टूटते रिश्ते – उषा शिशीर : Moral Stories in Hindi

रीना  ‍ रीना 

पलट कर जब रीना ने अपने बचपन की साखी निशा को दिखा एकदम चौंक गई, अरे निशा तुम यहां, तुम तो गुड़गांव चली गई थी अचानक यहां कैसे। 

अरे रीना चल गई थी, मगर अभी 2 वर्ष पूर्व पापा जी को अटैक आया, तो विवेक वापस दिल्ली आ गए अब पापा जी का कारोबार और पापा जी दोनों को वही देख रहे हैं 

और तू बता कैसी है, बहुत कमजोर नजर आ रही है 

रीना बोली नहीं रे सब ठीक है पारिवारिक जिम्मेदारी जो है और तू बता कैसी है, निशा बोली मैं ठीक हूं और बरेली कब गई थी मैं तो अभी 15 दिन पूर्व मायके रहकर आई हूं तेरे घर भी गई थी 

रीना पूछने लगी वहां सब कैसे हैं मां, भैया, भाभी, चुनमुन, राघव 

निशा बोली अरे चुनमुन के ब्याह में गई होगी ना 

अरे चुनमुन की शादी हो गई मुझे मालूम ही नहीं कह कर वापस पलट गई 

बगैर निशा से बोले ऑटो में बैठकर घर आ गई 

आज रीना का मन ना खाना बनाने में लग रहा था ना किसी से बात करने में। रात को सारे काम से निवृत हो जब पलंग पर सोई अतीत में खो गई। 

कैसे पापा ने अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च कर महेश के साथ रीना का ब्याह किया था,

हजारों सपने आंखों में संजो उसने अपने घर में कदम रखा था। मां पापा के दिये संस्कार, सुबह से शाम तक सास ससुर देवर नन्द और

पति की जिम्मेदारियां निभाती रही। 5 वर्ष में दो बच्चे रीमा और आदित्य की मां बन गई, दृष्टि की ग

[25/5, 21:17] usashishir1: गृहस्ती की गाड़ी चल रही थी अचानक एक दिन किचन में पानी लेने गई, महेश अभी तक दुकान से नहीं आए थे

सास के कमरे से महेश मम्मी जी और देवर के शब्द उसके कानों में सुनाई पड़े, देवरा कह रहे थे

अब तो सरकार भी माता-पिता की जायदाद में बेटी को हक का अधिकार दिया है भाभी के पिता के पास चार बीघा जमीन दो बीघा भाभी ले आए

तो हम रेडीमेड वस्त्र का व्यवसाय शुरू कर दें, महेश बोला बिल्कुल यह उसका अधिकार है मैं कल ही रीना से बात करूंगा 

रीना उल्टे पैर वापस आ गई उसे आश्चर्य हुआ महेश भी इस साजिश में शामिल है।

सुबह उठकर ही महेश और उसकी मां ने रीना से मायके जाकर दो बीघा जमीन के पैसे लाने को बोला, रीना ने साफ इनकार दिया मेरे मायके की हालत ठीक नहीं है

वह जैसे तैसे खेती से गुजारा करते हैं मैं पैसे नहीं लाऊंगी। उसके बाद रीना पर अत्याचारों की झड़ी लग गई पति, सास

[25/5, 21:17] usashishir1: रूपयो का बेग रीना के हवाले कर दिया। आज जब वह घर से विदा हुई ना भैया ना भाभी ना बच्चे उसे विदा करने बाहर तक आए

वह जैसे ही ऑटो में बैठी मां आई उसके सर पर हाथ रखकर बेटी मायके से जा रही है यह तेरी आखिरी विदाई है रुपए जरूर हाथ में है

मगर मायका समाप्त हो गया वह बिलख-बिलख कर रोने लगी मां मैं क्या करती हूं एक लड़की की मजबूरी सिर्फ माही समझ सकती है 

मां कहने लगे तुझे मालूम है तेरे भाई ने यह रुपए कैसे जमा किया उसकी सारी जमा पूंजी जो उसने बेटी के ब्याह के लिए रखी थी मेरे गहने तेरी भाभी के गहने सब बिक गये

मैं रोती हुई अपने ससुराल वापस आ गई उसके बाद में कभी मायके का मुंह नहीं देखा पैसे के साथ मेरे रिश्ते मायके से टूट चुके थे आज जब निशा के मुंह से भतीजी की शादीका सुना मैं बहुत द

[25/5, 21:17] usashishir1: दुखी हुई ,ओर टुटते रिश्ते मेरा तकीया भिगोते रहे

उषा शिशीर भैरून्दा नसरुल्लागंज

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