कावेरी अपने बेटे की शादी करा कर बेटे बहू को लेकर अपने घर पहुँची जैसे ही कार उनके घर के सामने रुकी वह झट से उतरकर आगे की तरफ़ बढ़ने लगी । उन्हें रोकते हुए प्रभास ने कहा कि माँ कहाँ जा रहीं हैं ।
कावेरी ने कहा कि तुम दोनों की आरती उतारकर गृह प्रवेश कराना है । वह ठीक है परंतु आप पड़ोसी के घर की तरफ़ क्यों जा रही हैं ।
कावेरी ने कहा कि मैं तुम लोगों की आरती नहीं कर सकती हूँ ना तो पड़ोस की लीला को बुला लाती हूँ वह तुम लोगों की आरती उतार कर घर के अंदर ले आएगी ।
माँ आप क्यों नहीं कर सकती हैं । तुम तो जानते हो ना तुम्हारे पिता नहीं रहे हैं । कोई भी शुभ काम मेरे हाथों नहीं होने चाहिए इसलिए ।
बहू इंदिरा ने कहा कि माँ अपने बच्चों की ख़ुशी चाहने वाली माँ के अलावा कोई नहीं होता है । आप क्या सोचती हैं कि वे हमें दिल से आशीर्वाद देंगे नहीं आप ही हमारे लिए सच्चे दिल से प्रार्थना कर सकती हैं इसलिए आरती आप ही उतारेंगी ।
कावेरी ने कहा कि लोग क्या कहेंगे । प्रभास ने कहा कि माँ लोगों का काम ही होता है कहना आप उनकी फ़िक्र मत कीजिए ।
कावेरी अंदर जाकर पूजा की थाल लाती है और उन दोनों की आरती उतार कर अंदर ले आती है ।
प्रभास सामान लाने बाहर जाता है । कावेरी बहू इंदिरा से कहती है कि ऊपर बाएँ तरफ़ के कमरे में जाकर सोजा बेटा । मैं तुम्हारा सामान भिजवा देती हूँ । कल जल्दी उठना भी है । इंदिरा धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रही थी पीछे से बेटे और माँ की बातें सुनाई दे रहीं थीं । प्रभास कह रहा था कि वाह माँ आप तो अभी से ही बहू की बातें सुनने लगी हैं ।
हाँ मैं तो सुन ही रही हूँ धीरे धीरे तुम भी सुनने लगोगे । दोनों हँसने लगे थे कावेरी ने कहा कि बेटा बहुत ही अच्छी बहू को चुनकर लाया है।
उनकी बातों को सुनकर हँसते हुए इंदिरा सास के बताए कमरे की तरफ़ बढ़ गई । कमरे के अंदर पैर रखा तो देखा कमरा बहुत बड़ा नहीं था परंतु सुंदर सजा हुआ था ।
दीवारों पर बहुत सारे फोटो लगाए हुए थे । इंदिरा उन्हें देख रही थी और सोच रही थी कि प्रभास भी अपने माता-पिता के साथ बहुत खुश था । उसे उसके माता-पिता के साथ बिताए हुए पल याद आने लगे । एक फ़ोटो उसे बहुत पसंद आया जहाँ प्रभास माँ के हाथों में मेहंदी लगा रहा था ।
उसी समय पीछे से कावेरी आकर कहती है कि तुम्हें फ़ोटो पसंद आए हैं ना । प्रभास हमेशा कहता है कि इस तरह से फ़ोटो दीवारों पर क्यों टाँगती हो माँ ।
इंदिरा ने कहा आप सही कह रही है माँ डिजिटल फ़ोटो से यादें कैमरे में क़ैद हो कर रह जाती हैं । फ़ोटो बाहर टाँगने पर हमारी यादें हमारे आसपास ही रहती हैं । कावेरी ने सोचा चलो मेरी बातों को समझने वाली बहू मुझे मिली है ।
उसने कहा कि अब सो जाओ कल सुबह जल्दी उठना है सत्यनारायण की पूजा करनी है ।
इंदिरा सोने गई तो उसे नींद नहीं आ रही थी । वह भी अपने माता-पिता के साथ बहुत खुश थी । दस एकर ज़मीन और खुद का मकान ही जायदाद के नाम पर उनके पास था । लेकिन अपनी इकलौती बेटी को उन्होंने बहुत प्यार दिया था । एक दिन खेतों में काम करते समय बिजली के गिरने से दोनों की मृत्यु हो गई थी ।
उनके पार्थिव शरीर के पास इंदिरा बैठी हुई थी आँखों से आँसू नहीं बह रहे थे । चुपचाप उन्हें देख रही थी । आसपास के लोग सांत्वना दिखा रहे थे कि अकेली लड़की है कौन इसकी ज़िम्मेदारी लेगा ।
उसी समय उसकी माँ की बड़ी बहन अपने पति के साथ आई सारे कार्यक्रम रीति रिवाजों के अनुसार करवाया । उनके घर और खेतों को बेच कर इंदिरा को लेकर अपने घर चले आए । इंदिरा अब तक गाँव में ही रह रही थी पहली बार वह शहर आई थी ।
मौसाजी ने उसका एडमिशन जूनियर कॉलेज में करा दिया था । सारे पैसे उसके नामपर बैंक में जमा करा दिया था । वह वहाँ चुप रहती थी ।
एक दिन उन्होंने कहा कि देख बेटा इस दुनिया में अकेलापन कभी-कभी वरदान साबित होता है । तुम अपनी मर्ज़ी से अपने ढंग से जियो । जो काम तुम्हें पसंद हैं वही करो ।
इस तरह से वह शाम को बच्चों को पढ़ाने का काम करने लगी जो पैसा आता था उसे अपने लिए खर्च करने लगी । विचारों में डूबी हुई इंदिरा की आँख लग गई थी। अचानक कुछ आवाज़ें सुनाई देने लगी थी तो उसकी नींद खुली तो देखा सात बज गए थे । वह जल्दी से तैयार होकर नीचे आई तो देखा कावेरी रसोई में खाना बनाने में लगी हुई थी । इंदिरा ने कहा कि माँ सॉरी देरी हो गई है ।
उसने कहा कि कोई बात नहीं है पंडित जी ने फोन किया है कि वे एक घंटा देर से आएँगे इसलिए मैंने तुम्हें नहीं उठाया है कॉफी पी लो और एक कप पति को भी देकर आ जा वह भी अभी उठकर नहीं आया है ।
इंदिरा कॉफी का कप लेकर प्रभास के कमरे में जाती है । वह अभी ही उठा था इंदिरा को देखते ही मुस्कुराते हुए कहता है कि बिना दरवाज़ा नॉक किए अंदर कैसे आ गई ।
इंदिरा थोड़ा सा डर गई थी कि सही में उसे दरवाज़ा नॉक करके आना चाहिए था । उसने धीरे से सॉरी कहा और मुड़कर जाने लगी थी कि प्रभास ने उसका हाथ पकड़कर कहा कि मैं तो मज़ाक़ कर रहा था तुम तो डर गई । उसी समय कावेरी आई और कहने लगी कि जल्दी से तैयार हो जाओ पंडित जी आ रहे हैं । प्रभास उठकर नहाने के लिए चला गया और इंदिरा सास के साथ नीचे आ गई ।
पंडित जी के आते ही पूजा समाप्त हो गया । कावेरी ने बेटे से कहा कि तुम नीचे कमरे में बैठकर अपना काम कर लो । इंदिरा अपनी सास के साथ बातें कर रही थी उसे वे बहुत पसंद आ गई थी । उसने कहा कि जब हम यहाँ से जाएँगे तब आप भी हमारे साथ हैदराबाद चलिए ।
कावेरी ने कहा कि मै शादी करके इसी घर में आई थी । तुम्हें मालूम है ना कि तुम्हारे ससुर आर्मी में थे वे देश की सेवा करते थे और मैं घर की देखभाल करती थी । कोई शिकायत नहीं और ना शिकवे थे ।
प्रभास हुआ तो वही मेरी ज़िंदगी बन गया था । वह भी कुछ दिनों बाद पढ़ने के लिए हॉस्टल चला गया था । मैं अकेली थी परंतु कुछ ना कुछ काम करती रहती थी ताकि मुझे अकेलापन महसूस ना हो । आज मुझे यहाँ खुशी मिलती है यहाँ बहुत सारी यादें हैं । किसी की ख़ुशी को छीनने का अधिकार किसी को भी नहीं है । मैं खुश हूँ आते जाते रहूँगी ।
इंदिरा ने कहा कि आप मेरे मौसाजी के समान बातें कर रहे हैं वे भी कहते थे कि काम करते रहने से अकेलापन महसूस नहीं होता है जब वे मुझसे काम कराते थे तो मुझे अच्छा नहीं लगता था लेकिन आज लगता है कि वे सही थे ।
कावेरी ने कहा कि मैं अपनी सहेली के साथ बाहर जा रही हूँ कल आऊँगी तुम दोनों अपना ख़याल रखना कहते हुए बाहर चली गई । इंदिरा अकेले ही बैठकर टी वी देख रही थी कि प्रभास आया और माँ के लिए पूछा तो इंदिरा ने बताया कि माँ अपनी सहेली के साथ बाहर गई हैं । वह समझ गया था कि माँ हम दोनों को एकांत देना चाहती हैं ।
उसने कहा कि मैं नहाकर आता हूँ हम मिलकर खाना खाते हैं । वह नहाकर अपने कमरे से बाहर निकल कर नीचे बैठी इंदिरा को देखकर सोचने लगता है कि एक महीने पहले ही इंदिरा से मुलाक़ात हुई थी और आज वह मेरी अपनी है कितनी ताज्जुब की बात है ।
वह अपने एक केस के सिलसिले में हैदराबाद गया था । वहाँ उसने इंदिरा को रोडक्रास करते हुए देखा । पहली ही नज़र में उसे लगा वाह कितनी ख़ूबसूरत है । दूसरे दिन माँ के कहने पर मंदिर पहुँचा तो वहाँ उसे प्रदिक्षणा करते हुए देखा तब ही लगा कि यह इत्तिफ़ाक़ नहीं है ।
वहाँ के अपने दोस्तों की मदद से उसकी पूरी जानकारी प्राप्त की और उनके घर जाकर डोर बेल बजाया तो एक बुजुर्ग व्यक्ति ने दरवाज़ा खोला तो मैंने कहा इंदिरा है । उन्होंने वहीं से आवाज़ दी कि इंदिरा तुमसे मिलने कोई आया है । इंदिरा कमरे से बाहर आई और मुझे देख कर कहा आप कौन हैं?
