , तब शाश्वत ने कहा , आंटी जी आप नित्या के बारे में सोचें । फिर इसमें नित्या पर कोई आंच भी नहीं आयेगी । आप भी जेल से बाहर आ जायेंगी । तब स्मृति जी ने स्वीकृति दे दी ।

आज तीन महीने बाद स्मृति जी को अदालत ने बा – इज्जत बरी कर दिया । नित्या मां के गले लगकर खूब रोई । शाश्वत ने कहा ,अरे ! अभी भी रो रही हो …

नित्या रोते रोते भी हंस पड़ी ।

रंजना आहूजा

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