गलती तुम्हारी भी है, तुम झांसें में आ गई। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

“देखिए, मैम आप ये नई क्रीम लेगी तो इससे आपके चेहरे का रंग और भी निखर जायेगा, आपके नैन नक्श तो तीखे हैं, पर ये दबा हुआ रंग आपकी सुंदरता को कम कर रहा है, चेहरा तो गोरा ही होना चाहिए, सभी को अपने घर में गोरे रंग की बहू चाहिए होती है।”

सलोनी पार्लर में काम करती हुई लडकी की बातें सुनकर मौन हो गई, बचपन से उसे उसके सांवले रंग का ताना दिया जा रहा था, ” लड़की हुई है वो भी सांवली!! गोरी होती तो कोई भी शादी कर लेता।”  दादी ने गोद में लेते ही बोल दिया।

जैसे -जैस सलोनी बड़ी हुई तो उसके आस-पास के लोग भी उसे कहने लगे और वो सबकी सुनकर अकेले में खूब रोती, पर उसकी मां बड़ी समझदार थी, उन्होंने समझाया “सलोनी सदियों से लड़कियों को रूप-रंग की तराजू में ही तौला जाता है, पर ये सब लोगों की सोच है, हमें अपनी सोच के अनुसार जीना है,

अगर तुझमें प्रतिभा है, कुछ कर गुजरने की चाह है तो ये रंग भी सबको सुंदर नजर आयेगा, गोरे रंग से कुछ नहीं होता है, गुण होने चाहिए, रंग कुछ पल मन को अच्छा लगता है, पर गुण और प्रतिभा हो तो ताउम्र आप लोगों को मोहित कर सकते हो।”

सलोनी पढ़-लिखकर आज आईएएस अधिकारी बन गई है, और वो पार्लर में थ्रेडिंग करवाने गई थी, पार्लर में नई लड़की आई थी, वो सलोनी को जानती नहीं थी, और अपनी सलाह दिये जा रही थी।

तभी पार्लर में एक लड़की दौड़कर आती है, “तुमने तो कहा था कि इस क्रीम से मेरा रंग गोरा हो जायेगा, मै तुम्हारे झांसें में आकर ये क्रीम खरीदकर ले गई, पर इसे लगाते ही मेरे चेहरे पर लाल दाने हो गये है, मैं अभी पुलिस में जाकर शिकायत करती हूं।”

पार्लर वाली  लड़की चुपचाप खड़ी थी, तभी पार्लर की मालकिन आ गई, “मैंने ये क्रीम नहीं रखी है, ये नई लड़की अपने मन से बेच रही है, मेरे पास काफी सारी शिकायतें आई है, मै भी इसकी शिकायत करके आई हूं, इसके झांसें में आकर काफी लड़कियों का चेहरा खराब हो गया है।’

सलोनी जो चुप थी वो बोली, “गलती तुम्हारी भी है, बिना कुछ सोचे देखे भाले बस गोरे होने की क्रीम खरीद ली,  अपने चेहरे को चमकाने की जगह तुम्हारे अंदर जो गुण है, उसे निखारती तो आज तुम अच्छी जगह नौकरी कर रही होती” इस तरह झांसें में आकर पैसा भी बर्बाद कर रही हो और अपना चेहरा भी तुमने खराब कर लिया।”  रंग निखारने की जगह अपना व्यक्तित्व निखारती तो जीवन में कुछ बन जाती।”

“पता नहीं लड़कियों को ये समझ में क्यों नहीं आता है कि सिर्फ रूप-रंग को संवारने के लिए उन्होंने जन्म नहीं लिया है, जीवन में और भी कार्य है, जिन्हें करके वो अपना जीवन संवार सकती है।”

सलोनी की बातें वहां बाकी लड़कियों के भी समझ में आ गई, उन्होंने निर्णय लिया कि वो अब किसी के भी झांसें में नहीं आयेगी।

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना

सर्वाधिकार सुरक्षित

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