“शिवानी अधिकारी मछली शहर की पहली आई.पी.स. बनीं।”आज के अख़बार की हेडलाइन पढ़ा तो नाम कुछ जाना-पहचाना लगा… ध्यान से फ़ोटो देखी…. अरे!… यह तो मेरी स्कूल की सखी मिताली की बेटी है।
क़रीब दो बरस पहले मेरी बात हुई थी उससे, तब बहुत परेशान थी। बेटी शिवानी आगे पढ़ कर कुछ बनना चाहती थी और उसके वक़ील पति बेटी का विवाह करना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि… “आज कल बढ़ते तलाक का कारण लड़कियों को अधिक पढाना-लिखाना और आत्मनिर्भर बनाना है।
इसी बात पर उसकी अपने पति से मतभेद चल रहा था… उस समय, उसका कहना था कि ”लड़कियों को भी…अपने सपने पूरे करने का हक़ है। आख़िर क्यों हम उनकी क़ाबिलियत और सपनों पर #झाड़ू मारते रहेंगे।””फिर हम दोनों ही अपनी-अपनी गृहस्थी में मसरूफ़ हो गये।
मैंने अपने मोबाइल में उसका नम्बर मिलाया ….
हेलो… उसकी आवाज़ आयी तो…
मैंने कहा…,” बधाई हो”
“ थैंक यू सीमा!”
“बस छोटा सा थैंक यू…. मिताली…. ग्रेंड-पार्टी बोलो….मिताली…!”
“ क्या बताऊँ सीमा शिवानी के पापा तो तब से नाराज ही… हम माँ-बेटी से… कहते हैं तुमने सिर चढ़ा रखा है… बेटी को…।”
“ अरे….! इसमें सिर चढ़ाने वाली कौन सी बात हो गयी अब तो बेटा हो या बेटी सब की पढ़ाई-लिखायी, बराबर से होती है और ज़माना कितना आगे बढ़ रहा है या दोगली सोच कहाँ से आ गयी जीजा जी में।”
“ क्या कहें सीमा उनका कहना है कि हम वक़ील लोग रोज़ ही दस-पंद्रह केस देखते हैं कोर्ट में, आज कल की अधिक पढ़ी-लिखी लड़कियाँ समझौता नहीं बराबरी करती है जिसके वज़ह से घर में और रिश्तों में.. दरार पड़ती है जो तलाक़ का रूप लेती है।”
“ तो क्या आजकल की लड़कियों को अपने सपने पूरे करने का हक़ नहीं है??? इस तरह से तो… हम लड़कियों की क़ाबिलियत पर #झाड़ू मारते रहेंगे।”
“ यही बात… मैंने भी कही थी सीमा.. तो वो नाराज़ हो गए।”
“ अरे! ऐसा नहीं है मिताली आज की युवा पीढ़ी बहुत ही समझदार है वो अपना अच्छा-बुरा अच्छे से समझती है और रही बात समझौते की तो ताली दोनों हाथों से बजती है लड़की ही क्यों लड़का भी समझौता करे। यानि… दोनों लोग एक-दूसरे की भावनाओं को समझे और एक-दूसरे को रिस्पेक्ट दे दोनों एक-दूसरे के पूरक बने और अब ऐसा ही ही रहा है मिताली! तुम प्यार से समझाओ जीजा जी को, वो समझेंगे॥”
शाम को जब शर्मा जी कोर्ट से लौटे तो…
हाथों में मिठाई का डिब्बा लेकर ख़ुशी-ख़ुशी शिवानी मिताली को आवाज़ें देने लगे।
“ सॉरी… आज की नारियों मैं ग़लत था और तुम सही मिताली…। मैं रोज़-रोज़ बढ़ते तलाक़ को देख कर… डर गया था… या यह कह लो… शिवानी के प्रति … अधिक पजेसिव हो गया था।
संध्या सिन्हा