विश्वासघात – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शिप्रा और मनोज की दोस्ती पूरे कॉलेज में प्रसिद्ध थी,साथ ही साथ एम एस सी की थी दोनो ने,फिर पी एच

डी और पोस्ट डॉक।इतना लंबा साथ था,मनोज शिप्रा पर जान छिड़कता,उसका कहा हर वाक्य उसके लिए

ब्रह्म वाक्य से कम नहीं होता लेकिन शिप्रा,शायद उसके साथ उतनी सीरियस नहीं थी।

इसकी भी एक वजह थी,शिप्रा जहां बहुत रईस खानदान से संबंध रखती थी,उसके पापा रिटायर्ड इंजीनियर

इन चीफ थे तो बड़ी बहन और जीजा आई ए एस अधिकारी,वहीं मनोज एक कृषक परिवार से संबंध रखता

था,यू पी के एक सुदूर छोटे से गांव में उसी पिता की थोड़ी सी जमीन थी जिसपर कुछ खेती होती थी,उससे ही

परिवार का भरण पोषण हो रहा था,सारे घर की उम्मीद मनोज ही तो था।

दोनो की एक ही जगह जॉब भी लग गई थी,अब मनोज का दबाव शिप्रा पर बनने लगा था कि शादी

करो।शिप्रा का दिल पूरी तरह आश्वस्त न था,वो प्यार और स्टेटस के बीच किसे चुने ,समझ नहीं पा रही

थी।शायद वो मनोज से सच्चा प्यार करती हो न थी,वो तो उसे इस्तेमाल कर रही थी,जब तक कोई उपयुक्त

लड़का उसे मिले,यही सही,टाइमपास के लिए।

ऐसा जब दूसरे मनोज से कहते वो गुस्सा हो जाता,”नहीं!मेरी शिप्रा ऐसी नहीं है,वो मुझे दिलोजन से चाहती

है।”

अगर ऐसा है तो वो तुमसे शादी को हां क्यों नहीं कहती?लोग पूछते और मनोज निरुत्तर हो जाता,जल्दी ही हम

एक हो जायेंगे और आप सबके मुंह बंद कर देंगे,वो कह तो देता लेकिन मन ही मन डरता भी था।

उसने तो शिप्रा के अलावा किसी दूसरी का ख्याल भी कभी दिल में ना लाया था ,शिप्रा उसे छोड़कर किसी

और को अपना लेगी,ये उसके लिए सपने में भी सोचना नामुमकिन था।

शिप्रा के साथ ज्यादातर वो कॉलेज कैंटीन,एक विशिष्ट कॉफी शॉप पर ही मिलता था और वो भी शिप्रा जब

उसे बुलाती तब।आजकल शिप्रा उससे अक्सर जब मिलती,बहुत टेंशन में होती,”मनोज!क्या करूं,घरवाले

मान ही नहीं रहे तुमसे शादी को,रोज नया रिश्ता लाकर मेरे सामने लाकर खड़ा कर देते हैं,क्या करूं?”

“तुम साफ साफ बता क्यों नहीं देती उन्हें ?”

मनोज कहता तो वो कह देती,”मुझे सारी जायदाद से बेदखल कर देंगे वो!”

“तो करने दो,हम दोनो मिलकर इतना कमा रहे हैं कि एक सम्मानित जिंदगी बिता सकें,हिम्मत करके,एक बार

आगे बढ़ो, मैं तुम्हारे साथ हूं शिप्रा!” मनोज कहताऔर शिप्रा सिर झुका लेती और चुप लगा जाती।

एक दिन,मनोज के कुछ हमदर्द साथियों ने उसे शिप्रा के बारे में ऐसा बताया जिसे सुनकर वो भड़क गया बुरी

तरह…

“शिप्रा सिर्फ मुझसे प्यार करती है,तुम लोग जलते हो हमारे प्यार से इसलिए बकवास करते हो….” वो बोला

जब उन्होंने दावा किया की शिप्रा आज किसी अमीर लड़के से पर्ल रेजीडेंसी में मिल रही है।

बेमन से मनोज चल दिया उनकी बताई जगह और वाकई में शिप्रा एक बहुत ही अमीर लड़के से मिल रही

थी,उन दोनो की बातें सुनकर मनोज के पैरो तले जमीन सरक गई।

शिप्रा कह रही थी उससे,”ये मनोज नाम का मेरा सहपाठी जोंक की तरह चिपक गया है मुझसे,मुझे नफरत है

उसकी गरीबी से,उसके संग जिंदगी क्यों काटूं मैं? वो तो एक संग जॉब है तो मजबूरी है,कितने साल इकठ्ठा ही

रहना है।”

डार्लिंग!तुम फिक्र क्यों करती हो,हम शादी कर लेते हैं,कह देना उसे,पेरेंट्स ने एक न सुनी इसलिए करनी

पड़ी,उसके साथ आए लड़के ने कहा तो शिप्रा उससे लिपट गई।

मनोज से और ज्यादा न देखा गया,उसका दिल टूट चुका था,”इतना बड़ा विश्वासघात!ये तो मीठी छुरी

निकली, यानि मेरे साथ सिर्फ मतलब से थी ये,उल्लू बना रही थी मेरा,इसकी सारी थीसिस मैंने लिखी,इतने

पेपर्स में इसका नाम जोड़ा और उसका ये सिला दिया इसने!!”

मनोज घर आया,जहां उसके माता पिता कह रहे थे,उसने शादी को हां कह दी,कितने दिनों से उन्हें टाल रहा था

वो,लेकिन आज उसका दिल बहुत हल्का था।वो समझ चुका था कि

रिश्तों के बीच विश्वास का एक पतला सा धागा होता है जो आज टूट चुका था।

शिप्रा की बात वो न सुनता तो न जाने कब तक उसके बनाए झूठ में उलझा रहता,आज उसे सच्चाई समझ

आ गई थी कि शिप्रा

वाकई में उसे इस्तेमाल ही कर रही थी।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

#रिश्ते के बीच विश्वास का एक पतला सा धागा होता है

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