कुछ देर दोनों के बीच मौन पसरा रहा। हिमांशु ने हाथ बढ़ा कर नैना के हाथ को अपनी हथेलियों को ले लिया।
“किसी उलझन में हो ?”
” कुछ उलझन तो है जिसे सुलझाने के लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए “
इस बार हिमांशु का स्वर बहुत पास से आया,
” हमें एक दूसरे को यह कहने की बिल्कुल जरुरत नहीं है कि हम एक दूसरे के मन के कितने करीब हैं “
कुछ पल ठहर गए। हिमांशु ने बहुत हल्के से नैना की हथेलियां चूम लीं जैसे अपने रिश्ते को आश्वस्त करना चाह रहा है।
” तुम्हें मुझसे कुछ पूछना है ? “
नैना ने कहा।
उसके स्वर में कुछ तो ऐसा था कि हिमांशु को लगा जैसे कोई अपराधी अपनी सफाई देने को तैयार हैं।
” तुम्हें कुछ बताना हो तो बता दो ? “
हिमांशु ने नैना को बिल्कुल सामान्य दृष्टि से देखते हुए कहा।
नैना ने सीधी नजर उससे मिलाई ,
” मैं किसी के साथ इनवाॅल्व नहीं हूं। भावना के स्तर पर अभी भी तुमसे वैसे ही जुड़ी हूं जैसे अपने किशोरावस्था वाले दिनों में ‘हिमांशु सर’ के पीछे पागल हुई थी “
उसके होंठों को अपने नर्म मुलायम होंठ रख दिए। पहचान की तरंग ने देह को झंकृत कर दिया।
हिमांशु की रुकी हुई सांस … फिर चल पड़ी।
इस बार नैना ने जबरन अपने आवेग को शांत किया ,
” हां इतना अवश्य है,
नये युद्ध क्षेत्र में हूं जो नये रण में स्थापित होने जैसा है। जिसमें शोभित साथ है। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं “
वो झुक कर चाय बनाने लगी है।
मन में अजीब सी ग्लानि भर उठी।
अनजाने में और न चाहते हुए भी उसे शोभित को बिसात का मोहरा बनाना पड़ा।
” काश! कोई शोभित से भी तो उसके दिल के हाल पूछता आखिर वह क्या चाहता है ? “
हिमांशु ने सिगरेट सुलगा ली है,
” हर स्त्री – पुरुष के बीच में किसी ना किसी तरह का तनाव आता ही है। इस रिश्ते की प्रकृति ही ऐसी है
अगला भाग
डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -74)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi