“मुझे लगता है, तुम दोनों मेरे पास खुद स्वार्थवश आए हो या फिर किसी के द्वारा अपना स्वार्थ साधने हेतु भेजे गये हो ?
कारण जो भी हो इतना अवश्य है।
यह हमारी भलाई के लिए ही हो रहा है। और मैं इसके लिए सदा तुम्हारा आभारी रहूंगा “
उन्होंने एक लंबी सांस ली…
” अपनी नवजवान पत्नी को उसकी अल्पायु में ही खो देने के पश्चात् मैं यह जान पाया कि जीवन कितना अनमोल है। लेकिन उससे भी अनमोल एक और चीज है।
” जिसका नाम ‘दिल’ है यह दिल कितना अनमोल है … इसे वहीं जान पाता है जिसने इसकी कद्र की है ,
जवान दिल और जवानी कितनी अनमोल होती है ? उससे पूछो जिसने इसे व्यर्थ में गंवाया है “
बोलते -बोलते वे जोश में आ गये ,
” क्योंकि ? मानव जीवन बार- बार नहीं मिलता।
अगर मुझे यह विश्वास हो जाए कि कुसुम उस लड़के को इतना चाहती है , और वह लड़का कुसुम को इतना चाहता है ,
कि एक दूसरे के बिना उनका जीवन व्यर्थ हो जाएगा तो मैं फिर हिन्दू और मुस्लिम समाज की परवाह किये बिना कुसुम को उससे शादी करने की अनुमति दे दूंगा “
” मेरी बेटी की खुशी से बढ़कर मेरे लिए और कोई खुशी नहीं है “
” वाह …!” दोनों खुशी से उछल पड़े।
“मतलब आप तैयार हैं ?”
“बिल्कुल ” कहते हुए राॅय बाबू भी उनकी खुशी में शामिल हो गये हैं।
नैना सोच रही है … ” पिता ऐसे भी होते हैं। बच्चों की खुशी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर रहने वाले ? “
वे दोनों उठ कर खड़े हो गए।
” अब हम चलेंगे राॅय बाबू ,
” बैठो चाय पीकर जाना, आगे की बातचीत के साथ ही तुम दोनो के एग्रीमेंट लेटर पर भी साइन करने की भावी योजना भी तैयार हो जाएगी “
नैना ने हामी भर दी।
अगले नाटक की स्क्रिप्ट नैना की ओर बढ़ाते हुए,
” तब तक तुम इसे पढ़ लो, तुम्हारे लिए तीन नाटकों में मुख्य भूमिका के रोल है। जिसमें छोटे- मोटे रोल के लिए अन्य सहायक अभिनेत्रियों के चयन बाद में किए जाएंगे “
–शोभित …
” मैं बहुत खुश हूं। सच्चाई यह है कि मेरे मन से भारी बोझ उतर गया “
वे शोभित से बातों में मशगूल हो गए।
नैना ने स्क्रिप्ट खोली।
शुद्ध हिंदी में थी। पहले पन्ने पर शीर्षक लिखा था ‘ नये युग का आगाज़ “
आगे …
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -87)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi