शादी का लड्डू खाकर ही पछताया जाए! – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

एक तो पहले ही शादी शब्द से ही मन में कुलबुलाहट सी होने लगती है यह सोच कर कि शादी के बाद क्या होगा कितनी जिम्मेदारियां होंगी… सारी आजादी छीन जाएगी वगेरह वगेरह??

“क्योंकि ज्यादातर केस में शादी से पहले लड़का और लड़की दोनों ही थोड़े अल्हड़ और गैर जिम्मेदाराना रहते हैं, ना वक्त से सोना, ना वक्त पर खाना,और ना ही वक्त पर कोई काम करना, बस अपनी ही दुनिया में मस्त रहना. असली जिम्मेदारी का एहसास तो शादी के बाद ही होता है.यही कारण है कि शादी का लड्डू खाने से लड़का और लड़की दोनों ही कतराते हैं.

ये सोचकर की पता नहीं लड्डू कड़वा हुआ तो… और ऊपर से मम्मी के लेक्चर बेटा टाइम से उठा करो जब तुम ससुराल जाओगी ना तो वहां डंडे पड़ेंगे, वहां कोई उठाने नहीं आएगा बल्कि देर से उठी तो तानों की बौछार होगी, यहां मायके की तरह गरम-गरम चाय नाश्ता जो बिना मशक्कत के तुम्हारे हाथों में आ जाता है…

वो ऐसे ही नही मिल जाएगा बल्कि अपने हाथों से सब के लिए बनाना पडेगा और खुद के लिए भी….सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर पूजा पाठ करने के बाद ही कुछ खा सकती हो. घर के हर सदस्य का ख्याल रखना पड़ेगा फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा….. हर छोटी बड़ी जिम्मेदारी बखूबी निभानी पड़ेगी.

 ये तो थी…. लड़की के लिए टिप्स….

अब जरा एक नजर लड़के पर भी डाल लेते हैं कि उन्हें अपनी मम्मियों से क्या टिप्स मिलती है…

बेटा अब 4 दिन में तुम्हारी शादी होगी इस तरह से गैर जिम्मेदारना ढंग से काम करने से नहीं चलेगा कभी ऑफिस जाते हो …कभी नहीं जाते हो रोज ऑफिस लेट पहुंचते हो. शादी के बाद ऐसा नहीं चलेगा क्योंकि फिर 15 दिन की सैलरी से काम नहीं चलेगा. अभी तो तुम अकेले हो फिर तुम्हारे साथ एक मेंबर और जुड़ जाएगा

और फिर धीरे-धीरे1 या 2और… अब हर समय तुम्हारे पिताजी की होटल तो नहीं चलेगी ना वह भी तो बूढ़े होंगे इसलिए तुम्हें अपनी गृहस्थी का बोझ खुद ही उठाना पड़ेगा. ये कहावत तो सुनी होगी शादी का लड्डू जो खाए वह पछताए और जो ना खाए वह भी पछताए…..

चलिए पाठकों तो अब मेन कहानी की तरफ बढ़ते हैं.रोहन और रीना की खूबसूरत शादी की कहानी….

रोहन 24 साल का जवान, हैंडसम लड़का है जो कि अपने माता-पिता ,छोटे भाई सोहन के साथ शांति निवास में रहता हैं. जो एमबीए करके अभी अभी जॉब पर लगा है. अभी जॉब पर लगे 6 महीने भी नहीं हुए तभी से घरवालों का उस पर दबाव बनता जा रहा है बेटा शादी कर ले, बेटा बहू आएगी तो रसोई और घर संभाल लेगी अब मुझसे नहीं सभंलता यह घर मेरे घुटनों में बहुत दर्द रहता है….

अब मुझसे तुम लोगों की देखभाल नही होती बहू आएगी तो बेटा तेरा भी ख्याल रखेगी, जब तू देर से आएगा काम की वजह से आफिस से तो वो तेरा इंतजार करेगी…. तुझे भी अच्छा लगेगा.

 हाँ भैया मम्मी ठीक कह रही हैं.आप शादी कर लो. घर में भाभी के आने से रौनक सी हो जाएगी. मुझे भी एक दोस्त मिल जाएगी.

बस पापा अब आप शुरू मत हो जाईएगा. मुझे नहीं करनी अभी शादी- वादी, शादी के बाद सिर्फ जिम्मेदारी ही बढ़ती है और कुछ नहीं होता. मैं इतनी जल्दी जिम्मेदारीयों की चक्की में नहीं पिसना चाहता…. और बात सिर्फ़ जिम्मेदारी तक ही नहीं आती है.मेरे सीनियर मुझे बताते हैं…

कि अगर भूल से भी पत्नी का जन्मदिन या शादी की सालगिरह भूल जाओ तो घर में हंगामा खड़ा हो जाता है, किसी भी महीने अगर घुमाने ना ले जाओ तो मुंह फुल जाता है. ना बाबा ना… मुझे इन सब झंझट में नहीं पड़ना. मैं तो अपना अकेला ही भला हूँ.

नही बेटा ये तेरी गलत सोच है. आज 26 साल से मैं तेरी माँ के साथ हूँ…. मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा की मैने शादी का लड्डू खाकर कोई गलती की है. मुझे तो बेटा तुम्हारी मम्मी और तुम्हारे भाई की बात बिल्कुल सही लग रही है. मैं भी तुम्हारी मां के हाथ का खाना खा खाकर पक गया हूँ,

अब बहू के हाथ का चटाकेदार नाश्ता और खाना खाना चाहता हूं… बहू आ जाएगी तो हम बूढ़ा बूढ़ी भी बेफिक्र तीर्थ यात्रा पर निकल जाएंगे क्योंकि पीछे से तुम दोनों के खाने-पीने की भी चिंता नहीं रहेगी.

