हिमांशु को देख नैना के चेहरे पर मुस्कान छा गई , पर अगले ही पल तीखी दुविधा से …
सपना की कही हुई ,
” एक ही शहर में तुम्हारे दो-दो प्रेमी ? यह आदर्श स्थिति नहीं है ” वह कांप गई। मन में खयाल आया,
” मुझे इस स्थिति से संजीदगी से उबरना होगा “
बाहर तेज हवा के साथ डिप्रेशन की धुंध को गहराने वाली बारिश शुरू हो चुकी है। तेज हवा के साथ पर्दे अपने- आप हवा में फड़फड़ाने लगे हैं यहां तक कि साइड टेबल पर रखा शीशे का लैंप हिल गया।
गहरी सांस लेती नैना ने उठ कर खिड़की बंद कर दी है।
शोभित की उपस्थिति हिमांशु को अखर रही है, उसे अधखुली आंखों से देख नज़र घुमा ली।
नैना के साथ इतनी आत्मीयता ? चेहरे पर असहजता आ गई।
चेहरे पर कितने भाव आए-गए, जिसके बीच एक बोझिल भाव बराबर थरथराते रहे। लेकिन नैना को असमंजस की स्थिति में देख मन का एक कोना तुरंत पिघल गया था। जबरन जबड़े को कसते हुए स्वयं पर काबू पा लिया।
शोभित नैना को इशारे से अपने जाने की बात बता कर दरवाजे से बाहर निकल गया।
हिमांशु ने सिगरेट निकाल कर उसे खाली करी, फिर से भर कर उसे सुलगाया और,
” शोभित , से तुम्हारा क्या रिश्ता है ?”
” सिर्फ मित्रता का “
” कैसी मित्रता का ? “
” जैसी एक साथ कार्यरत दो सहयोगियों में होती है ” बोलती हुई उसकी आवाज थोड़ी कांप गई थी।
मन मसोस आया।
” और उसकी तरफ से ? “
” इसका कैरियर डाउन पर है ये सेटेल होना चाहता है। तो समझ लो सीधा- सीधा मांग और पूर्ति का बाजारी नियम है।
हिमांशु हंस पड़ा,
” इसने तुम्हें अपने सामने नायिका के लिए चुना ? “
” इसने नहीं राॅय साहब ने सेलेक्ट किया “
” हां जानता हूं”
मुन्नी ने आकर कमरे की लाइट जला दी है।
” माया ने तुमसे हमारी शादी की बात की थी ?
” कुछ गोलमोल ढ़ंग से लेकिन मैं थोड़े स्मार्ट ढ़ंग से सोच रही हूं। अभी अनुराधा यहां आ कर अपने पैर जमाना चाहती है। “
“थोड़े पैसे मैं भी जोड़ लेती तुम्हारा बिजनेस भी थोड़ा जम जाता “
लेकिन लगता है मेरी स्मार्टनेस काम नहीं आ रही है ?
“हिमांशु रुको – सुनो, तुम्हें सब्र क्यों नहीं है ?
अब मुझे अपनी कार्य शैली और अभिनय पर ध्यान देना होगा “
हिमांशु चिहुंक उठा, नैना ठिठक गई वह कहना चाहती है,
” यहां कुछ भी स्थाई नहीं है “
पर कह नहीं पाई, हिमांशु की मनोदशा देखते हुए कहने का दिल नहीं चाहा।
उसने मुन्नी को लंच लगाने के लिए आवाज़ दी।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -92)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi