आज सलोनी ने अपनी सास शालिनी जी को फोन किया । सुबह सुबह सलोनी का फोन देखकर शालिनी थोड़ा चौंक गई क्योंकि सुबह तो सलोनी को समय होता नहीं है हमेशा शाम को ही बात होती है और वो भी शनिवार और रविवार को ही । फिर भी सलोनी का फोन उठाया शालिनी ने तो सलोनी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ।
अच्छा क्या बात है सलोनी रो क्यों रही हो क्या शिखर से लड़ाई हो गई क्या , सलोनी कोई जवाब न देकर रोऐ जा रही थी । अच्छा रोना बंद करो और बताओ क्या बात है।
सलोनी ने कहा कल रात शिखर ने खूब झगड़ा किया ।रात देर से आए थे तो मैंने पूंछा लिया इतनी देर कहां थे ,बस गुस्सा दिखाने लगे और सामान फेंकने लगे । सामने कांच की प्लेटें रखी थी वो फेंक दिया और अपना मोबाइल टैब फेंक दिया । क्या करूं मम्मी मैं तो इनके गुस्से से परेशान हो गई हूं ।
देखो सलोनी मैंने तुमसे भी कहा था कि जब भी कोई ऐसी सिचुएशन आए तो शांत रहा करो बहस न किया करों मगर तुम सुनती ही नहीं हो और तुमने कैसे पूछा होगा ये भी मुझे मालूम है ।सब इसी से बर्बाद हो रहा है ।
शिखर और सलोनी की शादी को अभी नौ महीने ही हुए हैं । दोनों की शादी लव मैरिज तो नहीं थी । हां शालिनी और उनके पति सूरज ने किसी मैगजीन के माध्यम से रिश्ता ढूंढा था । शालिनी और सूरज को ऐ रिश्ता पसंद तो नहीं था क्योंकि लड़की थोड़ी तेज तर्रार समझ में आ रही थी ।
पर शिखर और सलोनी ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था ।और शालीनी के मना करने के बाद भी शिखर जिद पर अड़ा रहा कि सलोनी से ही शादी करेगा । फिर कर दी शादी ।जब लड़का लड़की राजी तो क्या करेगा काज़ी।
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शिखर गुस्से का बहुत तेज था । शालिनी हर समय शिखर को समझाती रहती थी कि देखो हम लोग मां बाप है तो तुम्हारी गलतियां या गुस्सा सब बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन आजकल की लड़कियां ये सब बर्दाश्त नहीं करती बेटा। लेकिन बेटा कितना समझता था कितना नहीं पता नहीं लेकिन शिखर का बोलने का ढंग भी बड़ा अजीब था ,
कोई भी जवाब हमेशा टेढ़े में देता था।और पत्नी भी नौकरी वाली चाहिए थी तो सबकुछ बर्दाश्त करने की हिम्मत भी तो चाहिए। शिखर की इस आदत से सूरज और शालिनी बहुत परेशान रहते थे । हालांकि शिखर के पापा सूरज का भी ऐसा ही नेचर था । लेकिन पहले की पत्नियों में और आज की लड़कियों में बहुत फर्क हो गया है ।
पहले लड़कियों की शादी के बाद किसी का सपोर्ट नहीं होता था । मां बाप कह देते थे अब तो वहीं तुम्हारा घर है जैसे चाहो वैसे रहो मायके में जगह नहीं है।और मां भी बेटियों को अच्छे से समझाती थी । लेकिन आजकल उल्टा है ।एक तो बेटियां नौकरी कर रही है अपने पैरों पर खड़ी है
किसी पर बोझ नहीं है।और मां भी कह देती है मेरी भी बेटी नौकरी कर रही है तो किसी से दब कर क्यों रहेगी । इसी सब वजह से आजकल बहुत से बेटे बेटियों के घर टूट रहे हैं ।
शिखर के शादी की बात चली तो शालिनी ने कहा दिया था कि देखो तुम और सलोनी आपस में समझ बूझ लो ठीक लगे तो हम कर देंगे शादी । फिर कुछ दिन में बात बात में पता चला कि सलोनी भी बहुत गुस्से वाली है । शालिनी ने माथा पकड़ लिया कि कैसे निभेगी दोनों की । लेकिन दोनों शादी पर अंडे रहे कि शादी के बाद सब ठीक हो जायेगा। लेकिन किसी रिश्ते में जब आप हकीकत में आमने-सामने होते हो तभी एक दूसरे की सच्चाई पता चलती है ।
शादी के बाद दोनों में झगड़ा होता फिर मेल-मिलाप हो जाता ऐसा की बार हुआ और सभी के साथ होता है। लेकिन कुछ दिनों बाद जब झगड़ा होता तो सलोनी शालिनी को फोन करने लगती । बार बार के झगडे से शालिनी ने कहा दिया कि भई तुम लोग झगड़ते हो तुम्हीं लोग निपटारा कर लिया करो हमें न परेशान किया करो । हमने तो पहले ही कह दिया था शादी से पहले कि आपस में समझ लो ।शालु कई बार शिखर को समझाने की कोशिश करी लेकिन नाकाम रही।
दीवाली में शिखर और सलोनी घर आए थे चार दिन रहे ।नोक झोंक होती रही लेकिन ज्यादा कुछ नहीं हुआ । लेकिन जाते समय झगड़ा हो गया । पानी की बोतलें बाहर गाड़ी में पड़ी हुई थी । शिखर ने सलोनी से कहा बाहर गाड़ी से पानी की बोतलें निकाल लाओ तो सलोनी ने भी बिदक कर कह दिया तुम्हीं निकाल लाओ । शिखर फिर बोला नहीं तुम निकाल लाओ , लेकिन तुम निकालो ,तुम निकालो पर बात बढ़ गई और जाते जाते दोनों के झगड़ों ने माहौल को बिगाड़कर रख दिया ।
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शालिनी और सूरज बहुत समझाने की कोशिश करते रहे अरे क्यों बेकार में झगड़ा बढ़ा रहे हो घर से दूसरी बोतल ले लो लेकिन बिना मतलब मुद्दा बोतल ही बन गया ।और जाते-जाते दोनों गाडी में मुंह फुलाकर बैठ गए । दोनों में से अगर कोई एक चुप हो जाए तो झगड़ा शांत हो जाए लेकिन किसी का चुप होना अपनी तौहीन है ।
और फिर ऐसे ही प्यार भरा रिश्ता पल मे बिखर जाता है । जाते-जाते गाड़ी में भी दोनों का झगड़ा निश्चित होता रहा होगा क्योंकि दोनों में से कोई भी चुप नहीं रहने वाला।इस तरह जाने से सूरज और शालिनी किसी अनहोनी से ससंकित रहे । कोशिश ही तो कर सकते हैं रिश्ते बचाने की इससे आगे और क्या कर सकते हैं।
बस ऐसे ही झगड़ते झगड़ते दोनों के एक साल बीत गए। शादी की पहली सालगिरह पर बाहर घूम फिर कर आए । शालिनी ने सोचा चलो अब ठीक हो जायेगा लेकिन अभी आए हुए एक हफ्ता ही हुआ है कि आज सबेरे सलोनी का फिर फोन आ गया । शालिनी और सूरज बेटे के पास गए ।
मामला शांत कराने की कोशिश की लेकिन सलोनी कहने लगी मैं अब शिखर के साथ नहीं रह सकती मुझे डायवोर्स चाहिए । शालिनी के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई । क्या इज्जत रह जाएगी मेरी रिश्ते दारों में समाज में । शालिनी और सूरज ने अकेले बैठकर शिखर बहुत समझाया थोड़ा बहुत शिखर समझा भी उसने सलोनी से माफी मांगी कि अब ऐसा नहीं होगा ,वो बुआ लेकिन हर बार ऐसा ही होता है।
सलोनी ने कोर्ट में पहले ही नोटिस लगा दी थी कि मुझे तलाक चाहिए।घर वालों को नहीं पता था कि सलोनी ने नोटिस दे दिया है । पंद्रह दिन बाद घर पर नोटिस आ गया कोर्ट में हाजिर होना है । सभी लोग हाजिर हुए कोर्ट से भी समय दिया गया आपस में रिश्ते ठीक करने को तीन मिटिगं हुई
आपस में इन दोनों की । लेकिन सलोनी नहीं मानी । तीनों मीटिंग बेकार हो गई । शालिनी और सूरज के दबाव से शिखर झुक तो गया लेकिन सलोनी ने कहा नहीं ये रितु नहीं चल पायेगा ये सब फिर होगा इससे अच्छा है कि हम अलग हो जाएं ।
और आखिर में पल पल के गुस्से ने प्यार भरा रिश्ता तोड दिया ।आज शिखर और सलोनी का तलाक हो गया। मां बाप के मन पर कितने गहरे घाव छोड़ जाते हैं इस तरह के वाकये।ये तो जिसपर बीतती है वहीं जानता है ।आप सभी पाठक का क्या कहना है बताओ ।
धनु
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
28 अप्रैल
#हमसफर