बुजुर्ग पुरुष ने उससे पूछा तुम इन्हें नहीं जानती हो तो उसने ना में सर हिलाया । वे जैसे ही मेरी तरफ़ मुड़े मैंने कहा कि हाँ वह मुझे नहीं जानती है । आप मुझे बैठने की इजाज़त देंगे तो मैं सब कुछ बता दूँगा ।
उन्होंने कहा कि बैठ जाओ । मैंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं एक आई पी एस ऑफ़िसर हूँ सी बी आइ में काम करता हूँ । एक केस के सिलसिले में मैं यहाँ आया था। मैंने आपकी बेटी को देखा मुझे वह बहुत पसंद आ गई है मेरे पिता आर्मी में थे चार साल पहले गुजर गए हैं । मैं और माँ दिल्ली में रहते हैं ।
उन्होंने कहा कि प्यार का मामला है क्या? अपनी माँ को बताया है कि नहीं?
मैंने कहा कि शादी करा दीजिए फिर प्यार कर लूँगा । माँ को सबसे पहले बताया था उन्होंने कहा कि तुम देखकर आ जाओ फिर मैं आती हूँ ।
इंदिरा के बारे में क्या जानते हो तो मैंने बता दिया था कि उसके माता-पिता बचपन में गुजर गए हैं आपने ही उसे पालपोसकर बड़ा किया है आज वह एक सॉफ़टवेयर कंपनी में नौकरी करती है । उन्होंने हँसते हुए कहा कि तुम्हारा भी जवाब नहीं बहुत कुछ पता लगाया है । मैं थोड़ा सोचकर बताऊँगा । मुझे कुछ समय चाहिए ।
मैं वहाँ से दिल्ली आ गया था। उनके फोन का इंतज़ार था । मैंने पहले ही सोच लिया था कि वहाँ से फोन नहीं आया तो माँ को भेज दूँगा परंतु उसकी ज़रूरत नहीं पड़ी और उनका फोन आ गया था और आज हम दोनों पति पत्नी बन गए हैं ।
मैंने खाना खाते हुए उससे पूछा कि मेरे आने के बाद तुम्हारे घर में क्या हुआ ।
इंदिरा ने बताया था कि मौसाजी ने मुझसे पूछा कि तुम्हें लड़का पसंद है मैंने कहा कि आपको ठीक लगे तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है ।
मौसी से वे कह रहे थे कि हमारे दोनों बेटों ने प्रेम विवाह किया है हमने कुछ नहीं कहा पर इस बच्ची के लिए डर लगता है कि रिश्ता अच्छा निकल गया तो ठीक है वरना लोग कहने लगेंगे कि उनकी अपनी नहीं है इसलिए बिना परखे शादी करा दी है । हम दिल्ली में किसी को जानते तक नहीं है फिर पता कैसे लगाएँगे कि लड़का कैसा है ।
मौसी ने कहा कि देखिए उसने बताया है ना कि वह सी बी आई में काम करता है वहाँ जाकर पता लगा लेंगे । वैसे भी सब अपनी क़िस्मत लेकर आते हैं लोगों का क्या है उनका काम ही है कहना जब हम इंदिरा को लेकर आए थे तब भी तो कहा था कि पैसों की लालच में हम उसे लेकर आए हैं । भगवान का नाम लीजिए और हाँ कह दीजिए । बस फिर माँ गई उन्होंने सब कुछ मौसाजी को समझाया और हमारी शादी हो गई है ।
दोनों ही एक दूसरे को एकटक देख रहे थे । ख़ामोशी में भी एक आनंद का अनुभव कर रहे थे ।
के कामेश्वरी
#लोगों का काम ही होता है बातें बनाना