असर – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

शाम के वक्त आंगन में अपनी पत्नी और बहू आनंदी को आपस में गपशप करते देखकर मनोहर मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी कमला से बोले” तुम दोनों को आपस में गपशप करते हुए देख कर मन खुश हो गया अब ना बहू अकेली काम करते हुए थकती है

और ना ही तुम घर में अकेले बैठी बैठी बोर होती यदि सास बहू दोनों मिलकर रहे तो घर का माहौल ही बदल जाता है तुम दोनों जब खुश रहती हो तो घर भी खुशहाली से भर जाता है” पति की बात सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी वह मुस्कुराते हुए आनंदी से बोली”

बहू काफी दिनों बाद मैंने घर का काम किया है इसलिए थकावट सी हो गई है तेरे पापा भी ऑफिस में काम करते हुए थक गए होंगे इसलिए तुम मेरे लिए और अपने पापा के लिए चाय बना दो “सास की बात सुनकर आनंदी मुस्कुराते हुए रसोई में चाय बनाने के लिए चल दी थी।

रसोई में चाय बनाते हुए आनंदी को कुछ समय पहले की याद आ गई थी जब वह विवाह के बाद अपनी ससुराल में आई थी तब उसके आते ही उसकी सास ने झाड़ू -पोछा, बर्तन ,नाश्ता दोनों वक्त का खाना, कपड़ों पर प्रेस करना घर के सारे काम की जिम्मेदारी उस पर डाल दी थी

जिसके कारण वह अकेले घर का काम करते हुए थक जाती थी एक दिन शाम के समय जब उसके  ससुर ऑफिस से घर आए तो उन्होंने देखा आनंदी अकेली रसोई में काम कर रही थी और कमला आंगन में कुर्सी पर बैठी हुई थी पति को देखकर वह उन से बोली” कई दिन से  ना तो मुझे भूख लगती और ना ही घर में मन लगता ऐसे लगता है जैसे मुझे कोई बीमारी लग गई हो ।”

पत्नी की बात सुनकर मनोहर मुस्कुराते हुए बोले” तुम्हें कोई बीमारी नहीं लगी बहू के आने से पहले तुम दिन भर घर में काम करती थी जिससे तुम्हें खुलकर भूख भी लगती थी और तुम स्वस्थ भी रहती थी लेकिन बहू के आने से तुम्हें हराम पच गया है जिसके कारण तुम्हें ऐसा महसूस होता है।”

    “अच्छा तुम्हें ऐसा कहते शर्म नहीं आती बहू के आने से मुझे हराम पच गया है” कमला ने गुस्से में कहा तो मनोहर बोले” मेरे द्वारा मम्मी को बहुत समझाने के बाद भी जब मम्मी के घर में काम ना करने के कारण तुम्हारे दिल में मम्मी के लिए सम्मान की जगह कड़वाहट भर गई थी

जिसके कारण तूम ना तो मेरी मम्मी से प्यार करती थी ना ही उनका सम्मान करती थी तुम भी तो पहले मेरी मम्मी के बारे में ऐसा ही कहती थी जब वह आंगन में कुर्सी पर बैठकर तुमसे किसी काम को कहती तब तुम बड़बडाते हुए धीमी आवाज में कहती थी ना”

बूढ़िया को हराम पच गया है यह नहीं सोचती की बहू अकेली काम करते करते थक गई होगी थोड़ा सा उसके काम में हाथ बटा दूं तो उसे भी आराम मिल जाएगा” तब घर में झगड़ा ना हो यह सोच कर मैं तुम्हारी बात सुनकर मम्मी से तुम्हारी चुगली करने की बजाय खामोश हो जाता था परंतु, सास बनने के बाद तुम भी मम्मी जैसी हो गई।

    अब तुम आराम से कुर्सी पर बैठकर बहू पर हुकुम चलाती रहती हो अब बहु थकती नहीं क्या?  यदि तुम बहू के साथ में मिलकर काम करो तो बहू को थकावट भी नहीं होगी और काम जल्दी भी हो जाएगा जिससे तुम्हें भूख भी लगेगी बहू का काम जल्दी खत्म होने से उसके मन में तुम्हारे लिए कड़वाहट की जगह सम्मान बढ जाएगा फिर जब वह तुम्हारे साथ समय बिताएगी तब घर में तुम्हारा मन भी लगने लगेगा।”

“आज जो बात तुम मुझसे कह रहे हो काश !यही बात तुम उस वक्त अपनी मम्मी से कहते तो शायद आज मैं ऐसा नहीं करती क्योंकि कभी ना कभी सास का असर बहू पर आ ही जाता है परंतु, पति को अकल भी तभी आती है जब वे ससुर बनते हैं?

मैं तुम्हारी बातों पर अमल करूंगी क्योंकि खाली बैठकर बहू की नजरों में अपना सम्मान गिराने से अच्छा है उसका हाथ बंटा कर सम्मान के साथ उसका प्यार भी पाऊ” कमला ने मुस्कुराते हुए कहा तो मनोहर भी खिसियाते हुए मुस्कुराने लगे थे

अगले दिन से उसने बहू के साथ काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था जिससे काम करने के कारण उसे भूख भी लगने लगी थी बहु के साथ हंसते बोलते उसका मन भी लग जाता था और बहू को थकान भी नहीं होती थी।” बहु चाय बनाने में इतनी देर कैसे लगादी?”

कमला ने आवाज लगाई तो आनंदी ने देखा उसकी चाय बनकर तैयार हो गई थी “अभी लाती हूँ मम्मी” कहते हुऐ वह जल्दी से कप में चाय डालने लगी थी ।

#कड़वाहट

बीना शर्मा

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