जैसे ही निधि ऑफिस पहुंची,उसने देखा उसके केबिन की टेबिल पर एक गुलावी लिफाफा रखा है साथ ही बड़ी सी चॉकलेट भी,एक कार्ड पर छोटा सा कैप्सन लिखा नजर आया‘‘ इस खुशी के मौके पर कुछ मीठा हो जाए,,
निधि ने उत्सुकता कि लिफाफा जैसे ही खोला, पीछे से वॉस कीआबाज सुनाई पड़ीं, बधाई हो तुम्हारा प्रमोशन हुआ है,आज कोई काम नहीं ,घर जाओ,मजे करो बॉय फ्रेंड के साथ।
बॉयफ्रेंड शब्द को सुन कर निधि चिढ़ सी गई।बॉय फ्रेंड होगा तब न मजे करेगी उसके साथ।
आज अपने अकेलेपन की छटपटाहट उसे अन्दर तक हिला गई।यहां सपनों की नगरी मुंबई में वह नितांत अकेली ही तो रहती है,अपने कैरियर की बुलंदियों को छूने की तमन्ना के साथ।
कॉलेज में पढ़ाई करते समय बीस इक्कीस की उम्र न जाने कब पार करके ऑफिस जाने बाली निधि तीस की उम्र पार कर गई थी। शाम को थक कर जव घर लौटती तो दिल होता सारे दिन ऑफिस में घटित अच्छी,बुरी बातें किसी के साथ बांटे,पर किसके साथ? उच्च पद पर अपने को आसीन होते देखने की महत्वाकांक्षा ने ही शायद उसे यह अकेला पन दिया है।
कॉलेज के समय में, लम्बी घनी केश राशि भावप्रवण झील सी गहरी आंखें और तिस पर तीखे नैन-नक्श के साथ चम्पई रंग इन्हीं सब बिशेशताओं ने उसे कॉलिज में ब्यूटी क्वीन का खिताब दे दिया था। उसकी क्लास के सारे कलासमेट उसे पसंद भी करने लगे थे। परंतु किसी की पसंद नापसंद की परवाह किए विना निधि सिर्फ किताबों में खोई रहती कैरियर की बुलंदियों को छूने का नशा जो सबार था उसके ऊपर।
उसे पसंद करने बालों में अतुल कानाम भी शामिल था,जो उसका कलासमेट होने के साथ-साथ उसका खास दोस्त व खास बडी बन गया था।अतुल मन ही मन निधि कोचाहने लगा था।कॉलिज के फाइनल ईयर में बैलनटाइन डे पर पूरे सौ सुर्ख गुलाबों का बुके लेकर उसके घर पहुंचा , साथ ही एक लव लैटर भी।
सुर्ख गुलाबों का बुके देखकर निधि बुरी तरह भड़क गई,ये कैसा मजाक है, ग्रो अप अतुल यह कोई उम्र है प्यार ब्यार करने की।निधि मन ही मन बुदबुदाई।नादान कही का बुके उठा कर उसके सामने ही बाहर फेंक दिया था,हां लव लैटर को जरूर किसी किताब में छुपा कर रख दिया था।
आज प्रमोशन होने की खुशी बांटनेवाला कोई नहीं था उसके पास।सही उम्र में शादी कर ली होती तो उसका भी एक प्यारा सा घर होता।मन में अतुल की याद टीस मारने लगी थी।
कौन जाने अतुल कहां है ,उसने तो शादी करली होगी,सोचते हुए लैपटॉप पर शादी की वेवसाईट खंगालने बैठ गई, सैकड़ों प्रोफाइल व फोटे देख डाले, किसी काप्रोफाइल उसके साथ मैच नही करता तो किसी की शकल सूरत उसे पसंद नहीं आती,तो किसी की नुकीली मूंछें उसे अपने चेहरे पर चुभती नजर आती।अपने आप पर हंसती तो कभी खुद से ही नाराज हो लेती।
थक घर लैपटॉप बंद करने ही जारही थी कि एकाएक उसकी नजर अतुल के ।
नाम पर ठहर गई, निधि ने पूरे ध्यान से उसका प्रोफाइल व फोटे देखा और अपने आप से बोली,अरे, यह तो वही अतुल है उसका खास दोस्त।
अतुल काध्यान आते ही मन में प्यार की घंटियां सी बजने लगी, नजाने अतुल कहां होगा,कैसा होगा,कौन जाने उसने शादी की भी होगी या नहीं।
फुर्ती से उठी और अतुल कालैटर ढूंढने के लिए पूरी डॉअर उलट,पुलट कर डाली,किताबों को बापस रखने जा ही रही थी कि एक बुक में से एक गुलाबी लिफाफा नीचे गिरा शायद यही अतुल का लव लैटर था। निधि अतुल का लव लैटर खोल कर पढ़ने लगी,उसी समय उसकी दोस्त रिया का नम्बर उसके फोन पर उभरा।
हैलो, निधि तू कल आरही है न? हम सब आनंद हॉल में रीयूनियन मीट के लिए मिल रहे हैं। तुझे भी इसमें शामिल होना ही है।हम सब कॉलेज टाइम के दोस्त मिल रहे हैं।न—–न छोड़ मै नही आपाऊगी कल रात मां बाबू आरहे हैं उन्हें पिक करने एयरपोर्ट जाना है।
मुझे मालूम है कि इस रीयूनियन मीट में आने से क्यों कतरा रही है।इस मैरिड अनमैरिड के प्रश्न का जवाब देने से तू कब तक भागती रहेगी।क्या पता तेरा कोई चाहने बाला मिल जाय इस मीट में।बस तू आरही है कल , मुझे कुछ नही सुनना,पुराने फ्रैंड से मिलकर मूड फ्रेश होजायगा।
थोड़ी सी ना-नुकर के बाद निधि ने कमिट कर दिया, क्योंकि मन में उम्मीद की आस उछल कूद मचा रही थी, क्या पता वहां जाकर अतुल से मुलाकात हो ही जाय।
इस बार वह कोई गलती नही करेगी, निधि ने अपने आप से बायदा किया। रीयूनियन पार्टी में जाने के लिए निधि सज संवर कर तैयार हुई,अतुल का पसंदीदा रंग का पिंक कलर का सलवार सूट व माथे पर छोटी सी विंदी। कारपोरेट जगत में जॉव करने बाली निधि जो कोट पैंट पहन कर ऑफिस जाती थी,आज एसे सज संवर रही थी मानो किसी स्वयंवर में भाग लेने जारही हो
निधि के दिल दिमाग में तो बिचारों का स्वयंवर सजा ही हुआ था,उसे तो अब अतुल की हां का इंतजार था।
हॉल में घुसते ही उसे कई जाने पहचाने चेहरे नजर आए,पुराने कॉलेज टाइम की बातें करने में सभी मशगूल थे,बात वेबात पर हंसी के ठहाकेों से पूरा हॉल गूंज रहा था। सभी लोग खुलकर इस रीयूनियन पार्टी का आनंद ले रहे थे, तभी कहीं से आवाज आई,अरे हमारी ब्यूटी क्वीन ने शादी की या नही अभी तक।
उसने भी तपाक से जवाब दिया कि हां शादी फिक्स हो गई है बस डेट फिक्स होना बाकी है।
तभी पीछे से एक जानी पहचानी आबाज सुनाई दी, बधाई हो,कौन है वह खुश नसीब। निधि ने पीछे मुड़कर देखा,यह अतुल की ही आवाज थी।जो उसे बधाई दे रहा था।अतुल को देखकर उसके दिल की धड़कन तेज हो गई,वह उठी और जाकर उसके साथ बैठ गई।
निधि ने अपना हाथ आगे बढाया और कहा । फ्रैंड अगेन,अतुल ने भी उसके हाथ पर हाथ रखा और कहा ,यस फ्रैंड अगेन।
थोड़ी सी देर के बाद दोनों उठ कर भीड़ से अलग एक कोने में जाकर बैठ गए।बातों का सिरा पकड़ते हुए निधि ने ही पूछा,और कहां हो आजकल? शादी वादी की या नहीं।
हां शादी तो की थी लेकिन उसे रास नही आई।आज तलाक की आखिरी हीयरिंग थी ,सो उसी सिलसिले में यहां आना हुआ होटल चमन में ठहरा हूं और कल शाम की फ्लाइट से बापस जारहा हूं।
फिर तो कल हम पूरा दिन साथ में गुजार सकते हैं,और पुरानी यादें ताजा कर सकते हैं निधि ने अपनी धड़कनों पर काबू करते हुए कहा।मैं तुम्हें तुम्हारे होटल छोड़ दूंगी और कल एयरपोर्ट पर भी छोड़ दूंगी।
रास्ते भर अतुल और निधि पुरानी बातों को याद करके हंसते रहे। निधि ने महसूस किया कि एक अर्से बाद आज वह खुल कर हंस रही थी।
अतुल बोला ,जानती हो निधि,उस दिन तुम्हारे लिए वह सौ गुलाब का बुके जमा करने में मैने कितनी खाक छानी थीकई फ्लोरिस्ट की खुशामद कीथी,और पूरे एक महीने की पाॉकिट मनी भी खर्च कर डाली थी तुम्हारे लिए। परंतु तुमने मेरी भावनाओं की जरा भी कद्र नहीं की।फिर दोनो ही खिलखिला कर हंस दिए
अच्छा रात बहुत हो गई है अब मैं चलती हूं‘कल मिलते हैं ,मैं कल की छुट्टी लेरही हूं,लंच साथ में करेंगे फिर में तुम्हें एयरपोर्ट पर डॉरप कर दूंगी।
निधि घर आकर देर तक जागती रही, ख्यालों में चटक रंग के कालीन बुनती रही।कल वह जरूर से अतुल से अपने मन की बात कह देगी, क्या जाने उसका मन जानकर अतुल का क्या रिएक्शन हो।
दूसरे दिन अतुल के होटल जाने के लिए निधि खूब सज संवर कर तैयार हुई।हलके पिंक कलर की तांत की साड़ी जिस पर नीले रंग की हार्ट शेप की बूटियां बनी हुई थी। निधि को अभी तक याद था कि कॉलेज के दिनों में जब भी बह गुलाबी रंग का सूट पहन कर जाती थी तो अतुल उसे कॉम्प्लीमेंट करता था। निधि ने हाथ भर चूड़ियां पहनी और माथे पर छोटी सी बिंदी लगाई।
निधि समय से पहले ही अतुल के होटल पंहुच गई थी ,हां साथ में लाल गुलाल का बुके लेजाना नही भूली थी।
दरबाजे पर दस्तक होते ही अतुल ने दरबाजा खोला,उसकी नजर सजी संवरी निधि पर अटक कर रह गई। साथ में उसके हाथ में पकडे सुर्ख गुलाब के बुके पर।
लगता है मेरा इस रीयूनियन मीट में आना सफल होगया और मेरा भी कहते हुए निधि ने कस कर अतुल का हाथ पकड़ लिया कभी न छोड़ने के लिए।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
नई दिल्ली
#दिल पर कोई जोर चलता नही