” क्या कहा आपने राॅय बाबू ? उसे झूठ बोलना मैं ने सिखाया है “
झटके से शोभित बोला।
” जिस तरह से तुम उसकी पैरवी कर रहे हो। मुझे लग रहा है यह सब तुम्हारी ट्रेनिंग का ही नतीजा है “
” मुझे अफसोस है , आप मेरे बारे में ऐसा सोचते हैं ?
नैना ने उठ कर कमरे से बाहर इधर- उधर झांका, कहीं कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
उसने जग से पानी निकाल कर राॅय बाबू की तरफ बढ़ा दिया।
” सर , मुझे अफसोस है, शोभित ने आपको दुख पहुंचाया। दरअसल हमारा ख्याल था आपको कुछ तो मालूम होगा “
राॅय बाबू ने विस्फिरित निगाहों से उसे देखा ।
नैना की मीठी आवाज ने मानों उनके रिसते हुए जख्मों मैं राहत पहुंचाई।
नहीं … ऐसी कोई बात नहीं … कुसुम की मां की उसके अल्पायु में ही एक कार ऐक्सिडेंट में मृत्यु हो जाने के बाद मैं जीवन में बड़े से बड़े दुःख सहने का आदी हो चुका हूं।
बल्कि मैं तो तुमलोग का आभारी हूं कि तुम लोगों ने मुझे सच्ची बात बताई है” वे थोड़ी देर मौन रहे और आंखें मूंद लीं जैसे इतनी बड़ी बात को आत्मसात करने की कोशिश कर रहे हों।
शोभित और नैना एक दूसरे की तरफ देखते हुए सोच रहे हैं ,
” अब न जाने इनका क्या रिएक्शन हो ?”
करीब आधे घंटे मौन के अंतराल पर उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और बहुत धीरे-धीरे,
” तुम दोनों को मैं अपनी नाटक कंपनी चलाने को दूंगा या नहीं ये बात दीगर है ? न जाने क्यों मुझे लगता है। तुम दोनों कुसुम के कहने पर ही यहां आए हो “
” मेरी बेटी कुसुम , बहुत समझदार और बालिग लड़की है।
क्या एक मानिंद एवं इज्जतदार बाप होने के नाते मुझे उसे सजा देते हुए अपनी इज़्ज़त बचा लेनी चाहिये ? “
” और फ़िर एक हिंदू शरीफ घराने का लड़का ढूंढ़ कर उसकी शादी कर देनी चाहिये ?
फिर एक लंबी सांस खींचते हुए,
” लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा “
इतना कहते हुए वे बेचैन हो गये। नैना को वो थके हुए से लगे।
जैसे अंदर ही अंदर अपनी आइडियोलॉजी से संघर्षरत हैं।
वे अपनी आराम कुर्सी से उठ खड़े हुए और अपने दोनों हाथ पीछे कमर पर बांध कर कमरे में ही चक्कर लगाने लगे।
आगे …
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -85)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi