झांसे में आना – सुषमा यादव : Moral Stories in Hindi

मीना के घर में एक किरायेदार बहुत दिनों से रह रहा था। उसका परिवार किसी गांव में रहता था,पर मीना ने कभी पूछा नहीं।

खाना पीना वह अपनी फैक्ट्री में ही करता था। कभी कभी उसे पैसों की जरूरत होती तो वह अपनी मकान मालकिन से मांग लेता और वेतन मिलते ही लौटा देता। इस कारण मीना उस पर विश्वास करने लगी थी। गरीब लोग हैं, परिवार भी है। मंहगाई के इस जमाने में बेचारे किसी तरह अपनी घर गृहस्थी चला रहें हैं।

मदद तो करना ही चाहिये। एक बार उसने कहा कि मुझे अपनी बेटी के इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस जमा करना है, प्लीज़ मुझे पच्चीस हजार रुपए दे दीजिए। मीना ने इतनी बड़ी रकम देने से मना कर दिया।पर उसकी बेटी का फोन आया, आंटी, मुझे एडमिशन नहीं मिलेगा,कल आखिरी तारीख है, प्लीज़ आप मुझे रुपए दे दीजिए। मीना ने सोचा। लड़की की पढ़ाई का सवाल है। बेटी को तो पढ़ाना है, आगे बढ़ाना है उसने तीस हजार रुपए दे दिए।

पांच छः महीने में उसकी एफडी पूरी हो गई थी उसने ईमानदारी से एफडी से तीस हजार रुपए निकाल कर मीना को दे दिया।

अगले साल किरायेदार ने फिर मीना से पचास हजार रुपए मांगे। बहुत जरूरी है बिटिया को बाहर कोचिंग करने जाना है। मेरी एफ डी मैच्योर होने वाली ही है आपको पूरा पैसा लौटा दूंगा। मीना ने साफ इंकार कर दिया।पर उसने कहा कि अच्छा चार महीने बाद दिवाली में मैं ब्याज सहित पूरा पैसा लौटा दूंगा, मैं अपनी मां की कसम खाता हूं। अरे भाई, तुम मां की कसम मत खाओ।कल ले जाना पैसे। मीना ने उसे पचास हजार रुपए दे दिए। 

कुछ दिन के बाद ना तो किरायेदार दिखाई दिया और ना ही उसका फोन लगा। जब जब मीना लगाती स्विच ऑफ बताता।

मीना सोच में पड़ गई, क्या हुआ? कोई बात हो गई क्या? 

दो तीन महीने बीत गए पर उसका पता नहीं चल सका।

एक दिन मीना को उसका एक दोस्त मिल गया। उसने उससे पूछा तो वो हंसने लगा। आंटीजी आपके पैसे तो गए। क्या मतलब। उसने अपनी मां की कसम खाई है। कोई अपनी मां की कसम यूं ही झूठ में नहीं खाता। वो किसी विपत्ति में पड़ गया है। 

नहीं आंटी, उसे कुछ नहीं हुआ है। वो ऐसे ही कसमें खाकर सबसे पैसे ठगता है और फिर दूसरे शहर कमाने भाग जाता है। वह सबसे मां की कसम कहकर पैसे ऐंठ कर भाग जाता है और जब उसकी मां ही नहीं है तो मां की कसम खाने से क्या फायदा? उसकी मां तो बरसों पहले मर चुकी है।

मीना अवाक रह गई और उसका गांव कहां है। गांव भी किसी दूसरे शहर में पता नहीं कहां है।

आपको सोच-समझकर कर किसी को इतनी बड़ी रकम देना चाहिए था।

मीना ने उसके कमरे का ताला तुड़वाया उसमें जो भी थोड़ा बहुत सामान था वह गायब था।

अब मीना ने अपना सिर पीट लिया। बड़े सुनियोजित तरीके से उसने मीना को अपने झांसे में फंसाया। उसको इतना बड़ा धोखा दिया। 

उसने भी कसम खाई कि अब वो भी किसी को बिना जाने समझे पैसे नहीं देगी।ना तो किसी के झांसे में आयेगी और ना ही धोखे में रहेगी।

सुषमा यादव पेरिस से

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!