टिंग-टिंग…. दरवाजे की घंटी बजी , मां ने कहा सरिता जरा दरवाजे पे देखो कौन है। सरिता, जो कि रेनू देवी की बड़ी बेटी है, उसने दरवाजा खोला और कहा, मां मोहित की टीचर मैम हैं। मां ने कहा कि उन्हें गेस्ट रुम में बिठाओ मैं आती हूं; जब ये सब हो रहा था, तो पास के ही रुम में बैठे, मोहित और रघु के चेहरे सफेद और पीले हो रहे थे।।
रेनू जी, जब गेस्ट रुम में आई तो उन्होंने देखा कि टीचर बहुत ही गुस्से में और परेशान हैं, और उनके साथ प्रिंसिपल सर भी थे । रेनू जी ने दोनों का अभिवादन किया और बोली क्या बात है मैम ! मैंम ने पहले प्रिसिंपल सर को देखा और फिर पूछा कि रघु और मोहित कहां है, रेनू जी ने कहा कि वो घर में ही हैं पर बात क्या है, अभी तो कोरोना की वजह से स्कूल भी नहीं चल रहे हैं, क्या बात हो गई ।
प्रिंसिपल सर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि देखिए रेनू जी, बात थोड़ी गंभीर है। ‘इधर प्रिसिंपल सर ने बात बतानी शुरू की उधर मोहित और रघू भी कमरे के रोशनदान से कान लगा दिये , उनकी हालात एकदम पतली हो रही थी, प्रिंसिपल सर ने बताना शुरू किया कि कल की बात है, स्कूल की आनलाइन क्लास में एक अजनबी घुस आया और उसने अपना पूरा चेहरा कवर किया हुआ था,
उसने पहले तो कुछ अश्लील वीडियो प्ले किये और फिर उसने बहुत ही गंदी गालियां मैम को दीं । मैंम कल से डिस्टर्ब है, इन्होंने पूरी जिंदगी में ऐसी गंदी गालियां नहीं सुनी ।। हमने सभी बच्चों से कड़ाई से पूछताछ की है और पता चला है कि, आनलाइन क्लास का आईडी और पासवर्ड मोहित और रघु ने ही किसी को दिया था। इतना सुनना था कि दूसरे कमरे में कान लगाये मोहित और रघु के पैरों तले जमीन खिसक गयी, वो सजा के डर से कांपने लगे, उनकी आंखों के सामने पूरा फ्लैशबैक घूम गया ………
अभी लाकडाउन के जस्ट पहले की ही तो बात थी , एक दिन क्लास में कुछ बड़ा पंगा हो गया, और किसी ने जाकर बात क्लास टीचर मैम को बताई। फिर क्या रघु और मोहित की मैम के सामने लगी पेशी, शालिनी मैम ने कड़े लहजे में डांटते हुए पूछा सब से, क्या हुआ? बताया गया कि रघु और मोहित ने क्लास की ही रुचि को लेडीय ट्वायलेट तक फालो किया और फिर उन्होंने उसके साथ गलत हरकत करने की कोशिश की।
ये सुनना था कि शालिनी मैम अपने आपे से बाहर हो गयीं, मैम पहले तो उन दोनों को घसीटते हुए प्रिसिंपल आफिस ले गईं। प्रिंसिपल सर, सिंह सर थे, जो कि बहुत ही जहीन व संजीदा व्यक्तित्व के थे, वो जानते थे कि मसला कितना गंभीर है , उन्होंने शालिनी मैम को कहा कि आप ही अपने स्तर से इन्हें सबक दें और जो उचित हो वो करें , आप इसके लिए योग्य भी है और इन्हें दंडित करने के लिए सही भी ।।।
शालिनी मैम उन दोनों को लेकर बाहर आफिस के बाहर आयीं और उन दोनो को फिलहाल क्लास में जाने को कहा, वे मन ही मन सोंच रही थी कि अभी कच्चे और अपरिपक्व घड़े हैं अगर अभी कड़ाई पूर्वक सही सांचा दे दिया गया, तो हो सकता है कि आगे ये मानवता को शीतल जल भी देने के काम आयें !!! इसी विचार को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने, फिर आफिस से इन दोनों के घर फोन किया और कहा कि आज कुछ एक्सट्रा एक्टिविटी की वजह से रघु और मोहित दो घंटे लेट आयेंगे। फिर उन्होंने ये ही बात उन दोनो को क्लास में बोल दी कि स्कूल टाइम खत्म होने के बाद तुम दोनों सीधा टीचर रुम आना, भागने की कोशिश बेकार रहेगी तुम्हारे घर वालों को पहले ही बता दिया गया है ।
