आसमां की बुलंदी पर

एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी उसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था।  उस व्यापारी को पक्षियों को पालने का बड़ा शौक था उसने अपने चिड़ियाखाना में दुनिया के हर तरह के पक्षी को पाल रखा था।  एक दिन उसे पता चला कि एक व्यक्ति के पास दो बाज है और वह काफी दूर आसमान में उड़ते हैं। व्यापारी को उस बाज को अपने चिड़ियाखाना में रखने का कौतूहल  जाग गया। व्यापारी ने अपने नौकर से उस पंछी बेचने वाले आदमी को बुलाकर 100 सोने की मोहरे देकर उस बाज को खरीद लिया।

व्यापारी ने बाज  को उड़ा कर देखा तो सच में वह बाज़ काफी ऊंचाई तक उड़ते थे।  कुछ दिन तक तो दोनों बाज आकाश में ऊंचाई तक उड़ते थे। पर कुछ दिनों के बाद एक बाज ने  उड़ना छोड़ दिया वह व्यापारी के बाग में ही पेड़ पर इधर से उधर फुदकते रहता था।

अब व्यापारी परेशान हो गया था कि बाज को उसने इतना ज्यादा पैसा देकर ख़रीदा है अगर बाज उड़े ही नहीं तो फिर उसके खरीदने का क्या फायदा है।  व्यापारी ने कितना भी कोशिश किया लेकिन बाज उड़ नहीं पाता था।

व्यापारी ने पूरे नगर में यह चर्चा फैला दिया कि जो भी उसके बाद को उड़ा पाएगा राजा उसको 50 सोने की इनाम में देगा।  सोने की मोहरो के लालच में कितने लोगों ने आकर प्रयास किया लेकिन किसी ने भी इस बाज को उड़ा नहीं पाए ।



उसी नगर के  के पास एक गांव में एक किसान रहता था उसका उसकी फसल किसी वजह से खराब हो गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह पूरी साल अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेगा तभी किसी ने उसे यह बात बताएं कि एक व्यापारी के पास दो बाज हैं उसमें से एक बार उड़ता नहीं है जो भी उस बाज को उड़ा देगा  व्यापारी उसको 50 मोहरें इनाम मे देगा।

किसान ने सोचा कि चल के प्रयास करता हूं अगर उड़ जाता है तो मुझे 50 मोहरें इनाम में मिल जाएगा अगर नहीं उड़ पाया तो कोई बात नहीं। किसान जब व्यापारी के पास पहुंचा तो देखा कि एक बाज  तो आसमान में उड़ रहा है लेकिन दूसरा बाज बार बार उड़ाने पर भी पेड़ के उसी डाली पर आकर बैठ जाता है।

किसान ने व्यापारी से एक आरी मंगवाने को कहा।  और उस डाली को ही काट दिया जिसपर बाज बार-बार आकर बैठ जाता था।  इस बार फिर बाज को उड़ाया गया। दोबारा बाज उस डाली पर वापस आकर बैठने के लिए जैसे ही आया तो देखता है कि वहां पर तो वह डाली ही नहीं है अब वह करें तो क्या करें वह फिर दुबारा  उड़ गया और इस बार आसमान की बुलंदियों को छूने लगा। व्यापारी या देखकर बहुत ही खुश हुआ और किसान को 50 मुहरे इनाम मे दे दिया।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें भी अपने  डालियों से हटने की जरूरत है तभी हम अपने आप का विकास कर पाएंगे कुछ नया कर पाएंगे अगर हम सिर्फ अपने डाली से जुड़े रहेंगे तो कभी भी हम सफलता की बुलंदियों को छु नहीं पाएंगे।

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