क्या कहा तूने ?? दो दिन बाद तुम लोग वापस घर लौट रहे हो !! परसों सुबह की फ्लाईट की टिकटस हो गई हैं !! आंखो में आंसू लिए सुनीता जी बोली !!
हां मां , बस दो दिन ओर फिर हम सब वापस साथ होंगे फोन पर बेटा आशीष बोला !!
फोन रखकर सुनीता जी इतनी खुश थी कि अभी से उनके आने की तैयारियो में व्यस्थ हो गई !!
घर को सजाने से लेकर , खाने पीने का सारा सामान भरने लगी !! आम खाने का मौसम चल रहा था इसलिए आम की मिठाई , आम का आचार , आम का मुरब्बा सब बना दिया सुनीता जी ने !!
दो दिन कैसे बीते पता ही नही चला सुनीता जी को ?? आज रात तो आंखों में नींद भी गायब थी क्योंकि दूसरे दिन सुबह आशिष और रीया घर आ जाएंगे !!
पुरे ढ़ाई महिने बाद आ रहे थे दोनों घर !! लगभग ढ़ाई महिनों से सुनीता जी ने अपने बेटे बहू को देखा नहीं था सिर्फ फोन पर ही बाते होती थी !!
फरवरी में शादी हुई थी बेटे – बहु की और दोनों शादी के बाद सिंगापुर और मलेशिया हनीमून मनाने चले गए थे !! वहां से लौटे तो कोरोना संकट की वजह से मुंबई में ही रह गए थे !! आशीप की जॉब भी मुंबई में ही थी !! सरकार ने अब लॉकडाउन में ढील दे दी थी इसलिए आशिष ने सुबह की पहली फ्लाईट की टीकट बुक करा ली थी !!
कल सुबह बेटा बहु यहां हैदराबाद पहुंच जाएंगे इसी खुशी की वजह से सुनीता जी रात भर सो नहीं पाई !! सवेरे तड़के ही उठ गई सुनीता जी !! आशीष ने फोन पर बताया था सुबह ग्यारह बजे तक घर पहुंच जाएगा इसलिए सुनीता जी जल्दी जल्दी हाथ चलाने लगी !!
उन्होंने आशीष की पसंद के गुलाब जामुन और मालपोहे बना दिए थे और सारा खाना और नाश्ता भी बना दिया था !! आज तो मारे खुशी के उनके पांव जमीन पर नही थे , वे उड़ रही थी और इतना जल्दी सारा काम निपटाने की कोशिश कर रही थी जैसे उन्हें कोई कांपेटिशन जीतना हो , उन्हें बेटे बहू से ढेरो बातें भी तो करनी थी इसलिए उनके हाथ उनके सार्मथ्य से ज्यादा जल्दी चल रहे थे !!
आशीष बहुत छोटा था , जब उसके बाबु जी की मृत्यु हो गई थी !! सुनीता जी घर की बड़ी बहु थी , उनके पति नारायण जी सहित उनके तीन भाई थे !!
नारायण जी की मृत्यु के पश्चात सुनीता जी को अपने ही घर से बेदखल कर दिया गया था !! जमीन जायदाद कुछ भी हिस्से में नहीं आया था !!
सुनीता जी ने कोर्ट में अपने हक के लिए लड़ाई करने की सोची मगर छोटे आशीष को देखकर रुक गई क्योंकि इन कोर्ट कचहरी के रिजल्ट आने में सालों लग जाते हैं और उन्हें आशीष को पढ़ा लिखाकर उसका भविष्य संवारना था ना कि इन कोर्ट कचहरी के पछेड़ों में पड़कर जीवन खराब करना !! उन्होंने सिलाई कढ़ाई में शिक्षा प्राप्त कर रखी थी जिसे उन्होंने अपना रोजगार बना लिया और आशीष को खुब पढ़ाया लिखाया !!
सुनीता जी ने अपनी जिंदगी में बहुत सी परेशानियों का सामना किया था !! आशीष की शादी वाले दिन भी सुनीता जी फुट फुटकर रोई थी कि काश !! आशीष के बाबुजी जिंदा होते तो आज कितना खुश होते !! हर माता पिता की यही तो तमन्ना होती हैं अपने बच्चों को सफलता की सीढ़ी चढ़ते देखना और दूसरा उनकी शादी अपनी आंखों से देखना मगर आशीष के बाबुजी की किस्मत में यह सुख देखना नहीं लिखा था इसलिए ही तो हम दोनों को अकेला छोड़कर चले गए !!
यही सब सोचते हुए सुनीता जी की आंखे भर आई और अब वह पूरे घर में साफ सफाई करने लगी !! ग्यारह बजे ही थे कि आशीष का फोन आ गया !!
मां हम लोग बस आधे घंटे में पहुंच जाएंगे !! एअरपोर्ट से टैक्सी ले ली हैं !!
सुनीता जी बोली हां बेटा !! जल्दी आ जाओ !!
आशीष का फोन रखा ही था कि सुनीता जी के सोसायटी की सहेली मिसेज वर्मा का फोन आ गया और वह बोली आज शाम छः बजे माताजी का कीर्तन करना हैं क्या ?? इस कोरोना के चलते सुनीता जी भूल ही चुकी थी कि कीर्तन कराने का इस बार का नम्बर उनका था !!
दरहसल कोरोना के पहले सोसायटी में हर रविवार कीर्तन होता था और कीर्तन के बाद जिसका चिट में नाम खुलता अगला कीर्तन उसके घर रखा जाता !!
अगला नाम सुनीता जी का खुला था मगर बीच में यह कोरोना आ गया था !!
अब लॉकडाउन खुल चुका था और आज रविवार था इसलिए मिसेज वर्मा ने फोन किया था !!
सुनीता जी बोली हां हां क्यों नहीं ??
तुम सभी को मेरी तरफ से शाम छः बजे मेरे घर कीर्तन का मैसेज कर देना !!
आशीष और रिया आने वाले हैं इसीलिए मैं अभी बिजी हूं !!
थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी , सुनीता जी ने दरवाजा खोला तो सामने आशीष और रिया खड़े थे , दोनों ने सुनीता जी के पांव छुए तो सुनीता जी ने दोनों को कसकर गले लगा लिया , रिया को तो जमकर भींच ही लिया और बोली – रिया तु मेरी बहु नहीं बेटी हैं , तुझे देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही हैं !!
आओ , दोनों अंदर आओ और फ्रेश हो जाओ , मैं तुम दोनों के लिए नाश्ता लगाती हुं !!
रिया बोली मांजी , हम दोनों ने प्लेन में ही नाश्ता कर लिया था इसलिए हम दोनों नाश्ता नहीं करेंगे !!
आशीष बोला – मगर रिया हमें प्लेन में नाश्ता किए अब समय हो गया हैं इसलिए मैं तो पहले नाश्ता करूंगा , बाद में नहाने जाऊंगा !!
सुनीता जी बोली रिया बेटा , मैंने बड़े चाव से नाश्ता बनाया हैं , आ तू भी थोड़ा सा खा ले !!
रिया चिढ़कर बोली – नहीं मांजी , आप और आशीष नाश्ता करिए , मैं थोड़ा आराम करूंगी , वैसे भी काफी थक गई हुं मैं बोलकर रिया अपने कमरे में चली गई !!
सुनीता जी को बहु का यह व्यवहार थोड़ा अटपटा लगा मगर वे सोचने लगी बहुत थक गई होगी बेचारी इसलिए इतना रुखा व्यवहार कर रही हैं !!
सुनीता जी ने अपने और आशीष के लिए नाश्ता लगाया !!
आशीष नाश्ता खाकर बोला – मां आज बहुत दिनों बाद तुम्हारे हाथ का खाना खा रहा हुं , तरस गया था बहुत समय से यह खाना खाने के लिए !!
सुनीता जी बोली मैं भी तरस गई थी बेटा !! तुम दोनों को देखने के लिए !!
उतने में रिया के चिल्लाने की आवाज आई आशीष , आशीष !!
आशीष दौड़कर अपने कमरे में चला गया !!
सुनीता जी ने खाने की पुरी तैयारी कर दी थी , बस अब रोटियां ही बनानी बची थी तो वे रोटियां बनाने लगी !!
थोड़ी देर बाद आशीष फ्रेश होकर बाहर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गया !!
पीछे से रिया भी आकर डाइनिंग टेबल पर खाने बैठ गई !!
सुनीता जी ने सारा खाना रसोई से डाईनिंग टेबल तक अकेले अकेले पहुंचाया !! रिया अब भी अपने फोन में लगी हुई थी ! रिया ने खाना बनाने में तो कुछ भी मदद नहीं की थी मगर वह खाना सर्व तक नहीं कर रही थी !!
सुनीता जी खाना सर्व करने जा ही रही थी कि आशीष बोला – मां आप बैठिए , मैं खाना सर्व कर दूंगा !!
आशीष ने सभी को खाना सर्व किया !!
अपनी थाली में गुलाब जामुन और मालपोहे देखकर रिया बोली – ऑह माय गॉड इतना घी वाला और मीठा खाना कौन खाता हैं ??
सुनीता जी बोली – सब कुछ आशीष की पसंद का बनाया हैं बेटा !! तेरी पसंद मुझे पता नहीं थी इसलिए आज आशीष की पसंद का खाना बना दिया !! शाम को तेरी पसंद का खाना बना दूंगी !!
रिया बोली – आशीष मुझे नहीं खाना यह खाना !! तुम अभी की अभी मेरे लिए जोमेटो से खाना आर्डर करो !!
आशीष बोला – रिया एक काम करो तुम यह मीठा और घी वाला खाना मत खाओ मगर तुम यह दाल- सब्जी और रोटी तो खा सकती हो ना !!
रिया दाल चखते हुए बोली इतनी तीखी दाल मैं नहीं खा सकती आशीष !! तुम बस मेरे लिए जोमेटो से अभी की अभी खाना आर्डर करो !!
आशीष ने रिया के लिए खाना आर्डर कर दिया !!
रिया ने वह खाना दबाकर खाया और सुनीता जी के हाथों से बनाया खाना सारा वेस्ट कर दिया !!
सुनीता जी की आंखों में पानी आ गया क्योंकि वे सुबह से इतनी मेहनत अपने बेटे बहू के लिए ही तो कर रही थी !!
कितनी चाव से खाना बनाया था उन्होंने बेटे बहु के लिए और बहु ने तो खाना छुआ तक नहीं !!
रिया जोमेटो वाला खाना खाकर वापस अपने कमरे में आराम करने चली गई !!
आशीष अपनी मां का मुंह देखकर समझ गया कि मां को दुःख हुआ हैं !!
आशीष बोला मां रिया को बाहर का खाना ही ज्यादा पसंद हैं इसलिए उसने ऐसा बर्ताव किया , खाना बहुत अच्छा बना था मां !!
आशीष के मुंह से प्यार भरे शब्द सुन सुनीता जी अपना दुःख भूल गई और जल्दी जल्दी सारे बर्तन धोने लगी क्योंकि छः बजे सोसायटी की सभी औंर ते कीर्तन के लिए जो आने वाली थी !!
पांच बजे सुनीता जी ने चाय बनाकर पी ली !! बेटे बहु का दरवाजा अभी बंद था इसलिए सिर्फ अपने लिए चाय बनाई !!
थोड़ी देर बाद सभी औरते आ गई और सभी ने मिलकर कीर्तन गाना शुरू कर दिया !!
कीर्तन के बीच सुनीता जी सभी के लिए पानी लाने रसोई में गई तो उन्हें बेटे बहु के कमरे से शोर सुनाई दिया !!
आशीष कह रहा था रिया तुमसे सिर्फ दो कप चाय नहीं बन रही !! शाम के साढे छः बजने आए और तुम कमरे में सिर दर्द का बहाना बनाकर बैठी हुई हो !!
रिया कह रही थी आशीष मैं दो मिनट भी यहां ओर रही तो मेरा सर दर्द से फट जाएगा , अभी की अभी हमारे लिए होटल में रूम बुक करो और चाय भी अब हम वहीं होटल की पिएंगे !!
आशीष बोला – एक काम करो मैं तुम्हारे लिए होटल में रूम बुक कर देता हुं , तुम जाओ आराम से होटल में रहना !!
रिया बोली मैं अकेले होटल में कैसे रहूंगी आशीष ?? तुम्हें भी मेरे साथ चलना होगा !!
आशीष बोला – मैं यहीं मां के साथ रहूंगा रिया और बस अभी थोडे समय मैं तैयार होकर बाहर कीर्तन में बैठने जा रहा हुं , तुम होटल में जा सकती हो !!
रिया आशीष का यह रूप देखकर स्तब्ध थी !!
सुनीता जी बेटे बहु का क्लेश सुन चुकी थी !! थोड़ी देर में आशीष भी बाहर आकर सभी के साथ कीर्तन में बैठ गया !!
बाहर से आती आवाजों से रिया कमरे में बैठी लाल पीली हो रही थी !! एक झटके से अपने कमरे से रिया बाहर आकर बोली – बंद करिए यह शोरगुल !! इतना जोर से भी भला कोई कीर्तन करता हैं क्या ??
सभी औरते हैरान होकर सुनीता जी के सामने देख रही थी !!
सुनीता जी बोली यह मेरे बेटा और बहु हैं आज ही मुंबई से आए हैं !!
धीरे धीरे करके सारी औरतें बहाने बनाकर अपने घर चली गई !! सुनीता जी की बहु की बात का बुरा तो लगा ही था मगर बेचारी सुनीता जी जैसी भली औरत का इसमें क्या कसुर था इसलिए खुलकर कोई कुछ बोली नहीं !!
आशीष गुस्से में अपने कमरे में गया और बोला – सारी गलती मेरी ही हैं जो मैंने तुम्हें इतना सिर पर चढ़ाया तभी तो आज यह दिन देखने पड़ रहे हैं ! रिया कुछ बोलती उससे पहले सुनीता जी कमरे में आकर बोली बहु , मैं तुम्हारा सिर दबा देती हुं !!
रिया बोली – नहीं मांजी इसकी कोई जरूरत नहीं , आपने बाहर शोलगुल बंद करवा दिया उतना ही बहोत हैं मेरे लिए !!
सुनीता जी ने आशीष और रिया के लिए चाय बनाई और शाम के डिनर की तैयारी करने लगी !!
उधर आशीष और रिया को भी अब भूख लगने लगी थी !!
दोनों सुबह की तरह डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गए !! रिया ने वापस खाना बनाने में कुछ मदद नहीं की थी मगर वह खाना सर्व तक नहीं कर रही थी !!
सब्जी चखते ही फिर से रिया बोली – मांजी सब्जी में कुछ स्वाद ही नहीं लग रहा , यह बेकार बनी हैं एकदम !!
सुनीता जी बोली बेटा आशीष !! तु खाना जोमेटो से आर्डर कर दे !!
फिर अपना खाना खत्म कर वह अपने कमरे में सोने चली गई !!
आशीष और रिया एक दूसरे के सामने हैरानी से देखने लगे !!
सुनीता जी दो दिन से जितनी खुश थी , अभी उतनी ही दुःखी हो गई थी और सोचने लगी रिश्ता हमेशा दोनों तरफ से बराबरी में निभता हैं !! कोई एक रिश्ते को खींच खींचकर कब तक चला सकता हैं ?? ताली दोनों हाथों से बजती हैं मगर यहां रिया मेरे इतने प्रयास के बाद भी मुझसे दूरी बनाए हुए हैं !!
अब सुनीता जी सोच लिया था कि रिया को छठी का दूध याद दिलाना ही पड़ेगा !!
दूसरे दिन सुनीता जी सुबह 8:00 बजे उठी तो देखा आशीष पहले से उठकर सोफे पर बैठा हुआ है !!
सुनीता जी नहा धोकर मंदिर चली गई !!
रिया के उठते ही आशीष बोला मुझे फटाफट चाय बना कर दो रिया !!
रिया बोली तुम्हारी मां को आ जाने दो , वही बनाएगी सबके लिए चाय नाश्ता !!
आशीष बोला हद हो गई हैं रिया !! मैं कल से सब कुछ बरदाश्त कर रहा हुं , तुम इस घर की बहू हो बेटी नहीं !! बहु के कुछ फर्ज होते हैं रिया !!
रिया के कानों पर आशीष की बातों का कोई असर नहीं हुआ !!
मां तो अब तक मंदीर से नहीं लौटी थी , गयारह बजने आए थे , अब दोनों को जोरो से भूख लगने लगी थी !!
आशीष बोला – आज खाना मिलेगा या नहीं !!
रिया बोली आशीष !! तुम्हे पता हैं मुझे बिल्कुल भी खाना बनाना नहीं आता !!
आशीष बोला रिया अब तुम शादीशुदा हो और तुम्हें खाना बनाना सीखना पड़ेगा !!
रिया बोली मैं आज वैसे ही थकी हुई हुं आशीष !! मुझसे कुछ नहीं होगा !!
आशीष बोला – तुमने किया ही क्या हैं रिया ?? जो तुम थक गई हो !!
रिया अपने कमरे में चली जाती हैं और अचानक उसके पेट में दर्द होने लगता हैं !!
आशीष उसे डॉक्टर के पास लेकर जाता हैं तो पता चलता हैं रिया को बाहर का खाना खाने से फूड़ पाइजनिंग हो गया हैं !!
डॉक्टर की दवाई से रिया को तुरंत आराम मिल जाता हैं !!
रिया और आशीष घर आते हैं तो देखते हैं मां का तो आज उपवास हैं इसलिए मां ने खाने में कुछ नहीं बनाया हैं !!
रिया आशीष से बोली – आशीष मांजी से कहकर मेरे लिए दलिया या खिचड़ी बनवा दो ना !!
आशीष बोला कल तक तो तुम्हें मां के हाथ का बना खाना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था अब तुम ही कहो मां से दलिया या खिचड़ी बनाने को !! रिया मां के पास आकर बोली – मांजी बहुत जोरों से भूख लगी है , मुझे खाना बनाना बिल्कुल भी नहीं आता !!
सुनीता जी बोली मगर तुम्हें खाने में नुक्स निकलना तो अच्छे से आता है !!
रिया बोली मुझे मेरे कल के व्यवहार के लिए माफ कर दीजिए मांजी और प्लीज मुझे भी खिचड़ी और दलिया बनाना सिखाइए !!
सुनीता जी रिया को बच्ची समझ कर माफ कर देती हैं !!
दोस्तों , बहुत बार सासे बहु के जुल्म सहन करती रहती हैं इसलिए बहुओं की हिम्मत ओर बढ़ती जाती हैं इसलिए मेरी हर सास से विनती हैं कि बहु को बेटी जरूर माने मगर उनके बुरे बर्ताव का सामना जरूर करें !!
आपको यह कहानी कैसी लगी ??
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन !!