दिल्ली के एक चूड़ी के बड़े से कारखाने में लंच के समय मेरा मित्र रवि मुझे बता रहा था नेकराम तुम इस छोटे से कारखाने में खुश हो मगर मैं नहीं मुझे यह छोटी नौकरी पसंद नहीं है मेरे सपने बड़े है,,रवि को वहीं कुर्सी पर एक अखबार पड़ा मिला उसकी नजर एक विज्ञापन पर पड़ी उसके बाद रवि कारखाने से छुट्टी लेकर जाने लगा तो,,मैंने उससे बहुत पूछा रवि तुमने अचानक छुट्टी क्यों ले ली और कहां जा रहे हो मगर रवि ने मुझे कुछ ना
बताया सिर्फ इतना कहा मैं अब इस चूड़ी के कारखाने में काम नहीं करूंगा मुझे कोई खजाना मिल चुका है अब मेरी सारी जिंदगी ऐशो आराम में कटेगी इस छोटी सी नौकरी में तुम ही अकेले मरो,, मुझें कारखाने में काम करते हुए 15 दिन हो चुके थे मुझे रवि की याद आने लगी उसका घर मैंने पहले भी देखा था शाम को छुट्टी होने के बाद मैं रवि के घर की तरफ चल पड़ा ,,, कुछ देर के बाद मैं रवि के घर पहुंचा
दरवाजा खटखटाया तो रवि ने दरवाजा खोल दिया ,,रवि के हाथों में साबुन लगा हुआ था उसने मुझे गेट पर ही रोकते हुए कहा अरे नेकराम तुम यहां कैसे,,तब मैंने कहा यार तुम्हारा हाल-चाल पता करने आया हूं,,मैंने कमरे के अंदर झांक कर देखा तो पलंग पर एक सुंदर सी साड़ी पहने लड़की बैठी थी रवि यह देखकर सकपका गया फिर रवि थोड़ी हिम्मत करके बोला जब मैं कुंवारा था बर्तन धोना कपड़े धोना झाड़ू लगाना पोंछा लगाना
सारे काम करता था अब मेरी शादी हो गई है अब भी यह सारे काम मुझे ही करने पड़ते हैं,,रवि मुझे सारी बात बताने लगा उस दिन कारखाने में मैंने अखबार में एक विज्ञापन पढ़ा था उसमें लिखा था ,, एक अपाहिज लड़की है जो नौजवान लड़का इससे शादी करेगा उसे शहर में एक मकान एक कार और 20 लाख रुपए मिलेंगे,,इस विज्ञापन को देखकर मैं बहुत खुश हुआ और मैं कारखाने से छुट्टी लेकर चला गया था,,
दो घंटे के बाद एक बिल्डिंग के दरवाजे के पास रुका सुंदर गार्डन बड़ी सी कोठी देखकर मैं बड़ा प्रसन्न हुआ सामने एक कार खड़ी हुई थी मैं अनुमान लगाने लगा जो कार मुझे मिलने वाली है यही है मगर कार तो मुझें चलानी आती नहीं लेकिन जो बीस लाख रुपए मिलेंगे उन रूपयों से एक ड्राइवर रख लूंगा बाकी जो पैसे बचेंगे उस अपाहिज लड़की की देखभाल के लिए एक आया रख लूंगा फिर किराए के मकान में मुझे कभी नहीं रहना
पड़ेगा ,,भीतर से एक लंबा चौड़ा व्यक्ति निकला उसके साथ एक लड़की थी जो बैसाखी के सहारे खड़ी थी उस आदमी के हाथों में फूलों की माला थी,,,, दो घंटे के भीतर ही मेरी उस लड़की से शादी हो गई ,,
लड़की के पिता ने कहा मैं एक फौजी हूं बंदूक हमेशा अपने पास रखता हूं आराधना अपाहिज जरूर है लेकिन बंदूक चलाना इसे भी मैंने सिखा दिया है तुम्हारे फेरे मंदिर में हो चुके हैं
अब तुम अपनी पत्नी आराधना को ले जाओ,,तब मैं बोला आपने विज्ञापन में मकान देने की बात कही थी ,,कार और 20 लाख रुपए भी ,,तब फौजी ने बताया छुट्टियों में मैं अक्सर एक मंदिर जाया करता था मंदिर की सीढ़ियों पर मुझें एक अपाहिज भिखारन लड़की मिला करती थी मुझसें उसका दुख देखा नहीं जाता था तब मैं अपाहिज लड़की को अपने घर ले आया उसे रहने के लिए एक कमरा दिया अच्छे-अच्छे पहनने के लिए कपड़े दिए खाने पीने की कोई कमी ना छोड़ी लेकिन जब उसकी उम्र शादी लायक हुई तो मुझे भी काफी चिंता सताने लगी उसके विवाह को लेकर ,, कई जगह शादी की बात चलाई मगर कोई राजी ना हुआ ,,
तब मुझें एक युक्ति सूझी मकान , कार और 20 लाख रुपए की लालच देकर मैंने अखबार में विज्ञापन छपवाया और उस जाल में तुम फंस गए अब यह आराधना तुम्हारी पत्नी है अगर इस लड़की को कुछ हुआ तो एक गोली तुम्हारे सीने में उतार दूंगा
यहां से सिर्फ तुम लड़की लेकर ही जाओगे और कुछ नहीं,,
फौजी की बंदूक देखकर मैं उस अपाहिज लड़की को अपने साथ अपने किराए के कमरे पर ले आया,,
मेरी तो जिंदगी जहन्नुम बन चुकी है,, शादी के नाम पर मुझें धोखा मिला रवि ने सारी बात मुझें बता दी,,
तब मैंने बताया तुम तो महान आदमी निकले एक अपाहिज बेसहारा लड़की से शादी करके तुमने इस लड़की को एक नया जीवन दिया है दुनिया कुछ भी कहे लेकिन अपनी पत्नी की नजरों में तुम एक महान पति हो,,
पति एक बार नारी का हाथ थाम ले फिर वह उसका रंग रूप पढ़ाई लिखाई ऊंच नीच अमीरी गरीबी नहीं देखता,,अग्नि के फेरे लेने के बाद पति की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी पत्नी की रक्षा करें उसे हर सुविधा दें और उसे सुरक्षित रखें और सबसे बड़ी बात मेहनत और इज्जत से कमाई हुई रोटी खिलाएं ,,
रवि मुस्कुराते हुए बोला ठीक है मैं कल से कारखाने आ रहा हूं
इतने में रवि की पत्नी आराधना बैसाखी के सहारे रसोईघर में खड़ी हो गई और कहा मेरे पैर नहीं है तो क्या हुआ मगर मेरे दोनों हाथ तो है मैं अभी तुम्हारे मित्र को चाय बनाकर पिलाती हूं
,, हम तीनों ने मिलकर चाय का आनंद लिया,,
दुख में भी खुशियां ढूंढ निकालो दोस्तों क्योंकि, यही जिंदगी है,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना