विशाल के सीने से लगी सिया फूट फूट कर रो रही थी और बार बार मुझे माफ कर दो की रट लगाए जा रही थी… नाम के अनुसार हीं विशाल!विशाल हृदय का स्वामी भी था..
लगभग पैंतालिस साल की उम्र लंबा खूबसूरत ब्यक्तित्व के धनी धीर गंभीर विशाल की शादी सिया के साथ सत्रह साल पहले हुआ था.. प्रेमविवाह किया था दोनो ने…
सिया और विशाल एक हीं कंपनी में इंजीनियर थे..
सिया के उपर एक भाई और एक छोटी बहन की जिम्मेदारी थी, दोनो पढ़ रहे थे..
पिता बचपन में हीं चल बसे थे.. मां के उपर तीन बच्चों की जिम्मेदारी छोड़ कर..
गांव की जमीन बेचकर गृहस्थी की गाड़ी खींच रही थी.. क्योंकि मां भी सीधी साधी घरेलू महिला थी.. घर की चहारदीवारी से विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं निकल पाई थी… सिया टेंथ में थी तब से हीं ट्यूशन पढ़ाने लगी थी..
पढ़ाई में होशियार होने के कारण वजीफा भी मिलता था.. भाई बहन की पढ़ाई का भी पूरा ख्याल रखती…
बहुत मुश्किल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.. कैंपस सिलेक्शन हो गया तब राहत की सांस ली..
बाकी लड़कियों की तरह कोई शौक नहीं था सिया को बस भाई बहन की पढ़ाई के पीछे पागल थी..
विशाल से उसकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता हीं नहीं चला..
विशाल ने शादी का प्रस्ताव रखा, सिया ने अपनी जिम्मेदारियों की लिस्ट दिखा दिया..
विशाल को एक महीने का समय दिया सोचने का..
आखिर में सिया की मर्जी से सब कुछ तय हुआ.. दोनो की शादी पहले कोर्ट में फिर मंदिर में हो गई.. ज्यादा पैसा खर्च करना दिखावे में सिया को पसंद नही था… घरवालों की उपस्थिति में शादी संपन्न हो गई..
शनिवार और रविवार का दिन विशाल सिया के साथ गुजारना चाहता था पर सिया का प्रोग्राम पहले से तय रहता था, शुक्रवार की शाम को बस पकड़ मायके चली जाती और सोमवार को डायरेक्ट ऑफिस में विशाल से मिलती..कहती भाई बहन और मां मुझे बहुत मिस करते हैं..विशाल सोचता काश तुम महसूस करती मैं भी तुम्हे कितना मिस करताहूं…
शादी के दस साल ऐसे हीं गुजर गए.. सिया का भाई समर मेडिकल के फाइनल ईयर में था और बहन एम बीए कर रही थी..
सिया की तपस्या रंग ला रही थी…
विशाल ने सिया से कहा अब हमे बच्चे के लिए सोचना चाहिए.. शादी के दस साल बीत चुके हैं…बहुत नानुकुर के बाद सिया तैयार हुई..
विशाल और सिया एक बच्चे के माता पिता बन गए थे..
सिया अपने तनख्वाह के सारे पैसे अपने भाई बहन और मां पर खर्च करती थी.. कभी कभी विशाल से भी पैसे मांगकर भेजती…
भाई बहन के रहन सहन और स्टैंडर्ड को देख विशाल जब कभी सिया को समझाना चाहा, सिया नाराज हो जाती..
भाई बहन और मां के मोह में सिया अपने बेटे शौर्य पर भी ध्यान नहीं दे पाती थी…
उड़ते उड़ते सिया के कानों में बहन का किसी विजातीय लड़के से प्रेम की बात पता चली.. अभी वो सोच हीं रही थी कि बात करेगी बहन से तब तक बहन कोर्ट मैरिज कर सरप्राइज दे दिया… सिया सन्न रह गई… कोई पछतावा या शिकन बहन के माथे पर नही दिखा..
अब भाई से उम्मीद थी सिया को..
अपने सारे अरमान भाई की शादी में पूरे करेंगे..
खूब धूम धाम से भाई की शादी के सपने सिया की आंखों में पल रहे थे..
और भाई एक लेडी डॉक्टर से अपनी मर्जी से शादी कर घर ले आया.. सिया ठगी सी रह गई.. उससे पूछना तो दूर बताना भी उचित नहीं समझा.. यही भाई जब सिया शादी कर रही थी तो लिपट के रो पड़ा था दीदी अब हमारा क्या होगा.. हमलोग अब पढ़ भी नही पाएंगे.. कलेजे से लगा लिया था सिया ने……. नही बच्चे तुम दोनो की पढ़ाई कभी बंद नहीं होगी…बड़ी बहन भी तो मां के समान हीं होती है..पर वह सिर्फ कर्तव्य निभाने वाली बड़ी बहन थी अधिकार नगण्य थे…
आज यही भाई कितना बड़ा हो गया है…
दुःखी मन से वापस आ गई..
दो महीने बाद रक्षा बंधन था सिया सबकुछ भूल कर भाई को राखी बांधने एक दिन पहले हीं निकल गई..
मायके जाकर देखा भाई भौजाई कहीं जाने की तैयारी कर रहे हैं…
सिया पूछ बैठी कहां जाने की तैयारी कर रहे हो तुम दोनो..
भाई बोला नेहा अपने भाई को राखी बांधने जा रही है इसके साथ मैं भी जा रहा हूं…
सिया आपा खो बैठी..
तुझे अपनी बहन की जरा भी परवा नहीं.. कुछ और बोलती उससे पहले नेहा बोल उठी दीदी अब भाई की गृहस्थी में दखल देना छोड़कर अपनी गृहस्थी में ध्यान दो.. हमेशा मुंह उठाए आ जाती हो… कैसे पति हैं तुम्हारे जो कुछ बोलते नही.. और भाई जो चुपचाप सुन रहा था बोल उठा दीदी अब हमलोग बड़े हो गए हैं ये बात तुम कब समझोगी.. माना की हमारी पढ़ाई में तुमने सहयोग किया है इसका मतलब ये तो नही कि हम अपनी जिंदगी तुम्हारे इशारों पर बिताए..
अब हमे माफ करो और बक्श दो…
उल्टे पांव सिया बस पकड़ वापस आ गई थी.. इशारों इशारों में कई बार विशाल ने समझाना चाहा था पर मैं हीं भाई बहन के प्रेम और मोह में अंधी हो गई थी… जी भर के रोया तब अहसास हुआ मैं अपनी #सीमा रेखा #से बहुत आगे जा कर रिश्ते निभा रही थी… और इससे मैं अपने पत्नी और मां होने के रिश्ते के साथ ना इंसाफी कर रही थी…
वक्त का झन्नाटेदार थप्पड़ पल भर में सिया को वक्त और रिश्तों की कड़वी सच्चाई से रूबरू करा गया… हर रिश्ते की एक #सीमा रेखा #होती है… जिसको पार करने पर वक्त का जोरदार तमाचा पड़ता है…
विशाल आज गंगा की तरह सिया की सारी गलतियों को नजरंदाज कर अपने सच्चे त्यागी जीवनसाथी होने का कर्तव्य निभा रहा था..
और सिया को ये संतोष था कि सबकुछ खो कर विशाल जैसे अनमोल कोहिनूर को पा लिया था…
🙏❤️✍️Veena singh