संस्कार – प्राची_अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नंदिनी घर का काम जल्दी से निपटा कर अपने बेटे माधव की स्कूल पी.टी.एम में गई। जाते ही माधव टीचर को राधे-राधे बोल कर जैसे ही क्लास टीचर के पैर छूने लगा। टीचर गुस्से से अंग्रेजी झाड़कर फिर हिंदी में नंदिनी से कहती हैं, ” यह इंग्लिश मीडियम स्कूल है। यहां पर गुड मॉर्निंग बोला जाता है। पैर छूने का रिवाज नहीं है यहां पर। आप अपने बेटे को कुछ सिखाती क्यों नहीं? “

नंदिनी टीचर की बात सुनकर एकदम दंग रह गई।

” इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने का मतलब यह तो नहीं कि हम अपनी संस्कृति और संस्कार को भूल जाएं। सीखने की जरूरत मुझे नहीं आपको है। “‌ 

नंदिनी टीचर को जवाब देते हुए बोली।

नंदिनी के जवाब को सुनकर सारे पेरेंट्स टीचर की बहुत #निंदा करते हैं। सभी लोग नंदिनी के सम्मान में खड़े होकर ताली बजाने लगते हैं और टीचर का फिर शर्म से झुक जाता है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य यह तो नहीं हो सकता कि हम अपनी जड़ों, अपने संस्कारों को भूल जाएं। अगर कोई शिक्षा हमें अपनी मिट्टी से अलग करती हैं तो ऐसी शिक्षा हमारे किस काम की है। जो हमारे बच्चों में संस्कार है ना गढ़ सके।

#प्राची_अग्रवाल

खुर्जा उत्तर प्रदेश

#बहुत निंदा होना मुहावरा आधारित लघु कथा

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