ठीक है….”पापा आप सब इतना कह रहे हैं तो मुझे थोड़ा सोचने के लिए वक्त चाहिए. सोचते सोचते 1 साल निकल गया और उसके साथ वाले लड़कों की शादी भी हो गई.रोहन ने भी शादी के लिए अपनी सहमति दे दी, यह सोचकर की पछताकर ही देख लिया जाए.

 बहुत सारे रिश्ते देखने के बाद रोहन की शादी रीना नाम की लड़की से तय हो गई. रीना मध्यमवर्गीय परिवार से है. उसके घर में उसके माता- पिता के अलावा भैया भाभी हैं…. जो कि उससे बडे़ हैं. रीना के घर वाले भी पहले उसकी शादी करना चाहते थे पर रीना ने साफ इंकार कर दिया यह कहकर कि पहले आप भैया की शादी कर दो मुझे अभी शादी नहीं करनी.

मुझे जिम्मेदारियों में नहीं बंधना….और ना ही मुझे पिंजरे में कैद होना है… लेकिन जैसे ही उसकी भैया की शादी को 1 साल हुआ नहीं कि उसे लगने लगा कि भाभी तो शादी करने के बाद बहुत खुश हैं अपने आप को बहुत स्वतंत्र भी महसूस कर रही हैं.

वह उसे बताती हैं कि शादी से पहले उसका भाई उसे अपने साथ कहीं भी घुमाने नही ले जाता था क्योंकि दोनों बराबर होने के कारण लोग मुझे उसकी गर्लफ्रेंड ना समझ लें…. और पापा काम की वजह से ज्यादा घुमा नही पाते थे. लेकिन अब शादी के बाद रीना सच में तुम्हारे भैया ने 1 साल में ही मुझे इतना घुमाया है कि मुझे तो उनके साथ बहुत अच्छा लगता है

वह पति कम दोस्त ज्यादा हैं. मानती हूं कि शादी के बाद मेरी थोड़ी जिम्मेदारियां बढी़ है लेकिन साथ ही साथ नये रिश्ते भी तो जुड़े हैं सच में मैं तो कहूंगी रीन कि तुम भी शादी के लिए हां कर दो वरना बाद में पछतावा ही हाथ लगेगा. शादी सिर्फ जिम्मेदारी नहीं है, ये तो एक खुबसूरत बंधन है जिसमें हर कोई बंधना चाहता है. शादी के बाद एक दूसरे का इंतजार करना, रूठना, मनाना, एक दूसरे की फिक्र करना इन सब का अपना ही मजा है.

 अपनी भाभी के मुंह से शादी के बाद शादी के बारे में सुनकर उसे भी लगा की शादी के बारे में वो जितना खराब सोच रही थी, उतना भी बुरा नही है शायद शादी करना…. इसलिए उसने यह सोचकर शादी के लिए अपनी सहमति दे दी कि पछताना ही है तो शादी का लड्डू खाकर ही पछताया जाए.

फिर क्या चट मंगनी पट ब्याह हो गया. शादी की पहली रात ही रोहन भी रीना के नजदीक नहीं गया और रीना भी थोड़ी कटी कटी सी थी. तब रोहन ने कहा की देखो मुझे भी कोई जल्दी नहीं है रिश्ता कायम करने की, पहले हम दोनों एक दूसरे को जान ले… समझ लें… फिर ही पति पत्नी का रिश्ता कायम करेंगे. तब तक हम सिर्फ दोस्त बनकर रहेंगे. ये सुनकर पहले ही दिन रीना की नजर में रोहन की इज्जत और बढ़ गयी.

दोनों ने अपने रिश्ते को वक्त दिया. एक दूसरे के साथ घूमें फिरें, खूब इन्जाए किया…. और पता ही नही चला कि कब वो अजनबी से एक दूसरे के हमसफर बन गये…..

देखते-2 शादी के 2 साल हो गए और रीना प्रेग्नेंट हो गई. घर में सभी नए मेहमान के आने की खबर से बहुत खुश हैं….रीना और रोहन भी बहुत खुश हैं यह सोच कर कि उन्होंने शादी करके कोई गलती नहीं की. आज दोनों को समझ में आ रहा है उनके माता-पिता ने अच्छा किया कि उनकी शादी सही उम्र में कर दी…

क्योंकि उम्र ज्यादा होने के बाद शादी होने से आदमी सिर्फ जिम्मेदारियां ढोने में ही बूढा़ हो जाता है और सही वक्त पर शादी होने से हर पल को इंजॉय कर सकता है… और अपने बच्चों की शादी में भी यंग और फिट दिखता है, और ज्यादा देर से शादी होने से अपने बच्चों की शादी में माता पिता कम दादा दादी ज्यादा लगता है.

 जिस शादी से वो डर रहे थे, उस बंधन में बंधकर आज दोनों बहुत खुश हैं.

दोस्तों शादी सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं है… ये एक खूबसूरत एहसास भी है… ये एक पवित्र बंधन है… जिसमें देर सबेर ही सही हर कोई बंधना चाहता है…

कैसी लगी आपको रोहन और रीना की शादी से जुड़ी खट्टी मीठी यादें…. अगर पंसद आई हो तो लाइक, कमेंट और शेयर जरूर कीजिये…. और हाँ पेज को  फांलो करना मत भूलिए….

धन्यवाद🙏

@ मनीषा भरतीया

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