बड़ी भाभी – मीना माहेश्वरी 

मायका

  भैया की शादी में भाभी को विदाई में रोते देख मैं भी बहुत रोई थी ।  मेरे रोने पर सब हंस पड़े थे कि भाभी का स्वागत रो _रो कर करेंगी क्या ? क्यों भाभी पसंद नही आई क्या ?  उस दिन मुझे ये नही पता था कि एक दिन यही भाभी  हमारे लिए मां, या मां से भी बढ़कर हो जाएंगी ।

          पारिवारिक समस्यों की वज़ह से 18साल की

कच्ची उम्र में ही भैया की शादी कर दी गईं थी । भाभी बहुत सुंदर थी। दोनों की जोड़ी खूब जंचती थी । भाभी बहुत भरे_पूरे परिवार से थी । छः बहनों और चार भाइयों

में उनका नंबर छटवा था, एकदम अल्हड़_सी। मां की  मानसिक अस्वस्थता के कारण उन पर परिवार की सारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी।बड़ी दीदी की शादी हो चुकी थी।

शुरू _शुरू के एक_दो साल सामंजस्य स्थापित करने में लग गए। हमारे पापा बहुत ही शांत एवम समझदार प्रकृति के इंसान थे उनका भाभी को पूरा सपोर्ट था।

          लेकिन भाभी की जिदंगी इतनी आसन नही थी, या यूं कहिए बहुत कठिन थी, उसकी वज़ह थे मेरे भैया।

इस कहानी को भी पढ़ें:

अपना घर – संध्या सिन्हा



गलत संगत में उन्हें गलत आदतें लग गई थी । उनकी ओर से कोई आर्थिक मदद तो थी ही नही बल्कि उनके खर्चों की जिम्मेदारी भी पापा पर थी। जिम्मेदारियों और परिस्थितियों ने बहुत जल्दी ही उस अल्हड़ सी लड़की को न जाने कब एक  समझदार कर्मठ महिला बना दिया।

           शादी के बाद भाभी ने प्राइवेट एग्जाम्स देकर अपनी पढ़ाई कंप्लीट की। उनके हाथ में गज़ब का हुनर था, स्वभाव बिल्कुल बिंदास, हार ना मान ने वाली इरादों की पक्की जितनी तारीफ़ करूं शब्द कम पड़ जाएंगे। मैं और मुझसे छोटे एक भाई और एक बहन हम तीन भी

उन्ही की जिम्मेदारी थे। साल भर में उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ । फिर दो_दो साल के अंतराल में एक बेटा और बेटी।

       उन्होंने शुरू के कुछ साल छोटे_मोटे काम कर अपने आपको  आर्थिक रूप से  मजबूत बनाने की कोशिश की। जल्दी ही  वो एलआईसी एजेंट के रूप में स्थापित हो गई। अपने बाहरी कामों के साथ घर की सारी जिम्मेदारियां बखूबी निभाई। एक मानसिक रूप से अस्वस्थ सास की सेवा , जो कि अपने आप में एक बहुत मुश्किल कार्य है।(कोई स्वस्थ सास की भी नही करता)

हम तीनों बच्चों को भी उन्होंने अपने बच्चों की तरह प्यार दिया, हमने भी कभी उनके सम्मान में कोई कमी नही आने दी , हम जितना सहयोग कर सकते थे किया।

          अपने दम अपने बच्चों को उन्होंने काबिल  इंसान बनाया। उनके तीनों बच्चे  वेल सेटल्ड है।हम तीनों भाई बहन भी अपनी अपनी गृहस्थी में खुश है। हमारे शादी_ब्याह से लेकर सारे कामों में भाभी ने मां की कमी कभी महसूस नही होने दी। अब मम्मी_पापा नही रहे। लेकिन कभी भी ऐसा नही लगता भैया_भाभी हमें अपने

बच्चों की तरह प्यार करते है। हमारे बच्चों की शादियों में

इस कहानी को भी पढ़ें:

अटूट बंधन – पूजा मिश्रा : Moral stories in hindi

भी मामा_मामी ने कोई कमी नहीं आने दी। मैने पहले भी जिक्र किया था कि भाभी ने जो कुछ भी किया अपनी मेहनत से किया, पापा थे तब तक कुछ सहारा था। मेरा भतीजा विदेश में है लेकिन अपनी मम्मी की तरह अपने रिश्तों को लेकर बहुत संवेदनशील है, और पूरी शिद्दत से निभाता है। रिश्ते में भले ही वो भाभी है, पर मेरे लिए तो  मां से भी बढ़कर है, क्योंकि मां को देखा तो है लेकिन उनकी अस्वस्थता की वज़ह से कभी उनका प्यार हमे नसीब नही हुआ ।


मायका बेटियों का टूरिस्ट प्लेस तो

होता ही है, बढ़कर होता है टूरिस्ट प्लेस पर तो एक बार

जाते है, लेकिन मायके के लिए तो हमेशा तैयार बगैर तैयारी के। सारी खुशियां, सारा सुकून ओनली ऑन वन प्लेस।

  मायका केवल मां_पिता से ही नही होता, मेरी भाभी जैसी प्यारी भाभियों से भी होता है । लव यू बड़ी भाभी

मीना माहेश्वरी स्वरचित

रीवा मध्य प्रदेश

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!