“आज माँ के कमरे में जाने का जरा भी मन नहीं कर रहा था… उसको गए अभी सप्ताह भर ना हुआ था और हम दोनों भाई बहन को एहसास हो रहा था…..
माँ का होना और ना होना क्या होता है…आज कमरे में चारों तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था….ये सन्नाटा भी हमने ही तो चाहा हमेशा पर आज ये सन्नाटा क्यों अच्छा नहीं लग रहा है।” सोचते हुए देव माँ के कमरे के बाहर से ही अपने आँसू पोंछते हुए निकल गया
दूसरे कमरे में नव्या का भी रो रोकर बुरा हाल हो रखा था… उधर पिता चुप चाप से कमरे में बैठे पत्नी की तस्वीर निहार रहे थे ।
“बेटा तुम लोगों ने करुणा को खो दिया अब चुप रहने और रोने से वो तो नहीं आ जाएँगी… बहुत दुःखी थी मेरी बेटी..,अंदर ही अंदर घुट रही थी कहती रहती थी… माँ लगता है ज़िन्दगी भर सबके गरम स्वभाव को कब तक बर्दाश्त कर सकती हूँ…पति का तो गरम स्वभाव जान रही थी
वो बिना बात गरम होते रहते थे कभी खाना उनकी पसंद का ना हुआ तो ,कभी उनके कपड़े सही जगह पर नहीं मिले तो ,कभी कोई फाइल खुद रख कर भूल गए तो भी मैं ही इन सब की ज़िम्मेदार होती और फिर उनके क्रोध का ज्वालामुखी मुझे आहत कर जाता पर मुँह से एक शब्द नहीं बोलती थी
बोलने पर तुम चुप रहो कहकर चुप करा दिया जाता है….पर अब तो दोनों बच्चे जैसे जैसे जवान हो रहे हैं हर बात में मेरी कमी ही नजर आ रही है उनको…..बस अब ये दिन मुझसे नहीं देखा जा रहा… दिल भी अब कमजोर होता जा रहा है…. अब तो बस सुनती हूँ बोलना तो भूल ही गई हूँ….
कितनी परेशान हो रखी थी मेरी बेटी….. उसकी चुप्पी तुम लोगों के अच्छी लगने लगी थी तुम सब सोच रहे थे बस हमें ही बोलने का हक़ है….करुणा ने कभी ये हक़ जताया भी तो तुम सब ने चुप करा दिया…तुमने कभी सोचा भी कि तुम सबका गरम होना किसी की ज़िन्दगी को ठंडा करता जा रहा है…
मर गई मेरी बेटी घुट घुट के… काश तुम लोग थोड़ी नरमी से पेश आते तो शायद वो ऐसे हमें छोड़ कर ना जाती।” करुणा की माँ अपने दामाद और नाती नातिन से बोल रही थी आँखों में आँसू थम नहीं रहे थे
तीनों सिर झुकाए बस बात सुन रहे थे जिसको जाना था वो सब के गरम स्वभाव को झेलते झेलते आज इन सब को छोड़कर जा चुकी थी ।
दोस्तों कभी कभी किसी का अत्यधिक गरम होना दूसरे के जीवन को दब्बू बना देता है और कभी कभी लाचार इंसान बीमार होकर संसार छोड़कर चला जाता है…इसलिए अपनों पर एक सीमा में रहकर क्रोधित हो ।
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#मुहावरा
#गरमहोना(क्रोधितहोना)