” बधाई हो भाभी, लड़के वालों को हमारी रिंकी पसंद आ गई है। आज ही संगीता दीदी का फोन आया था…. कह रही थी बात आगे बढ़ाएं हमें लड़की पसंद है ।,, एक ही सांस में कावेरी अपनी भाभी सुमित्रा से बोल गई …. चेहरे की चमक साफ बता रही थी कि अपने बताए रिश्ते के लिए हां होने पर कावेरी कितनी खुश है । आखिर ससुराल और मायके दोनों जगह उसकी पूछ जो बढ़ गई थी।
कावेरी ने अपनी भतीजी रिंकी के लिए अपने रिश्ते की ननद संगीता के बेटे पंकज का रिश्ता बताया था। कुछ दिनों पहले ही कावेरी पंकज और उसके परिवार को लेकर रिंकी को दिखाने लाई थी।
रिंकी का अभी एम बी ए का आखिरी साल था। इसके बाद उसे प्लेसमेंट मिलने वाली थी जिसके लिए वो बहुत उत्साहित थी।
जब लड़के वाले उसे देखने आए थे तो भी रिंकी के नौकरी करने का जिक्र किया गया था जिसपर संगीता जी ने बड़े प्यार से कहा, ” हां हां क्यों नहीं …. हम तो बहुत खुले विचार के लोग हैं …. बहू और बेटी में कोई फर्क नहीं करते। नौकरी करनी है तो शादी के बाद कर लेना हमें कोई एतराज़ नहीं । ,,
होने वाली सास के ऐसे विचार सुनकर रिंकी और उसके माता-पिता सुमित्रा जी और मनिष जी बहुत खुश थे सिर्फ रिंकी की भाभी कंचन चुप थी।
लड़के वालों की हां होने पर रिंकी और पंकज की सगाई की एक छोटी सी रस्म रखी गई जिसमें सिर्फ परिवार वाले ही शामिल थे।
पंकज के घर की तरफ से रिंकी के लिए बहुत सारे तोहफे, सोने के दो सेट, हीरे की अंगूठी और मंहगी साड़ियां आई थीं। जिसे देख देखकर रिंकी और उसकी मां सुमित्रा जी खुशी से फूली नहीं समा रही थीं । लेकिन कंचन को इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो तो हमेशा की तरह बस अपना काम करे जा रही थी जो सबने बिखेर कर उसके भरोसे छोड़ दिया था।
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सुमित्रा जी अपनी बहू का शांत चेहरा देखकर खीझी हुई थीं।
” पता नहीं कैसी बहू पल्ले पड़ी है…. परिवार की खुशी में खुश होना भी नहीं जानती … अरे ऐसी क्या जलन हो रही है मेरी बेटी की किस्मत देखकर …. ननद है तेरी…. कुछ दिनों में अपने घर चली जाएगी हमारी लाडो । फिर घूमती रहना अपना लटका हुआ मुंह लेकर। ,,
मां की बात सुनकर रिंकी भी बोल उठी, ” हां भाभी, मैं भी देख रही हूं…. जब से मेरी सगाई हुई है आप खुश नहीं हैं। क्या आपको खुशी नहीं है कि मुझे इतना अच्छा ससुराल मिल रहा है ? ,,
सास और ननद की बातें सुनकर कंचन मुस्कुराते हुए बोली,
” दीदी , जश्न सपने देखने पर नहीं सपने पूरे होने पर मनाया जाता है।
मुझे तो तब खुशी होगी जब आपको दिखाए गए रंगीन सपने आपके ससुराल वाले पूरे करने देंगे । आपको तो याद ही होगा जब आपलोग मेरा रिश्ता लेकर आए थे। मेरी भी कितनी इच्छा थी कि मैं भी नौकरी करूंगी । पढ़ाई का सिर्फ एक साल बाकी था लेकिन आपलोगों ने भरोसा दिलाया था कि शादी के बाद भी मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हूं। आप लोगों को मेरे नौकरी करने की बात पर भी कोई परेशानी नहीं थी । उस समय तो जो मैंने कहा उन सब बातों पर आपलोगों ने सहमती की मोहर लगा दी । लेकिन क्या उन दिखाए गए सपनों में से मैं अपना एक सपना भी पूरा कर पाई ??
आते ही सारे घर की जिम्मेदारी मुझपर छोड़ कर सासु मां ने तो जैसे काम से संन्यास ले लिया । दिन भर घर के कामों में उलझाए रखतीं ताकि कहीं में किताब लेकर ना बैठ जाऊं । दिखाने को तो शादी में मुझे भी दो सोने के सेट चढ़ाए गए थे लेकिन शादी के बाद एक बार भी मैंने उन गहनों की शक्ल नहीं देखी क्योंकि वो तो सासु मां की तिजोरी में सुरक्षित रखे हैं ।
और हां दीदी सगाई के वक्त ससुर जी ने कहा था कि हमारा बेटा इतना कमाता है कि आपकी बेटी हमारे घर में राज करेगी लेकिन ये तो आप भी देखती होंगी कि अब एक एक पैसे के लिए मुझे सासु मां के सामने हाथ फैलाने पड़ते हैं क्योंकि आपके भाई की सारी तनख्वाह उनके हाथों में ही आती है। यदि सौ रुपए भी कम हो जाएं तो दस सवालों का जवाब देना पड़ता है….. ,, आज कंचन एक ही सांस में सबकुछ बोल गई जो पिछले कई दिनों से उसके मन में दबा था।
सुमित्रा जी और रिंकी दोनों एक दूसरे का मुंह ताक रही थीं क्योंकि उनकी बहू ने आज आईना उनके सामने रख दिया था जिसमें उनकी असली छवि साफ नजर आ रही थी।
कंचन फिर बोली, ” और हां दीदी , मुझे आपसे कोई बैर नहीं। मैं तो चाहती हूं जो मेरे साथ हुआ वो आपके साथ ना हो इसलिए ससुराल वालों के झांसे में मत आना। अपने हक के लिए लड़ना हो तो जरूर लड़ना। और खुश तब होना जब आपको दिखाए गए सतरंगी ख़्वाब आपके ससुराल वाले सच में पूरा होने दें …..
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।,,बोलते बोलते कंचन का गला भर आया। रिंकी ने आगे बढ़कर अपनी भाभी को गले से लगा लिया,” आप सही कह रही हैं भाभी, आपकी ये नसीहत मैं हमेशा याद रखूंगी। और आप मुझे माफ कर दीजिए क्योंकि सब कुछ देखते और समझते हुए भी कभी मैंने आपका साथ नहीं दिया और ना आपके लिए आवाज उठाई ….. लेकिन आज मैं मां से एक बात कहना चाहूंगी ….. ” मां, जिस तरह आप अपनी बेटी के लिए खुश हैं कभी भाभी के बारे में क्यों नहीं सोचा। सच में मां , कहने को तो सब कह देते हैं कि बहू को हम बेटी बनाकर रखेंगे लेकिन सही मायने में ये सिर्फ ढोंग है …..
बहुओं को बहू बनने के लिए भी बहुत कुछ सहना पड़ता है। ,,
सुमित्रा जी की नजरें आज नीची हो गई थीं । बहू के साथ साथ आज वो बेटी के सामने भी शर्मिंदा थीं लेकिन कंचन का मन आज बहुत हल्का हो गया था।
रिंकी ने भी पक्का मन बना लिया था कि वो अपनी भाभी की नसीहत को याद रखेगी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी और पर कभी आश्रित नहीं होगी।
सविता गोयल