परिचय – रचना गुलाटी : Moral Stories in Hindi

हर माता-पिता की दिली तमन्ना होती है कि उसके बच्चे हमेशा सुखी रहें। इसलिए वे उन्हें छोटी छोटी बातों में गच्चा दे जाते हैं। मालती भी यही चाहती थी

कि उसकी बेटी पढ़-लिख कर अफ़सर बन जाए, इसलिए वह उसे गच्चा दे रही थी कि वह एक स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करती है

जबकि वह वहाँ सफाई का काम करती थी। वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी को सच पता चले और उसका सिर सबके सामने शर्म से झुक जाए।

बेटी भी पढ़ने-लिखने में बहुत होशियार थी। इसलिए उसने एम.ए. पूरी कर ली थी और आज उसे स्कूल में अध्यापिका की नौकरी मिली थी।

वह सबसे पहले यह खुशखबरी अपनी माँ को देना चाहती थी। जैसे ही उसने बताया कि उसे उसकी माँ के स्कूल में ही नौकरी मिल गई है,

माँ की खुशी चिंता में बदल गई। इतनी देर से वह अपनी बेटी को गच्चा दे रही थी, अब जब उसका सच उसकी बेटी के सामने आएगा तो क्या होगा?

इसी सोच में वह पड़ी हुई थी कि बेटी अपनी माँ के मनोभावों को समझ गई। उसने कहा, ” माँ आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है।

आपने मुझे इसलिए झूठ बोला ताकि मुझे अपमानित न होना पड़े पर माँ काम कोई भी छोटा-बड़ा नहीं होता। यह मेरे लिए गर्व की बात है

कि मेरी माँ मुझे इतना प्यार करती है। जब मैं साक्षात्कार देने गई थी, उसी दिन मुझे सच पता चल गया था। आप मेरे लिए सब कुछ हो,

मुझे कोई शर्मिन्दगी नहीं है।” स्कूल में भी उसने अपनी माँ का परिचय बड़े स्वाभिमान से करवाया। मालती को लगा कि आज उसकी तपस्या सफल हो गई।

स्वरचित

रचना गुलाटी 

मुहावरा– गच्चा खाना

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