जैसा कि आपने अभी तक कहानी “नाजायज रिश्ता “में पढ़ा कि सुबोध और रिया का आपस में अपनत्व बढ़ रहा है …
शायद इसकी वजह रोशनी द्वारा सुबोध की तरफ ध्यान ना देना भी रहा हो…रात में दोनों की प्यार भरी बातें हुई…अगली सुबह विभू के जाने के बाद रिया साड़ी पहन कर ,,तैयार हो ,,,खुद को आईने में निहार रही थी….तभी उसे पीछे से सुबोध नजर आया…
तुम …
तुम यहां कैसे…??
अब आगे…
रिया ने पलट कर देखा…
वहां कोई नहीं था…
ओह तो ये मेरा भ्रम था…
रिया अपने चेहरे पर हाथ रख शर्मा गई …
ये क्या हो रहा है मुझे…
मुझे अब सुबोध अपने चारों तरफ नजर आता है…
हे ईश्वर …
आप मेरे से क्या करवा रहे हो …
मेरे साथ क्या हो रहा है…
लेकिन बात तो सच है कि मेरा दोस्त सुबोध इस समय बहुत ही तकलीफ से गुजर रहा है….
एक सच्चा दोस्त होने के नाते मुझे उसका इसमें सहयोग करना चाहिए….
क्या हुआ बात कर लेता है मुझसे तो….
रिया ने आज मन में कुछ ठान लिया था ….
वह तैयार हो चुकी थी ….
उसने अपनी बेटी को गोद में लिया …
और वह ऑटो में बैठ गयी…
तभी सुबोध का फोन उसके पास आया …
हेलो रिया …
हां बोलो…सुबोध….
कैसी हो रिया…??
अच्छी हूँ…तुम कैसे हो…???
मैँ भी अब ठीक हूँ…
तुम बताओ ….
रिया एकदम नॉर्मल बात कर रही थी…
जैसे कि रात में उनके बीच कोई बात ही ना हुई हो …
रिया तुम मुझसे नाराज तो नहीं…??
सुबोध बोला…
नहीं तो ….
किस बात की नाराजगी…??
वो रात बात वाली बात को लेकर….
मैंने शायद तुमसे कुछ ज्यादा ही कह दिया….
कुछ बातों को लेकर के मन दुखी था….
इसलिए भावनाओं में बह गया…
रियली वेरी सॉरी रिया….
सुबोध बोला….
कोई बात नहीं सुबोध ….
तुम टेंशन फ्री रहो ….
और अपने काम पर ध्यान दो…
अपनी फैमिली की तरफ भी ….
मुझे बुरा नहीं लगा ….
और जब मन हो मुझसे बात कर लिया करो ….
रिया बोली …
यह बात सुन तो सुबोध बहुत ही खुश हो गया….
उसे लगा क्या सच में यह बात रिया ही कह रही है….
ओह थैंक यू सो मच रिया….
मेरा जब भी मन होगा…
मैं तुमसे कॉल कर लिया करूंगा …
मेरा मन हल्का हो जायेगा….
हां हां …
जरूर…
अच्छा तो मैँ बाद में बात करती हूं सुबोध….
थोड़ा जरूरी काम से जा रही हूं….
ठीक है रिया ….
शाम को फोन करता हूं …
ओके …
तो बाय …
रिया ने फोन रख दिया…
आज रिया के चेहरे पर अलग ही तरह की चमक थी …
वह समझ नहीं पा रही थी…
कि वह आज क्या करने जा रही है….
तभी एक घर के सामने रिया ने ऑटो रुकवाया ….
उसने ऑटो वाले को पैसे दिए ….
और बहुत ही आत्मविश्वास के साथ रिया ने सामने वाले घर की डोर बेल बजाई…
घर की मालकिन ने दरवाजा खोला…
सामने सुबोध की पत्नी रोशनी खड़ी थी….
रिया सुबोध के घर आई थी….
रोशनी ने कभी रिया को देखा नहीं था …
उसे पहचान नहीं पाई वो…
जी ….
आप कौन…??
जी आपने मुझे पहचाना नहीं….
अंदर आने को नहीं कहेंगी….
रिया बोली…
हां आईये…
रोशनी ने बोला …
रिया अपनी बेटी को लेकर अंदर चली गई….
रिया कुछ ना बोली….
वह सुबोध के घर को चारों ओर से निहारने लगी….
सुबोध के दो प्यारे प्यारे बच्चे थे…
आपस में खेलने में लगे थे ….
जैसा कि सुबोध ने बताया था …
सच में बच्चे दोनों ही ऐसे नाक बहाते,,बिना नहाये, बस अपने में मस्त थे …
दोनों बहुत ही कमजोर लग रहे थे …
फिर रिया ने उसके यहां बेडशीट ,,सोफे ,,चारों तरफ नजर डाली ….
वहां कोई भी चीज जगह पर नहीं थी,,साफ नहीं थी …
और घर से टॉयलेट के कपड़ों की बदबू भी आ रही थी …
शायद रोशनी एक आलसी पत्नी थी…
जो इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती थी….
रिया कुछ और देखती उससे पहले ही रोशनी ने टोका…
जी …
आप अब अंदर भी आ गई हैं …
तो अब बताएंगी …
आप कौन हैं ….
