नैना ने दरवाजे पर हौले से थाप दी ,
” सपना सुन , क्या तोड़- फोड़ से बात बन जाएगी उलट बाद में सिर पर हाथ ले कर रोती रहेगी , हाए कितना नुक़सान कर दिया मैंने।
अंदर से सपना ने डपटा उसे ,
” तुम जाओ अभी मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी है और तुमसे तो बिल्कुल नहीं , बिना मतलब देवेन्द्र की वकालत करती रहोगी “
नैना की हंसी छूट गई … ।
इस तोड़- फोड़ से घबराकर बेटू रोने लगा नैना के इशारे पर आया उसे दरवाजे के बाहर ले आई।
“हाए रे …बेटू , इतने बड़े-बड़े आंसुओ से नहीं रोते बच्चे, तेरी मां का दिल पत्थर का बना है “
बेटू और ज़ोर से रोने लगा। सपना धीरे-धीरे चल कर दरवाजे के पास आई थी।
उससे बेटू की रुलाई बर्दाश्त नहीं हो रही है।
जोर से दरवाजा खोला उसके बाल बिखरे और गुस्से से चेहरा दहक रहा था।
” नैना ! क्यों मुझको सताने पर तुली हुई है ? “
” चलो आओ निकलो, बाहर और मिल कर तय करो कि कौन किसे सता रहा है ? “
नैना के सीधे -सपाट स्वर को सुन।
सपना बिलख कर रो पड़ी फिर गुस्से की अधिकता में अपना सिर पास रखे टेबल पर दे मारी ।
‘देवेन्द्र’ … नैना सपना के हाथ पकड़ चिल्ला पड़ी । सपना के माथे से खून की लकीरें बह निकली है। बेटू खून देख कर घबराहट में और जोर से रो पड़ा।
देवेन्द्र के कदमों की आहट नजदीक आने तक नैना ने सपना को कस कर पकड़े रखा।
उसे डर था, कहीं वो फिर से अपना सिर टेबल पर न पटक दे।
अगले कुछ क्षण देवेन्द्र कमरे में आ चुका था।
बात बिल्कुल साधारण सी है। जिस पर सपना इस तरह रिएक्ट करेगी देवेन्द्र और नैना ने सोचा नहीं था।
समझा – समझा कर थक चुकी नैना अंत में यह कहती हुई उठ खड़ी हुई,
सपना , देवेन्द्र के प्रति क्या यही है तुम्हारा पूर्ण भाव से समर्पण ?
मैंने तो तुम्हें आदर्श मान रखा था।
लेकिन यह आचरण ?
वह आदर्श छवि बिखर गई इस बहस का कोई अंत नहीं है। “
” मुझे औफिस के लिए देर हो रही है ” वह उठ गई। अपने पैरों में चिपके हुए बेटू को गोद में उठाई हुई नैना बाहर वाले कमरे में आ गई।
वापस लौटते समय नैना के मन में सवाल दर सवाल उठ रहे हैं।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -78)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi