अरे सुना कुछ …..वो महेश अंकल नहीं रहे
क्या?
क्या कह रहे हैं आप?… अब?
मंजरी के हाथ,दुख और सदमे से रूक से गए।
वरना सुबह सुबह काम से किसे फुर्सत मिलती है?
इतनी सुबह ये समाचार मिला
बस कुछ ही दूरी पर महेश और सौदामिनी जी रहते हैं। रिटायर हो चुके हैं, परंतु बहुत ही स्फूर्तिवान और तंदुरुस्त लगते थे
हां ऊपर से तो देखने में ऐसा ही लगता था, मगर अंदर से इतनी जानलेवा बीमारी निकलेगी,किसे पता था?
अभी कुछ दिन पहले ही बड़ी बेटी के घर विवाह था, उसकी बेटी का… मतलब उनकी नातिन का
मगर आंटी जी हास्पिटल में अंकल जी के साथ थीं और नहीं जा सकी।
कितनी उम्मीद बनी होती है इंसान के अंदर जब तक इलाज चलता रहता है… पूरी दुनिया को समझ में आ रहा होता है मगर घर के सदस्य अपनी लगन से सेवा में जुटे होते हैं
आज नहीं रहे महेश अंकल
मंजरी पड़ोस में ही रहती है। महेश जी और सौदामिनी जी को जब आवश्यकता पड़ती तब पहुंच जाती
वो सभी सुख दुःख भी परस्पर कह लेती
कभी कभी सौदामिनी जी हंसते हुए कहती भी थीं
तुझसे ना जाने पिछले जन्म का क्या नाता है? मेरी बेटियों से बढ़ कर तो तुम ही काम आती हो… पता है अपनी बेटियों से कहने में तो बहुत सोच समझ कर बोलती हूं
इतनी दूर हैं, नाहक किस बात में परेशान हो जाएं… तुम तो मेरी हर बात सुन- समझ लेती हो
कैसी होंगी आंटी?… कैसे संभाल रही होंगी अपने आप को?… अभी तो किसी और के पहुंचने में वक्त लगेगा.. हम लोग ही फटाफट पहुंचते हैं..
मंजरी ने पहुंच कर आंटी को चाय, पानी वगैरह समझा कर पिलाया,आप डायबिटिक हैं,अपना ख्याल रखें
किसी के समझाने पर भी वो जैसे कुछ सुन नहीं रही थीं
गहरे चिंतन में बस दीवार से टिक कर शून्य में निहार रही थीं।
बेटियां पहुंच गई
बड़ी बेटी को अपनी बिटिया का ब्याह निपटाए अभी कुछ दिन ही हुआ था।
मां को गले से लगा कर धीरज बंधा रही थी
सौदामिनी जी भी अब बिलख रही थी… दुख का आंसुओं में बह जाना ही अच्छा..
लगता है अब इस पल के आगे दुनिया कैसे आगे बढ़ेगी?
अचानक सौदामिनी जी की निगाह बेटी के पांव पर पड़ी
उसमें खूब भारी सी,सुंदर नग वाली पायल पहन रखी थी
एक पल को सौदामिनी जी के आंखों में चमक सी देखी,
शायद मंजरी ही यह समझ सकी कोई और नहीं
फिर वो गहरे अवसाद में डूब गईं
*****”
महेश अंकल को गए दिन, महीने बीत रहे थे… मोहल्ले की औरतें, नाते रिश्तेदार, सभी उनसे सामान्य जीवन जीने की बात कहते थे
अंकल की पेंशन उनके हाथ में थी ही…. उन्हें कमी नहीं थी। बेटियों ने अपने साथ चलने को कहा तो उन्होंने कहा मैं सबके पास आती जाती रहूंगी,तुम लोग भी आते रहना.. फिर जब बिल्कुल हाथ पांव नहीं चलेंगे तो और बात होगी…. जिसके मन में आए साथ ले जाना।
आज पड़ोस में कीर्तन है, मंजरी ने सौदामिनी आंटी के घर जाकर उन्हें साथ ले जाने के लिए दरवाजा खटखटाना चाहा
हाथ लगाते ही दरवाजा खुल गया
खुला ही था…. दिन में अक्सर आंटी अपने कमरे में दरवाजा खोल कर बैठती थी
आने जाने वाले हमउम्र लोगों से बात हो जाती तो मन लगने लगा था
आंटी मंजरी को देखते ही सकपकाया सी गई
वो एक पैर में पायल पहन चुकी थीं… दूसरी उनके हाथ से छूट कर गिर गई
मैं बस यूं ही.. पहन कर देख रही थी… तुम्हारे साथ बाजार जाकर बड़े अरमान से लाई थी… अब शायद ….