शायद आप मुझे पहचानती है …
पहचानिए …
मैं सुबोध की दोस्त ….प्रेमिका,,और भी बहुत कुछ….
रिया बोली…
ओहो ….
तो वही बदचलन औरत…
रिया कुछ ना बोली …
मुस्कुरा दी ….
हां जी …
वही बदचलन औरत…
जिससे आपका पति सुबोध बहुत ही प्यार करता है …
और शायद मैँ भी….
क्योंकि वह प्यार शायद आप नहीं दे पा रही हो उसे …
जो उसे चाहिए …
जब पति को आप प्यार नहीं दे पा रही तो बाहर भटकेगा ही…
और पुरानी प्रेमिका मिल जायें तो क्या ही कहने…
शट अप …
कौन होती हो…..
तुम मेरे पति के बारे में कुछ कहने वाली ….
रोशनी बोली…
आदमी होता ही कुत्ते की जात है ….
रोशनी बोली….
तो तुम ही दे रही हो ना अपने पति को ये सब करने की इजाजत….
रिया बोली …
देखो रोशनी….
मैं कितनी खूबसूरत हूं…
सुबोध मेरे हुस्न का ही तो दीवाना है …
रिया इतरा कर बोली….
यह बात सुन तो जैसे रोशनी के तन बदन में आग लगने लगी….
तू मेरे घर में ही खड़ी होकर मुझसे बदतमीजी से बात कर रही है ….
निकल जा मेरे घर से….
रोशनी ने कहा….
तुम खुद को देखो रोशनी ….
कैसी लग रही हो ….
कभी तुमने खुद को आईने में देखा है…
ना तुम्हारे ठीक से बाल कंघी हुए हैं …
ना तुम अभी तक नहायी हो ,,और ना ही बच्चे….
2:00 बजने को आए हैं …
रिया बोली…
यह सब तुम्हे मेरे आवारा पति ने ही बताया होगा…
घर कैसा है मेरा…
मैं कैसे रहती हूं…
हां …
क्यों नहीं …
वह मुझसे रात भर बात करता है..
दिन में बात करता है ….
उसने एक-एक बात मुझे बता रखी है…
ओह तो इतना रिश्ता आगे बढ़ गया है ….
तुम पराये मर्द पर इस तरह नजर रखी हुई है …
तभी मैं सोचूं …..
कि आजकल सुबोध के चेहरे पर एक अलग ही तरह की खुशी कैसे हैं ….
रोशनी चिल्ला कर बोली…
सुबोध मेरे साथ बहुत खुश है …
अच्छा रोशनी ….
मैं चलती हूं ….
आज ही शाम को मैं तुम्हारे पति से फोन करूंगी ….
और बताऊंगी कि उसकी पत्नी एक पराये शादीशुदा मर्द के साथ कैसे घूमती है …
रोशनी फिर चिल्लायी….
रिया अभी भी कुछ ना बोली….
वह मुस्कुरा कर अपनी बेटी को लेकर के जाने ही वाली थी ….
तभी पीछे से सुबोध की बेटी ने कहा ….
आंटी …आंटी….
मैंने आपको देखा है ….
अच्छा बेटा ….
आपने मुझे कहां देखा है …..??
आंटी मैंने आपकी फोटो को पापा के फोन पर देखा है….
उन्होंने उसे लगा रखा है …
बहुत ही सुंदर लग रही हो आंटी आप ….
थैंक यू बेटा ….
आप भी बहुत प्यारे हो….
मैं तो भूल ही गई…
आप लोगों के लिए चॉकलेट लेकर आई थी…
ये लो…
तुम भी आओ बिट्टू….
रिया ने दोनों बच्चों को चोकलेट दी….
आंटी….
आप बहुत अच्छी हो….
रिया ने दोनों बच्चों के चेहरे पर एक-एक किस लिया ….
अपने दोनों बच्चों को रोशनी ने रिय़ा की ओर से खींच लिया….
और अपने से चिपका लिया …
रिया रोशनी को बाय कर चली गई ….
शाम को रिया ने सुबोध को फोन किया…
हेलो सुबोध …
मुझे तुमसे मिलना है….
कैफे आ सकते हो…??
रिया बोली…
क्यों नहीं रिया ….
तुम जहां कहो….
मैं वहां आ जाऊंगा …
सुबोध बोला….
हां ठीक है फिर…
आ जाओ …
मिलते हैं …
हनुमान चौक पर जो कैफे है वहां …..
ठीक है रिया ….
बस में जल्दी ही निकल जाऊंगा …
आज सुबोध बहुत ही खुश था…
रिया उसे अकेले में मिलने के लिए जो बुला रही है ….
वह ऑफिस के वॉशरूम में गया ….
उसने खुद के बाल संवारे…
परफ्यूम लगाया …
और खुद के कपड़े ठीक किये…
वह सर से बच्चों को घूमाने का बहाना कर जल्दी ही वहां से निकल आया ….
और कैफे पहुंच गया…
रिया का इंतजार कर रहा था….
तभी उसे सामने से रिया आई हुई नजर आई….
अगला भाग
नाजायज रिश्ता (भाग -25)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
तब तक के लिए जय श्री राम
मीनाक्षी सिंह
आगरा
Nice story