“अम्मा! क्या हुआ क्यों मुँह फुलाए बैठी हो? संजय ने ऑफिस से आकर शीला जी से पूछा!
“कुछ नहीं बस सब ठीक है” अम्मा ने बेटे के सामने बेबस सा होने का दिखावा किया!
संजय”कुछ तो है मुझे तो बताओ ना! मधु ने कुछ कहा है क्या?”
अम्मा ने साड़ी का पल्ला मुँह पर रख झूठमूठ की रोने की एक्टिंग कर कहा “आज बहू ने मुझे पलट कर जवाब दे दिया! मैंने तो सिर्फ यही कहा था कि अपनी सहेली से इतनी देर तक फोन पर ना चिपका करो”
बस इतना कहना था कि बहूजी तमक कर बोली “अम्मा जी! जब आप जीजी से घंटों बातें करती हो तब तो कुछ नहीं! मैं अपनी सहेली से बात करूं तो आपसे बर्दाश्त नहीं होता हमेशा टोका करती हो”
“अब क्या बताऊं! एसा मुँह बनाकर जवाब दिया कि मन हुआ अभी चोटी पकड़कर बाहर कर दूं!”
जाओ कमरे में बैठी होंगी मेरी शिकायतों का पुलिंदा लिए,अब तुम कुछ मत कहना बेकार में सुनाएंगी कि मैं तुम्हें उसके खिलाफ भड़काती हूँ।”
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अम्मा बेचारी सी हो बेटे की सिम्पैथी बटोरते हुए बोली!
संजय कमरे में पहुँचा तो मधु आसन पट्टी लिए पड़ी थी! संजय ने मनाने की कोशिश की तो वह छिटक कर पलंग के दूसरे तरफ जा पहुँची।
संजय के बहुत पूछने पर मधु ने बताया अम्मा जी की कोई सहेली या पड़ोसन आती है तो अम्मा जी मेरा बुराई पुराण लेकर बैठ जाती हैं!
मुझे तो मुझे मेरे मां बाप और पूरे खानदान को नहीं छोड़ती!
बहुत बुरा लगता है जब नौकर के बच्चे को अम्मा जी दो दो केले उठाकर दे देंगी और मैं खा लूं तो जरूर पूछेंगी चार केले थे? फिर सफाई देंगी कि मैंने तो इसलिए पूछा कि कहीं कामवाली ने तो नहीं उठा लिये जबकि उनकी सी बी आइ आँखों से मजाल है कि कुछ छिप सके।
खाने पीने को लेकर उनका रवैया मुझे पसंद नहीं!
दूसरों की बहुओं की इस कदर तारीफों के पुल बांधेंगी जैसे उनके साथ ही रहना हो!
मेरे तो जो अंदर है वही चेहरे पर आ जाता है मैं अच्छी बनने का नाटक नहीं कर सकती! मेरे साथ जैसा व्यवहार करेंगी वैसा पाएंगी! मैंने भी तो अपने लिए उनके चेहरे पर कभी प्यार दुलार के भाव नहीं देखे! हमेशा मेरे ऊपर हिटलर सा हुकुम चलाती दिखती हैं! औरों से एसे मिश्री घोलकर बोलेंगी जैसे वही इनका सगा हो!
संजय ने प्यार से समझाने की कोशिश की देखो मधु! मैं यह नहीं कह रहा कि अम्मा हमेशा ही ठीक हैं और तुम गलत! पर एक बात जरूर है जब जब अम्मा आती हैं तुम पैर तो छूती हो पर मुँह सिकोड़कर! साफ पता चल जाता है कि वह अनवांटेड हैं उनका आना तुम्हें पसंद नही आया!
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मधु तिनक कर बोली मेरे एक्सप्रेशन्स तो तुम्हें एकदम दिख जाते हैं अपनी अम्मा की शकल नहीं दिखती जब वो दूसरों के और तो और कभी कभी तुम्हारे सामने भी मेरी बुराइयां करती नहीं थकती!
संजय ने बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा अच्छा चलो तुम सही हो पर इन सब चीज़ों से फ़ायदा नहीं होना है! रहना हम सबको साथ है! अम्मा जबान की कड़क जरूर हैं पर दिल की बुरी नहीं हैं! तुम समझदार हो और मैं तुम्हारे साथ हूं!
तुमने तो इतने सारे नाटकों में हिस्सा लेकर अनेक अवार्ड जीते हैं! यार! थोड़ी सी एक्टिंग मेरे लिए घर की शांति के लिए कर लो ना! प्लीज़ प्लीज़ मेरी अच्छी मधु कहकर संजय ने उसे बाहों में भर लिया।
मधु की समझ में आ गया कि अब वो अम्मा जी छोटी छोटी की बातों को घर की शांति बनाए रखने के लिए इग्नोर कर देगी। अम्मा जी कुछ भी कहेंगी वह अपने चेहरे से लगने नहीं देगी कि उसे कुछ बुरा लगा है। जिसका पति करे जरूरत से ज्यादा प्यार वो कैसे करे उसे इन्कार!
दोस्तों
जो लोग दिल के साफ होते हैं उनको अगर कुछ बुरा लगता है तो उसके चेहरे से साफ झलकने लगता है वो लोग नाटक नहीं कर पाते!
कुछ घुन्ने टाइप के लोगों के चेहरे से पता ही नहीं चल पाता कि उनके मन में क्या हैं और वे क्या दिखा रहे हैं!
वो कहते हैं ना चेहरा दिल का आइना होता है!
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आपकी सखी
कुमुद मोहन