स्कूल खत्म होने के बाद वो दोनो किसी तरह डरते-डरते स्टाफ रुप पहुंचे, वहां से सब टीचर लगभग जा चुके थे, सिर्फ प्रिंसिपल सर और शालिनी मैम ही बची थीं ।
शालिनी मैम ने कहा अंदर आओ और खड़े रहो, प्रिसिंपल सर बोले कि मैम मैं भी घर जा रहा हूं कुछ अर्जेंट है , आप देख लेना ।।।
अब फिर क्या था कुछ थप्पड़ दोनों को लगने के बाद बनाया गया मुर्गा , शालिनी मैम इस अपराध का सबक अच्छे से देना चाहती थी इसलिए वो कठोर बनी रही, बीच बीच में उन दोनों को खींच के डंडे भी पड़ रहे थे, 15 मिनट मुर्गा बनने के बाद उनकी हालत खराब हो गयी , वो उठ गये, पर उन पर अब डंडे बरसने लगे लगभग 12 डंडे खाने के बाद वो लगातार माफी मांगने लगे, पर मैम ने उन्हें फिर से 10 मिनट के लिए मुर्गा बनाया और फिर शपथ दिलाई कि आगे से ऐसा कोई काम ना करें जिससे, उनके साथ-साथ उनकी माता-पिता की भी छवि धूमिल हो,
मैम ने उन्हें सजा देने के बाद 45 मिनट तक उनको उनके अपराध के बारे में बताया और प्यार से समझाया । उस समय तो वो माफी मांगते हुए और ‘ठीक-ठीक’ कहते हुए निकल गये, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं घर पे पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा ! पर वो अंदर ही अंदर नफरत से भर गये और बदला लेने का मौका तलाशने लगे। लाकडाउन में आनलाइन क्लासेज की वजह से उन्हें ये मौका मिल ही गया, और उन्होंने अपने ही एक दुश्चरित्र मित्र को आनलाइन क्लास की आईडी और पासवर्ड चुपके से दे दी, और उससे बोले कि वो शालिनी मैम को सबक सिखायें, पर उन दोनों का नाम कहीं आना चाहिए ।।।।
… ये पूरा फ्लैशबैक जब सामने से गुजर ही रहा था कि मां कि कड़क आवाज सुनाई दी, रघु और मोहित कहां हो, यहां पर आओ , शालिनी मैम और प्रिंसिपल सर आये हैं। अब उन दोनों की हालत टाइट हो गई , जनवासी चाल से चलते हुए डर से पीले पड़ चुके किसी तरीके से गेस्ट रुम में पहुंचे । मां बोली ये क्या है, तुम दोनों ने ये क्या किया , देखो मैम और सर क्या कह रहे हैं सच सच बताओ ,
वरना अंजाम बहुत बुरा होगा, । दोनों ने डरते डरते किसी तरह शालिनी मैम की तरफ देखा, शालिनी मैम ने भी उन्हें देखा दोनो अजीब तरह के डर व पीड़ा से भरे हुए थे, शालनी मैम को उन्हें देखते हुए – ‘अब कैं राखि लेउ भगवान’ !! वाला भाव उनकी आंखों में नजर आ रहा था । शालिनी मैम यही सब कुछ सोंच ही रही थी कि प्रसिंपल सर ने गुस्से में कहा, तुम दोनों के फोन कहा हैं, अपने फोन शालिनी मैम को दिखाओ , उन दोनों के डरते-डरते अपने फोन शालिनी मैम को दिये, शालिनी मैम ने फोन लेते वक्त फिर उन दोनों की आंखों में देखा, उन दोनों की आंखों में सच्चाई से भरी पश्चाताप वाली याचना, दिखाई दे रही थी..।
मैम ने फोन अपने हाथ में लिया, और कुछ देर छानबीन के बाद उनके फोन में वो मैसेज दिख गया, जिसमें आईडी और पासवर्ड दूसरे दोस्त को फारवर्ड किया गया था, मैम ने एक बार वो मैसेज देखा और फिर मोहित और रघू को देखा । कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद उन्होंने अचानक से ही पता नहीं क्या सोंचकर वो मैसेज उनके फ़ोन से डिलीट कर दिया ,
और फिर फोन वापस करते हुए बोली, प्रिंसिपल सर इसमें कुछ नहीं है, प्रिसिंपल सर ने हैरानी दिखाते हुए फिर से उन दोनों को डांटते हुए पूछा , पर कुछ भी बरामद नहीं हुआ, पर उन दोनों के उतरे हुए चेहरों से तीनो लोगों को ये मालुम था कि हो ना हो ये करतूत इन्हीं की है। फिर प्रिसिंपल सर उनको हिदायत देते हुए वहां से चले गये, फिर कुछ देर बाद ही शालिनी मैम भी वहां से जाने लगी , जाते हुए वह रघू और मोहित को देख रही थी, वो दोनों भी मैम को ही देख रहे थें, पर आज उनका नजरिया, उनकी नजर, उनका भाव, व उनका दिल बदला हुआ सा था । जब मैंम चली गयीं तो मां ने उन दोनों की थोड़ी पिटाई भी की और कड़ाई से पूछा भी पर दोनों सिर्फ चुप थे और उदास ।।।।
लगभग शाम के 4 बजे थे, शालिनी मैम अपने घर में थी और किचन में कुछ काम वगैरा कर रहीं थी , उनके पति व बच्चे दूसरे रुम में मस्ती करते हुए खेल रहे थे । तभी किसी ने डोरबेल बजाई, मैम के पति ने दरवाजा खोला तो सामने से अगले ने कहा कि शालिनी मैम से मिलना है, वो हमारी क्लास-टीचर हैं, और हम उनके स्कूल से ही हैं । उन्होंने शालिनी मैम से कहा देखो कोई तुम्हारे स्कूल से आया है,
मैम ने देखा तो वो रघू और मोहित थे, रघू पीछे खड़ा था, और मोहित आगे, दोनों की नजरें नीचे की ओर थीं, मैम ने पहले 1 मिनट कुछ नहीं कहा फिर उन्हें बिठाया, उनके पति कहीं बाहर जा रहे थे, वो बोले कि सुनो मैं अभी आधे घंटे में आता हूं,बच्चों को देखना, ये कहकर वे निकल गये। उनके जाने के बाद जैसे ही मैम ने इनसे आने का कारण जानना चाहा , ये दोनो शालिनी मैम के पैरों में गिर गये , मैम ने उन्हें उठाने की कोशिश की पर वो नहीं उठे वे सिर्फ रोये जा रहे थे, पता नहीं क्यों पर थोड़ा सा पानी शालिनी मैम की आंखों में भी उभर आया ।
थोड़ी देर बाद जब वो नार्मल हुए तो मैम ने उन्हें पहले पानी दिया और कहा कि वो आराम से बैंठे , इसके बाद उन दोनों ने हाथ जोड़कर पूरी कहानी बता दी, और कहा कि मैम आज जो आपने पुलिस केस न करके हमारी जिंदगी मांं-बाप, समाज और खुद की नजरों में गिरने से बचाई है , उसके लिए वो धन्यवाद देना चाहते हैं । मोहित कहने लगा कि मैम हम लोगों से अनजाने में वो गलती हो गई है जिसकी कोई माफी नहीं है ,
आप हमें सजा दीजिए , कड़ी से कड़ी सजा दीजिए । मैम कुछ बोलती उससे पहले ही वो दोनो उठक-बैठक लगाने लगे, और मुर्गा बन गये ।।। बड़ी मुश्किल से मैम ने उन्हें रोंका और कहा कि इस समय माफी से बड़ी शायद कोई सजा नहीं है तुम्हारे लिए, तुम दोनो अभी घर जाओ , और उस स्कूल की सजा के साथ जो मैंने तुम्हें समझाया था, उसको समझो शायद तुम दोनो अपने संस्कार और विचार में जरुरी सुधार कर सकोगे ।।।।।
‘राजेंद्र मनचंदा’ का एक शेर है –
” वो एक अक्स कि पल भर नजर में ठहरा था ,
तमाम उम्र का अब सिलसिला है मेरे लिए ।”
मैम की इस अद्वितीय सजा ने इनके जीवन में ऐसे ही सुधार किया ।

जैसा कि कहते भी हैं कि शिक्षक संस्कारों का निर्माता होता है, वैसा कई बार होता है ।।
………………………………………………. ‘देवकृष्ण गुप्ता’