डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -76)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

कह कर देवेन्द्र ने फोन रख दिया था।

देवेन्द्र उसे गेट पर ही खड़े मिले।

नैना ने उतावली हो कर पूछा ,

” क्या बात है ? आप यहां बाहर और बेटू ?”

” दरअसल मेरा प्रमोशन और ट्रांसफर हो गया है । मेरी पोस्टिंग बाहर हो जाएगी और सपना बस इसी बात को लेकर गुस्सा है “

दरअसल यह सब तीन दिन पहले ही हो गया था पर मैंने उसे आज बताया “

उसने कहीं जाॅब के लिए अप्लाई कर रखा था ।जिसका इन्टरव्यू कल था “

बस इसी बात पर नाराज़ हो कर उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया है और यह देखो आगे बढ़ कर उसने गले से कपड़ा हटाते हुए नैना को दिखाया ,

” देखो मेरे गले पर उसके नाखून के खरोंच के निशान उसपर जैसे पागलपन का दौरा आ गया है “

चाय का कप और फूलों का गुलदस्ता दीवार पर मार कर तोड़ दिया है।

नैना ने चारों ओर नजर दौड़ाई पूरा घर अस्त- व्यस्त बिखरा पड़ा है और बेटू एक तरफ अपनी आया की गोद में सहमा हुआ सा खड़ा है।

देवेन्द्र की हालत किसी अपराधी जैसी हो रखी है।

उसकी सूखी आवाज लरज रही थी।

नैना अगले ही पल सारा माजरा समझ गई।

देवेन्द्र के प्रमोशन और ट्रांसफर हो जाने से सपना की अपनी स्वच्छंद हो कर नौकरी करने और घर से बाहर निकलने के हौंसले पर खतरा सा मंडराता हुआ नजर आने लगा है।

तभी उसकी यह उलटी- सीधी प्रतिक्रिया आ रही है।

सपना …

नैना उसके बेडरूम के दरवाजे के सामने आ कर पुकारा।

” दरवाजा खोल दो सपना… ”  इस बार नैना कुछ जोर से बोली।

” मुझे अकेला छोड़ दो “

” बस सिर्फ पांच मिनट के लिए सुन लो मेरी बात। फिर मैं चली जाऊंगी “

देवेन्द्र को कुछ समझ में नहीं आ रहा है था। कि इस बीच- बचाव में उसकी भूमिका कौन सी होनी चाहिए।

वह दरवाजे के पास आ कर फुसफुसाते हुए बोला ,

” देखो तो सही, नैना किस तरह भागती हुई आई है ” 

अभी उसकी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि शीशे का कोई सामान  दरवाजे से आ कर झन्न से टकराया।

शायद शीशे का जग रहा होगा।

” जाओ , भागो …दूर यहां से , यूं रास्कल हस्बैंड …  ” अंदर से सपना चीख पड़ी।

नैना और देवेन्द्र की निगाहें मिली।

नैना ने उस इशारे से अलग हट जाने को कहा।

वह सिटपिटाया हुआ सा दूसरे कोने में चला गया

आगे …

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