मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगे कभी सपने में भी नहीं सोचा था – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

भाभी —! क्या –आप कुछ देर चिंटू को संभालेंगी??

परू का आज वैक्सीनेशन है इसलिए उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना है धूप ज्यादा है सो चिंटू की तबीयत ना खराब हो जाए। ‘मैं वैक्सीन दिला कर जल्द से जल्द आने की कोशिश करूंगी।’

 अवनी अपनी भाभी निहारिका से बोली ।

हां -हां दीदी !आप निश्चिंत होकर जाइए मैं तो वैसे भी फ्री हूं । संभाल लूंगी उसे।

 ‘थैंक यू भाभी! कहते हुए अवनी परु को लेकर चली गई।

चिंटू अभी 5 महीने का होने वाला था । और परु 2 साल की ।

  ‘ अवनी का पति रवि महाराष्ट्र के अमरावती में जॉब करते थे।’ डिलीवरी के 2 महीने बाकी रहते हुये अवनी अपने मायके पटना आ गई  ताकि डिलीवरी में  सहूलियत मिले । 

अवनी के पापा देवधरजी साइकोलॉजी डिपार्मेंट में प्रोफेसर थे उनकी नौकरी नालंदा में थी और मां रोहिणी जी हाउसवाइफ। अवनी का बड़ा भाई “सागर”  पटना में ही किसी प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर था उसकी शादी निहारिका के साथ हुई थी ।

इनकी शादी के अभी 2 साल हुए थे इन्होंने अभी  कोई बेबी प्लान नहीं किया ।

समय पूरा होते ही अवनी ने एक पुत्र को जन्म दिया ।

 रवि पुत्र को देखकर ,बहुत खुश थे अब वह अवनी को वापस अमरावती ले जाना चाहते थे पर रोहिणी जी  ने अवनी को ले जाने से मना कर दिया बोली अब तो  ये 6 महीने बाद ही जाएंगे क्योंकि तब तक अवनी भी थोड़ी मजबूत हो जाएगी और बच्चा भी पल जाएगा । 

अभी 2 महीने ही हुए थे कि—–

 देवधर जी की तबीयत कुछ दिनों से खराब रहने लगी 

अब मुझे तेरे पापा के पास ही रहना पड़ेगा उनकी तबीयत सही नहीं रहती है।

 पर तू घबराना मत तेरे भैया- भाभी है  ना तेरा अच्छे से ख्याल रखेंगे । कुछ दिन बाद रोहिणी जी भी देवधर जी के साथ चली गईं।

डॉक्टर के यहां से आने में अवनी को देर हो गई क्योंकि क्लीनिक में भीड़ काफी थी।

 भाभी—! चिंटू ने आपको परेशान तो नहीं किया ना??

 आते ही हाथ पैर धो, कपड़े बदल बेटे को उठाते हुए बोली ।

नहीं नहीं! थोड़ा रोया तो था पर बाद में दूध वूध पिला कर  बाहर घुमाने के बाद तब आपका बेटा– थोड़ी देर सोया ।

धन्यवाद भाभी –!’ आज आपने मेरी बहुत मदद की!’

 अवनी अपने बेटे को फीड कराते हुए बोली ।

“आज सुबह से ही, चिंटू रोए जा रहा था ।बहुत तरह के प्रयास के बावजूद भी चुप नहीं हो रहा था ।

 “चल जल्दी इसे डॉक्टर के पास लेकर चलते हैं “।

पता नहीं क्यों रोए जा रहा है। ऑफिस जाने के लिए ,तैयार होते हुए सागर बोला।

 हां –भैया !मैं भी यही सोच रही थी ।

अभी तैयार हो जाती हूं और परू को भी साथ ले जाती हूं ।

परू की सैंडल पैर में डालते हुए अवनी बोली।

” अरे नहीं निहारिका तो यही है ना परू को संभाल लेगी।

 सागर फटाफट रेडी होते हुए बोला।

 भाई बहन चिंटू को लेकर चले गए।

” घबराने की बात नहीं है पौटी नहीं होना ,पेट दर्द की वजह है बच्चा  इसलिए रो रहा था मैं दवा लिख देता हूं इसे आराम मिल जाएगा। 

डॉक्टर बोला।

” जी धन्यवाद डॉक्टर “

अवनी को घर छोड़कर सागर ऑफिस चला गया ।

अवनी जब घर पहुंची तो देखती हैं  कि परू के ललाट पर एक बहुत बड़ा गुलोरा सा उभरा  है तथा आंखें भी सुजी हुई थीं ।

क्या हुआ– भाभी परू को??

 ये चोट  कैसे लगी??

 अरे वो मेरी आंख लग गई थी तो पता नहीं ये कैसे गिर गई?

 निहारिका केयरलैस जैसी होकर बोली। 

पर भाभी आपने इसकी बर्फ से सिकाई नहीं की क्या ?

देखिए ना इसके सिर पर ये चोट ज्यादा उभरा हुआ नजर आ रहा है।

 कहीं ये परमानेंट ना उभर कर रह जाए।

अवनी टेंशन में आ गई।

 नहीं मुझे लगा बस ठीक हो जाएगा मैं खाना लगाती हूं बात बदल कर निहारिका  किचन में चली गई।

 अवनी बर्फ की पोटली बनाकर परु को दबा- दबा कर सेकने लगी।

 दूसरे दिन सुबह-सुबह।

 “चुप रहो निहारिका। मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगी कभी सपने में भी नहीं सोचा था। सागर गुस्से और थोड़ा तेज आवाज में बोल रहा था।

 ” प्लीज आप थोड़ा धीरे बोलिए ना, अवनी जी सुन लेंगी”।

 जब तुम अवनी के साथ ऐसा व्यवहार कर रही  थी तब उसको बुरा नहीं लगा होगा ?? और मुझे कहती हो कि धीरे बोलो  सुन लेगी।

वो कोई मार्केट घूमने या ऐश करने तो नहीं गई थी ना ??

अपना बच्चा छोड़कर डॉक्टर के पास गई थी वो भी मेरे कहने पर।

उस दिन भी जब परू को लेकर  वैक्सीनेशन के लिए गई हुई थी तब भी तुम  फोन पर उसके बारे में भला बुरा सुना रही थी मुझे।

ऑफिस में मैं बोल ना सका लगा की कुछ दिनों में तुम सब कुछ समझ जाओगी अभी तुममें  बचपना है ।  लेकिन कल तो तुमने हद ही कर दी–।

” परु गिर गई “उसे इतनी चोट लगी और तुमने उसका कोई प्राथमिक उपचार भी नहीं किया।  उल्टे अवनी की शिकायत रात से ही की जा रही हो कि वह हमेशा बच्चे छोड़ कर चली जाती हैं। सुनने की भी एक सीमा होती है। सागर गुस्से से  बोल रहा था उसे अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं था।

 अब अवनी को सारा माजरा समझ में आने लगा की क्यों भाभी कुछ दिनों से उखड़ी- उखड़ी नजर आ रही थीं।

क्यों भाभी परू के गिरने के बाद भी उसका कोई प्राथमिक उपचार नहीं किया ।

 इधर निहारिका सागर को चुप करने में लगी थी । शायद उसे अपनी कथनी पे शर्म आ रहा था।

 आज के बाद तुम कभी भी मेरे भांजा या भांजी को छूने की कोशिश मत करना।

 मैं हूं ना उसका मामा!

 सब संभाल लूंगा।

 कहते हुए सागर अवनी के कमरे में आ गया। और चिंटू के बगल में जाकर  लेट गया।

 मेरे साथ भाभी ऐसा व्यवहार करेंगी ये तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा पर अपने और बच्चों के लिए, भाई का प्यार देखकर, मैं सारा दर्द  भूल गई हूं।सचमुच कितनी भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा भाई मिला। 

 सॉरी अवनी जी मैंने आपका दिल  दुखाया ।

“मुझे माफ कर दीजिए” 

 अपनी गलती का एहसास हो रहा है ।

रियली आई एम वेरी सॉरी!

 कोई बात नहीं भाभी!

 गलती तो हर इंसान से  होती है!

 ” भैया प्लीज भाभी को माफ कर दो परिवार में इस तरह की बात तो होती रहती है हमें बात को बढ़ाना नहीं चाहिए। 

 भाभी आपसे सॉरी भी तो मांग रही है अवनी निहारिका को आगे खींचते हुए बोली।

‘प्लीज सागर मुझे माफ कर दो अब ऐसी गलती नहीं होगी!’

इट्स ओके निहारिका!

 सागर का गुस्सा अब शांत हो चुका था। 

 वो अपनी भांजी के साथ खेलने में व्यस्त हो गया।

  इधर अवनी चिंटू को निहारिका के गोद में डालकर बोली भाभी चिंटू आज आपसे ही मालिश करवायेगा ।

दोनों नंद -भाभी हंस पड़ीं ।

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धन्यवाद। 

मनीषा सिंह

#मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगे कभी सपने में भी नहीं सोचा था

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