हे राम यह क्या हो गया – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

राधिका सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी थी किंतु उसके सपने अमीरों के जैसे थे! राधिका को बचपन से ही मॉडर्न कपड़े पहनने का बहुत शौक था किंतु जैसे जैसे बड़ी होती गई उसके मॉडर्न और छोटे कपड़ों पर रोक लगती चली गई!

एक दिन उसने मम्मी से पूछा, मम्मी.. आप मुझे मॉडर्न कपड़े क्यों नहीं पहनने देती, मेरी सारी सहेलियां पहनती है और आजकल तो मॉडर्न कपड़े पहनने वालों को ही आधुनिक समझा जाता है! आपको पता है सब मुझे कितना पिछड़ा हुआ समझते हैं!

नहीं बेटा … जैसे भी कपड़े पहने हो शादी के बाद अपने पति के यहां पहनना किंतु अभी हम जिस समाज में रहते हैं वहां छोटे या मॉडर्न कपड़े नहीं पहने जाते! ऐसा सुनकर राधिका का मुंह उतर जाता, फिर  मन में आता की कोई बात नहीं, शादी के बाद जब पति के साथ अलग रहूंगी

तब अपनी इच्छा पूरी करूंगी! राधिका की शादी एक बिजनेसमैन से हो गई जो की एक छोटे शहर में रहते थे और बराबरी में वह राधिका के परिवार के जैसे ही थे! यहां भी राधिका की इच्छाएं पूरी नहीं होने वाली थी! अब उसके शौक ने धीरे-धीरे गुस्से का रूप ले लिया, वह सोचती..

कब मैं अपने मन का  पहनूंगी क्योंकि पति को भी अपनी दुकान से फुर्सत नहीं थी और नौकरी थी नहीं जो वह अपने पति के साथ अलग रह सके! एक दिन घर पर सास और नंद दोनों नहीं थे, पति और ससुर जी दोनों दुकान गए थे,

राधिका ने सोचा आज अच्छा मौका है अपनी पसंद के कपड़े पहनने का! मैं घर में पहनकर भी अपना शौक  पूरा कर सकती हूं! आज वह अपने पति को सरप्राइज देना चाहती थी, तो उसने अपने पति से कहा.. सुनो… आज दिन में घर आ जाना,

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घर पर कोई भी नहीं है चाहे 1 घंटे के लिए ही सही, पति ने हां कर ली और दुकान के लिए चला गया! राधिका घर के कामों से फ्री होकर  छोटी-छोटी कपड़ों में तैयार होकर बैठ गई, कि जैसे ही उसका पति आएगा उसे  देखकर खुश हो जाएगा!

2:00 बजे के समय घर की घंटी बजी राधिका ने  इतराती हुई जैसे ही दरवाजा खोला देखा, वहां उसके पति की जगह उसके ससुर जी खड़े हैं! दरअसल दिन में ससुर जी की तबीयत कुछ खराब सी हो गई थी तो उन्होंने अपने बेटे से कहा..

कि दुकान तू संभाल लेना मैं घर जाकर आराम करता हूं, जैसे ही दोनों ने एक दूसरे को देखा राधिका  शर्म से पानी पानी हो गई, वह तुरंत अंदर आई और तुरंत अपने कपड़े बदले! और उसके मुंह से निकला हे राम.. यह  क्या हो गया, वह समझ गई किसी के सामने पानी पानी होने से अच्छा है जो जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दिया जाए!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित

  मुहावरा प्रतियोगिता पानी पानी होना

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