सौदामिनी जी,पायल उतार कर डिब्बे में वापस रखने लगी
आंटी पहने रहिए… मंजरी ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें उतारने से रोक लिया
मंजरी को याद था ,अभी कुछ ही दिन पहले उन्होंने मंजरी के साथ बाजार जाकर यह सुंदर सी नग जड़ी पायल खरीदी थी
उनकी बड़ी इच्छा थी ऐसी पायल पहनने की
मगर तभी अंकल बीमार पड़े और अथक सेवा और प्रयासों के बाद नहीं रहे…. और पायल रखी रह गई
कुछ मत बोलिए आंटी जी… आज देवी जी की पूजा से अच्छा अवसर क्या हो सकता था,इस नई पायल को निकालने का…. बहुत प्यारी लग रही है आपके पांवों में, और आप भी
नहीं रहने दो… वो लोग बहुत बातें बनाएंगे
वो कौन?
वहीं.. पिछले मोहल्ले में रहने वाली मेरी, चचेरी बहू… और भी बहुत सारे लोग
कभी आपको देखने भी आई है, अंकल जी के जाने के बाद किस हाल में हैं आप?… आपके दुःख, अवसाद से बाहर निकलने का कोई उपाय, कोई सहयोग किया है आपके साथ?
आपको नेलपेंट लगाना कितना पसंद था.. मंजरी ने अपने हाथों से नेलपेंट लगाया…. अब देखिए आपके पांव कितने सुंदर लग रहे हैं
आंटी जी साड़ी पहन कर खड़ी हुई तो, मंजरी ने झट बिंदी लगा दिया उन्हें
कैसा लग रहा है…. मंजरी ने पीछे से आईने में झांकते हुए पूछा
कुछ खुशी सी मिल रही है… कुछ आत्मविश्वास सा लग रहा है
बस इसी खुशी के साथ जिंदगी जीइए
ये वो समय था जब ऐसा करना भी सामान्य बात नहीं माना जाता था.. स्त्रियों की सहज खुशियों को कुचल कर उन्हें मुख्यधारा से अलग काट कर रख देते थे
जब कोई आपका सहारा बन कर फिर से मुख्यधारा में लौट आने में मदद करता है तो वो जीवन के यादगार पल बन जाते हैं
क्योंकि वो एक कदम, सहयोग,,सहारा उस व्यक्ति को दुख के भंवर से बाहर निकलने का निमित्त बन जाता है!
तथाकथित ऐसी महिलाओं को,इस प्रकार शौक श्रृंगार इस नहीं रखना चाहिए —— कुछ लोग ऐसे जहर उगलने वाली बातें बनाते हैं तो कुछ वास्तव में चाहते हैं कि यह अनुचित है।
वैचारिक मतभेद जो भी हों, वास्तव में समाज को अब एकसमान पटरी पर लाना ही होगा….. और यह मत कहिए कि हमनें तो अब ऐसा भेदभाव शहरों में नहीं देखा , बात कुछ लोगों की नहीं सुदूर प्रांतों में आज भी ऐसी अनेक कुप्रथाओं को पुष्पित पल्लवित करने वाले लोगों के ज़हन से यह निकालना होगा, बात तब बनेगी!
चलिए अब देवी पूजन के लिए चलिए…
मंजरी सौदामिनी जी का हाथ पकड़ कर खिलखिलाते हुए निकल रही थी
सौदामिनी जी के चेहरे पर किसी घबराए … मगर अपनी मनपसंद चीज़ को पाने वाले बच्चे के भाव थे……….
क्या कहते हैं मित्रों?
जाने वाला तो चला जाता है.. इस नश्वर संसार में सभी को जाना है.. मगर जो शेष बचता है उसे भी अपना जीवन छोटी छोटी खुशियों को दबा कर,मन मारकर नहीं जीना चाहिए
ये उस समय की बात है… जब ऐसा क़दम उठाना आसान नहीं था।
सौदामिनी जी बहुतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनीं कि जीवन हमें मिला है… इसके हरेक पल को पूर्ण ऊर्जा, खुशियों और जिंदादिली के साथ जीने के लिए!
पूजा में सौदामिनी जी बहुत सुन्दर भजन गा रही थीं… सभी मंत्रमुग्ध हो कर उनके कंठ की भूरि भूरि प्रशंसा कर रहे थे!
उनके खुशियों, आत्मविश्वास में वृद्धि करते हुए आज उनके पांवों में चमक रही थी.. उनकी
नग वाली पायल!!
पूर्णिमा सोनी
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# मतभेद, कहानी प्रतियोगिता, शीर्षक — नग वाली पायल!!