“मांजी फलो का जूस पीजिए मैं आपके लिए ताजी-ताजी फलों का जूस बनाकर लाई हूं”सुधा ने अपनी सास से कहा तो सास रामवती मुस्कुराते हुए बोली”बहु तू मेरी कितनी सेवा करती है सही समय पर मेरी दवाई और खानपान का पूरा ध्यान रखती है ऐसा कर इसमें से थोड़ा सा जूस तू भी पी ले तू दिन भर काम करती है दिन भर काम करने से तुझे कमजोरी आ जाएगी वैसे भी मुझ से सारा जूस पिया नहीं जाएगा”
कहते हुए उन्होंने एक गिलास में सुधा से आधा जूस करवाके सुधा से पीने को कहा तो अपने प्रति सास का इतना प्यार देखकर सुधा को कुछ समय पहले की बात याद आ गई थी जब वह ब्याह कर अपनी मम्मी ससुराल आई थी तब उसकी सास उसका बिल्कुल अपनी बेटी पूनम की तरह ख्याल रखती थी उससे कोई काम ढंग से नहीं होता तो उसे प्यार से समझाती और उसके खाने पीने का पूरा ध्यान रखती थी जिससे सुधा भी अपनी सास का अपनी मम्मी की तरह ख्याल रखती थी
उसके पति सुधीर और ससुर रामपाल सास बहू के बेहतर तालमेल को देखकर बेहद खुश होते थे। रामवती अपने खाने पीने पर बहुत ध्यान देती थी जिससे वे हमेशा स्वस्थ और तंदुरुस्त रहती थी परंतु, एक दिन जब वह खाना खाकर अपने कमरे में आराम कर रही थी तभी उन्हें लकवा मार गया था जिसके कारण उनकी जुबान और शरीर के आधे हिस्से ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था
तब उनके बेटे सुधीर ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवा दिया था डॉक्टर के अथक प्रयास के बाद उन्होंने बोलना तो शुरू कर दिया था परंतु,उनके अंगों ने सुचारू रूप से काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था काफी दिन तक अस्पताल में रखने के बाद जब रामवती की हालत में कुछ आराम ना हुआ तो डॉक्टर ने सुधीर और उसके पापा से उन्हें घर ले जाने की सलाह दे दी थी डॉक्टर की सलाह मानकर सुधीर अपनी मम्मी को घर ले आया था।
अपनी मम्मी को घर लाने के बाद सुधीर सुधा से बोला “तुमसे अकेले घर का काम और मम्मी की सेवा नहीं हो पाएगी इसलिए मैंने सोचा है कि मैं मम्मी की सेवा के लिए एक काम वाली रख लू वह मम्मी के खाने पीने और उनकी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखेगी”सुधीर की बात सुनकर पास ही पलंग पर लेटी उसकी मम्मी लाचारी और बेबसी से बेटे बहू की तरफ देख कर बेटे की बात का समर्थन करने लगी थी तब सुधा थोड़े गुस्से में सुधीर से बोली”
यह आप कैसी बात कर रहे हैं? लोग क्या कहेंगे?जब गांव के लोग एक काम वाली को मम्मी की सेवा करते देखेंगे तो क्या कहेंगे की बहू के होते हुए एक काम वाली इनकी सेवा कर रही है मेरे होते हुए मैं हरगिज ऐसा नहीं होने दूंगी मम्मी ने मुझे हमेशा अपनी बेटी की तरह प्यार दिया अब मेरा फर्ज है अपनी मां की सेवा करने का मेरे होते हुए इस घर में कोई काम वाली नहीं आएगी मैं खुद अपनी सास की सेवा करूंगी।”
सुधा की बातें सुनकर उसकी सास के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी वह तो मन ही मन सोच रही थी कि उनको बीमार देखकर बहु परेशान हो जाएगी परंतु,सुधा ने परेशान होने की बजाय खुद सेवा करने की बात कहीं तो सुधीर और उसके पापा भी गर्व से उसकी तरफ देखने लगे थे क्योंकि उन्होंने अपने आसपास ऐसी कई बहूओ को देखा था जो सास के बीमार पड़ने पर उनकी सेवा से पल्ला झाड़ कर उनकी तीमारदारी के लिए नर्स या फिर कोई काम वाली रख देती थी।
सुधा रोज सवेरे उठकर घर के काम के साथ-साथ अपनी सास की सेवा भी करने लगी थी जिसके कारण आस पड़ोस के लोगों की नजरों में उसका सम्मान बढ़ गया था “बहु क्या सोच रही है? जूस पी लो ना”रामवती ने प्यार से कहा तो सुधा मुस्कुराते हुए जूस पीने लगी थी। बिल्कुल सत्य रचना है यह आज भी हमारे समाज में ऐसी बहुएं हैं जो लोगों के लिए प्रेरणा की पात्र बन जाती हैं बस उन्हें थोड़ा सा प्यार और सम्मान चाहिए जो उनके लिए ताकत का काम करता है।
बीना शर्मा